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NPS के फायदे और नुकसान: क्या यह आपके रिटायरमेंट प्लान के लिए सही है? (AI Generated Image)
NPS Investment : Pros and Cons : नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS रिटायरमेंट इनवेस्टमेंट का एक ऐसा विकल्प है जो लंबे समय में अनुशासित ढंग से निवेश करने पर स्टेबल रिटर्न देता है. लेकिन NPS को लेकर कई तरह के सवाल भी उठाए जाते हैं. कुछ लोग इसे रिटर्न और फ्लेक्सिबिलिटी के लिहाज से ‘बेकार प्रोडक्ट’ बताते हैं. वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि NPS की सादगी और अनुशासन इसकी सबसे बड़ी खूबी है. आइए समझते हैं कि NPS में निवेश के पॉजिटिव और निगेटिव फैक्टर क्या हैं और इसमें निवेश का सही नजरिया क्या होना चाहिए.
NPS के खिलाफ क्या हैं दलीलें
NPS के खिलाफ कई दलीलें दी जाती हैं. इनमें एक दलील ये है कि इसमें पैसे निकालने पर कई तरह की पाबंदियां हैं. रिटायरमेंट के बाद एन्युटी खरीदना जरूरी है और उससे मिलने वाली पेंशन पर टैक्स भी लगता है. इसके अलावा इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की तुलना में NPS का रिटर्न भी आमतौर पर कम होता है.
इन बातों में सच्चाई भी है. NPS पूरी तरह परफेक्ट प्रोडक्ट नहीं है. लेकिन सिर्फ इन खामियों के आधार पर इसे ‘बेकार’ कहना अधूरा सच है. जो लोग निवेश को सिर्फ रिटर्न के नजरिए से देखते हैं, वे NPS के असली मकसद - रिटायरमेंट सिक्योरिटी - को नजरअंदाज कर देते हैं.
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NPS की खासियत : अनुशासन और स्टेबिलिटी का मेल
NPS का सबसे बड़ा फायदा यही है कि यह निवेशक को लंबे समय तक निवेश में अनुशासन बनाए रखने में मदद करता है. अगर आप सैलरीड हैं, तो आपकी सैलरी से अपने आप NPS में कंट्रीब्यूशन हो जाता है. यानी न तो कोई ‘स्किप्ड इनवेस्टमेंट’ का डर और न ही मार्केट के उतार-चढ़ाव में फैसले बदलने की जरूरत.
NPS में पैसे एक तय अनुपात में इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लगाए जाते हैं. इससे आपका पोर्टफोलियो खुद-ब-खुद डाइवर्सिफाइड हो जाता है और रिस्क भी बैलेंस रहता है. कई बार यह “सिंपल और बोरिंग” निवेश ही सबसे ज्यादा भरोसेमंद साबित होता है.
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लिक्विडिटी और फ्लेक्सिबिलिटी की कमी
NPS में सबसे बड़ी दिक्कत इसके लॉक-इन को बताया जाता है. आप 60 साल की उम्र से पहले केवल कुछ खास परिस्थितियों में ही पैसे निकाल सकते हैं. यानी अगर आपको बीच में किसी बड़ी जरूरत के लिए पैसे चाहिए, तो दिक्कत हो सकती है.
इसके अलावा, रिटायरमेंट के बाद एन्युटी में निवेश करना अनिवार्य होता है, जिससे हर महीने तय रकम पेंशन के रूप में मिलती है. लेकिन इस एन्युटी पर मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर कम होता है और उस पर टैक्स भी लगता है. यही वजह है कि कई लोग इसे एक कम लचीला और कम टैक्स-इफिशिएंट प्रोडक्ट मानते हैं.
क्या है लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट का सही नजरिया
रिटायरमेंट इनवेस्टमेंट सिर्फ “मैक्सिमम रिटर्न” पाने का खेल नहीं है. असली लक्ष्य यह होना चाहिए कि आप एक ऐसा सिस्टम अपनाएं जिससे आप लगातार और बिना रुकावट निवेश कर पाएं. कई बार लोग म्यूचुअल फंड्स, डायरेक्ट इक्विटी और छोटे कैप स्कीम्स के बीच बार-बार स्विच करते रहते हैं, जिससे न तो सही रिटर्न मिल पाता है और न ही कोई रणनीति लंबा चल पाती है.
NPS से निवेशक इस गलती से बचते हैं. यह निवेशकों को सही रास्ते पर रखता है, जिससे बार-बार फैसले बदलने की गुंजाइश नहीं होती. इसी अनुशासन के चलते लंबे समय में यह एक मजबूत रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने में मदद करता है. साथ ही इसमें निवेश पर सेक्शन 80C और 80CCD(1B) के तहत मिलने वाले टैक्स बेनिफिट्स भी इसे और आकर्षक बनाते हैं.
क्या NPS में निवेश करना चाहिए?
अगर आप 25 से 40 साल के बीच हैं और रिटायरमेंट के लिए स्टेबल और सुरक्षित विकल्प चाहते हैं, तो NPS एक बढ़िया चॉयस हो सकता है. NPS एक ऐसा निवेश है जो आपको “सस्टेनेबल रिटर्न” देने पर फोकस करता है. इसलिए आपको इसे अपने रिटायरमेंट पोर्टफोलियो में जरूर जगह देनी चाहिए.
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