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इन बदलावों से निवेशक अपनी पेंशन स्कीम को अपने रिस्क, समय और जरूरत के हिसाब से फ्लेक्सिबल और पर्सनलाइज्ड तरीके से मैनेज कर सकेंगे. (Image: FE)
NPS New Rules Explained: नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में पहली अक्टूबर 2025 से कई बड़े बदलाव हो गए हैं. इन बदलावों के चलते अब इस विकल्प में रिटेल निवेशकों को अपनी रिटायरमेंट सेविंग्स पर ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और कंट्रोल मिलने वाला है. नए बदलावों के तहत 100% इक्विटी निवेश की अनुमति दी गई है, कई स्कीम विकल्प पेश किए गए हैं, और निवेश की अवधि को घटाकर सिर्फ 15 साल कर दिया गया है.
नई रिजीम के तहत पुरानी "कॉमन स्कीम्स" तो बनी रहेंगी, लेकिन अब PFRDA द्वारा विभिन्न रिस्क प्रोफाइलों के साथ "नई स्कीम जैसे मॉडरेट यानी पार्शियल इक्विटी और हाई रिस्क यानी फुल इक्विटी शुरू की जा सकेंगी. अब निवेशक अपने एक ही पैन कार्ड के तहत (अलग-अलग CRA के साथ) कई पेंशन स्कीम रख सकते हैं और अपनी पसंद के हिसाब से कुछ स्कीम्स में कम जोखिम वाले निवेश और कुछ में ज्यादा जोखिम वाले निवेश कर सकते हैं यानी मिक्स-मैच की सुविधा मिलेगी.
सबसे खास बात ये है कि अब पहले की तरह 60 साल की उम्र तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है. नए नियम के अनुसार सिर्फ 15 साल के निवेश के बाद आप अपने पैसे निकाल सकते हैं, जिससे NPS युवाओं और मिड-करियर इन्वेस्टर्स के लिए ज्यादा आसान और सुलभ हो गया है. यानी अब जल्दी पैसा निकाले बिना भी अपनी पेंशन बचत का ज्यादा फायदा उठा पाएंगे.
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इन बदलावों के क्या है मायने
अच्छा ग्रोथ करने का मौका
अब अगर आप युवा निवेशक हैं और लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं तो 100% इक्विटी ऑप्शन से आप मार्केट के अच्छे रिटर्न्स का पूरा फायदा उठा सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे, ज्यादा इक्विटी का मतलब होता है ज्यादा जोखिम भी. इसलिए यह हाई-रिस्क स्कीम उन लोगों के लिए सही है जो बाजार की उतार-चढ़ाव को आराम से सहन कर सकते हैं.
पेंशन फंड को अब दो तरह की स्कीम्स - एक मॉडरेट रिस्क (जहां आंशिक इक्विटी होती है) और एक हाई रिस्क (जहां फुल 100% इक्विटी होता है) लॉन्च करनी होंगी. इसके अलावा, वे चाहें तो कम रिस्क वाली स्कीम भी ला सकते हैं.
बताया जा रहा है कि 100% इक्विटी वाला ऑप्शन खासतौर पर उन युवा निवेशकों को आकर्षित करेगा जिनका निवेश का समय लंबा होता है और जो इक्विटीज से अच्छा ग्रोथ चाहते हैं. आम भाषा में, अगर आप लंबी अवधि में अपने पैसे को बढ़ाना चाहते हैं और जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं, तो यह नया 100% इक्विटी ऑप्शन आपकी पसंद हो सकता है.
पहले से बेहतर डायवर्सिफिकेशन
अब आप अपने NPS निवेश को और बेहतर तरीके से विभाजित कर सकते हैं. इसका मतलब है कि आप अपने पेंशन फंड को एक हिस्से में सुरक्षित, कम जोखिम वाली स्कीम में और दूसरे हिस्से में ज्यादा रिस्क वाली, हाई इक्विटी स्कीम में लगा सकते हैं. इससे आपको अपनी इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी को अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से कंजर्वेटिव और एग्रेसिव दोनों तरीके से चलाने का मौका मिलेगा.
पहले तक आप अपने एक पैन कार्ड के तहत एक ही निवेश विकल्प प्रति टियर चुन सकते थे और पेंशन फंड भी एक ही क्लास में एक ही स्कीम ही ऑफर कर पाते थे, जो आपकी पसंद को सीमित करता था.
अब नई मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क (Multiple Scheme Framework - MSF) में आपका पैन आपके लिए यूनिक आईडी बनेगा, और आप अलग-अलग पेंशन स्कीम्स अपने पैन से बना सकेंगे, चाहे वे अलग-अलग CRA के हों. यानी अब आपकी पसंद और नियंत्रण दोनों बढ़ गए हैं. ये बदलाव निवेशकों को अपनी जोखिम और लाभ की पसंद के अनुसार अपने पैसे को कई रास्तों में बांटने का फुल फ्रीडम देंगे.
लिक्विडिटी में ढील
अब NPS में 15 साल की मिनिमम वेस्टिंग पीरियड का मतलब है कि आप पुराने नियमों की तुलना में जल्दी निकासी कर सकते हैं. यह खासकर उन लोगों के लिए अच्छी खबर है जो अपने 20 साल या 30 साल की उम्र में NPS शुरू करते हैं और बाद में कुछ फ्लेक्सिबिलिटी चाहते हैं.
इसके अलावा, पेंशन फंड अब आपकी उम्र और काम के हिसाब से स्कीम कस्टमाइज कर सकेंगे. मतलब, सेल्फ-एम्प्लॉइड प्रोफेशनल, गिग-इकोनॉमी के वर्कर्स या कॉर्पोरेट एम्प्लॉयी के लिए अलग-अलग जरूरतों के मुताबिक पेंशन की योजना बनाई जा सकेगी. इससे रिटायरमेंट के लिए आपके पास और भी पर्सनलाइज्ड और सही विकल्प होंगे, जो आपकी खास जरूरतों के मुताबिक होंगे.
बताया जा रहा है कि यह बदलाव नई पीढ़ी के निवेशकों के लिए बेहतरीन है क्योंकि इससे उन्हें अपनी पेंशन स्कीम को अपनी लाइफस्टाइल और करियर के हिसाब से ढालने का मौका मिलेगा. आसान भाषा में कहें तो अब आप जल्दी पैसे निकाल सकेंगे और आपकी पेंशन स्कीम आपकी प्रोफेशनल जिंदगी के मुताबिक बनी होगी, जिससे हर किसी के लिए यह ज्यादा उपयोगी और सुविधाजनक हो जाएगा.
PFRDA ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में और ज्यादा लचीलापन देने के लिए कुछ नए प्रस्ताव जारी किए हैं, जो अभी चर्चा-अधीन हैं. इन प्रस्तावों में मुख्य बातें हैं:
अब एग्जिट के समय आप अपनी जमा राशि का 80% तक का लंपसम निकाल सकेंगे, जो अभी 60% था.
पेंशन स्कीम्स में एन्युईटी का मिनिमम हिस्सा 40% से घटाकर 20% कर दिया जाएगा.
अब अधिकतम एंट्री उम्र 70 साल से ऊपर बढ़ाने का प्रस्ताव है, साथ ही विस्तार के लिए भी लचीलेपन की कोशिश हो रही है.
इसका मतलब है कि भविष्य में निवेशकों को अपनी पेंशन फंड की निकासी और इस्तेमाल में और ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी, साथ ही अधिक उम्र तक निवेश करने की सुविधा भी बढ़ेगी. ये बदलाव आने वाले समय में पेंशन स्कीम को और अधिक उपयोगी और अनुकूल बनाएंगे.
निर्णय लेने से पहले इन बातों पर कर लें विचार
100% इक्विटी ऑप्शन नया जरूर है, लेकिन इसे देखकर झटपट उसमें कूदना सही नहीं. किसी भी फैसले पर आगे बढ़ने से पहले देखें कि आपकी रिस्क सहने की क्षमता कितनी है, निवेश का समय कितना है, और बाजार के उतार-चढ़ाव को आप कितना झेल सकते हैं.
मिक्स एंड मैच करें: मल्टी-स्कीम ऑप्शन का इस्तेमाल करके अपने निवेश को सुरक्षित (कंजर्वेटिव) और जोखिम भरे (एग्रेसिव) रास्तों के बीच संतुलित बनाए रखें.
अंतिम नियमों पर नजर रखें: अभी ये नियम प्रस्तावित हैं और हाइबरिड स्कीम की शर्तें और निकासी के नियमों में बदलाव हो सकता है.
बेहतर फ्लेक्सिबिलिटी होने के बावजूद, NPS एक लंबी अवधि का निवेश है. इसे रिटायरमेंट के लिए आधार के तौर पर देखें, जल्दी लाभ कमाने के लिए नहीं. आसान भाषा में कहें तो, NPS में आपको नए विकल्प और ज्यादा आज़ादी मिलेगी, लेकिन सोच-समझकर और अपनी जरूरत के हिसाब से निवेश करना होगा. ये योजना एक भरोसेमंद रिटायरमेंट प्लान है, जल्दी मुनाफे के लिए नहीं.