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क्या रिटायरमेंट के लिए काफी होंगे 1 करोड़ रुपये, हिसाब लगाते समय किन बातों का रखें ध्यान

Retirement Planning : 1 करोड़ रुपये का फंड सुनने में बड़ा लगता है, लेकिन क्या इतनी रकम रिटायरमेंट के बाद अगले 25-30 साल तक आपकी जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी है?

Retirement Planning : 1 करोड़ रुपये का फंड सुनने में बड़ा लगता है, लेकिन क्या इतनी रकम रिटायरमेंट के बाद अगले 25-30 साल तक आपकी जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी है?

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Viplav Rahi
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Retirement Planning : क्या रिटायरमेंट के लिए काफी होंगे 1 करोड़ रुपये? समझें पूरा हिसाब (Image : Pixabay)

Retirement Planning : रिटायरमेंट की योजना बनाते समय अक्सर लोगों को लगता है कि 1 करोड़ रुपये की बचत उनके बाकी जीवन के लिए काफी होगी. यह रकम सुनने में बड़ी लगती है और कई सालों की बचत के बाद हासिल होती है. लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह रकम अगले 25-30 साल तक आपकी जरूरतों को पूरा कर पाएगी? जवाब उतना आसान नहीं है, क्योंकि यहां सिर्फ बचत नहीं, बल्कि महंगाई और निवेश से मिलने वाले असली रिटर्न की भी बड़ी भूमिका होती है.

हर साल 5% निकालें तो कैसा रहेगा?

मान लीजिए आप 1 करोड़ रुपये का कॉर्पस (Retirement Corpus) लेकर रिटायर होते हैं और हर साल 5% यानी करीब 5 लाख रुपये निकालकर खर्च करना शुरू करते हैं. बाकी रकम को 50:50 इक्विटी और डेट पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं, जिससे आपको औसतन 8% रिटर्न मिलने की उम्मीद है. शुरुआती सालों में सब कुछ सही लगता है, लेकिन यहां असली चुनौती धीरे-धीरे सामने आती है.

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महंगाई कैसे बदल देती है हिसाब

महंगाई का असर यह होता है कि आज जिन खर्चों को आप 5 लाख रुपये में पूरा कर पा रहे हैं, कुछ साल बाद वही खर्च कहीं ज्यादा रकम मांगेंगे. मान लें अगर महंगाई दर 6% के आसपास बनी रहती है, तो हर 12 साल में आपके खर्चे दोगुने हो जाएंगे. यानी जो 5 लाख रुपये की जरूरत आज है, 20 साल बाद वही खर्च करीब 16 लाख रुपये तक पहुंच सकते हैं.

महंगाई की अनदेखी करना सबसे बड़ी भूल

महंगाई (Inflation) को नजरअंदाज करना रिटायरमेंट प्लानिंग की सबसे बड़ी भूल होती है. अगर आप हर साल अपने खर्चों को बढ़ते भाव के हिसाब से एडजस्ट करते हैं, तो आपकी शुरुआती 5 लाख रुपये की निकासी अगले साल 5.3 लाख हो जाएगी, उसके बाद 5.62 लाख और फिर हर साल इसी तरह बढ़ती जाएगी.

भले ही आपके निवेश से 8% रिटर्न मिल रहा हो, लेकिन महंगाई घटाने के बाद असल रिटर्न सिर्फ करीब 1.8% ही रह जाता है. यही वजह है कि 25 साल होते-होते आपका कॉर्पस लगभग पूरा खत्म हो सकता है. अगर 25 साल बाद आपकी सारी जमा पूंजी खत्म हो गई, तो जीवन के उस दौर में गुजारा मुश्किल हो सकता है.

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पैसे निकालने की दर घटाने पर क्या होगा?

एक दूसरा विकल्प यह हो सकता है कि आप अपने रिटायरमेंट कॉर्पस से हर साल 5% की बजाय सिर्फ 4% निकालने से शुरुआत करें. यानी पहले साल 4 लाख रुपये. इसके बाद हर साल महंगाई के हिसाब से इसमें थोड़ी बढ़ोतरी करें. इस स्थिति में आपकी रकम कुछ साल ज्यादा चल सकती है, लेकिन इसका मतलब यह भी होगा कि आपको अपने खर्चों में कटौती करनी होगी. ऐसा करने पर 30 साल बाद भले ही आपके पास हो सकता है 10-12 लाख रुपये बचे रह जाएं, लेकिन तब उस रकम की असली वैल्यू बहुत कम रह जाएगी. यानी 90 की उम्र में आपको पैसों की तंगी का सामना करना पड़ेगा.

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1 करोड़ अब उतनी बड़ी रकम नहीं 

कुल मिलाकर बात ये है कि 1 करोड़ रुपये की जो पूंजी पहले जीवनभर के लिए काफी नजर आती थी, वो अब काफी नहीं रह गई है. इसके पीछे तीन बड़ी वजहें हैं.
पहली वजह ये कि महंगाई लगातार आपके पैसों की असली वैल्यू को कम करती रहती है.
दूसरे, निवेश से मिलने वाला रिटर्न पहली नजर में ज्यादा लग सकता है, लेकिन रियल रेट ऑफ रिटर्न कम होता है.
तीसरा कारण ये है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च और दूसरी अचानक आने वाली जरूरतें आपके बजट को बिगाड़ देती हैं.

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रिटायरमेंट की सही तैयारी जरूरी 

रिटायरमेंट की तैयारी सिर्फ बचत करने से पूरी नहीं होती. इसके लिए ऐसी रणनीति चाहिए, जिसमें खर्च, महंगाई और निवेश का सही बैलेंस होना जरूरी है. आपको यह सोचना होगा कि पैसों को किस तरह निकालें ताकि लंबे समय तक आपका जीवन आराम से चल सके. इसके लिए पोर्टफोलियो प्लानिंग पर ध्यान देना और महंगाई को ध्यान में रखकर योजना बनाना बेहद जरूरी है. कुल मिलाकर सच्चाई यही है कि 1 करोड़ रुपये की रकम सुनने में भले ही बड़ी लगती हो, लेकिन लंबे समय तक जिंदगी गुजारने के लिए इसे पर्याप्त नहीं माना जा सकता. 

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