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अगर आप न्यू टैक्स रिजीम चुनते हैं, तो भी NPS में एंप्लॉयर के कंट्रीब्यूशन पर टैक्स में अच्छी-खासी बचत कर सकते हैं. (AI Generated Image)
How To Use NPS to Save Income Tax in New Tax Regime : अगर आप नौकरी करते हैं और इनकम टैक्स बचाने के तरीके खोज रहे हैं, तो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करना आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. दरअसल, NPS में निवेश पर मिलने वाले कुछ टैक्स बेनिफिट्स न्यू टैक्स रिजीम में भी मौजूद हैं. कई लोग सोचते हैं कि न्यू टैक्स रिजीम में ज्यादातर डिडक्शन खत्म हो गए हैं, लेकिन NPS में एंप्लॉयर के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाला फायदा इसमें भी मिलता है. इतना ही नहीं, प्राइवेट कर्मचारियों के लिए तो NPS में एप्लॉयर कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाला बेनिफिट तो ओल्ड टैक्स रिजीम के मुकाबले न्यू रिजीम में ज्यादा है.
NPS में निवेश पर कैसे होती है टैक्स की बचत
दिसंबर 2009 में लॉन्च हुआ NPS का प्राइवेट कॉरपोरेट सेक्टर मॉडल, एम्प्लॉईज प्रॉविडेंट फंड (EPF) के साथ-साथ कर्मचारियों को रिटायरमेंट के लिए अतिरिक्त सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. इसमें कंपनियां अपने अपने कर्मचारियों को NPS में निवेश का ऑप्शन दे सकती हैं. इसके लिए कंपनी को NPS सिस्टम में ऑनबोर्ड किया जाता है और एक कॉरपोरेट कोड दिया जाता है. इसके बाद उस कंपनी के कर्मचारी NPS की एंप्लॉयर के कंट्रीब्यूशन पर आधारित स्कीम का बेनिफिट ले सकते हैं.
कॉरपोरेट NPS में एंप्लॉयर और एम्प्लॉयी के कंट्रीब्यूशन के लिए कई अलग-अलग पैटर्न मौजूद हैं. कॉर्पोरेट एनपीएस के अंतर्गत, एंप्लॉयर इनमें से किसी एक कंट्रीब्यूशन पैटर्न का ऑप्शन चुन सकते हैं:
- एंप्लॉयर और कर्मचारी द्वारा बराबरी से कंट्रीब्यूशन
- एंप्लॉयर और कर्मचारी द्वारा अलग-अलग रकम का कंट्रीब्यूशन
- केवल कर्मचारी द्वारा कंट्रीब्यूशन
- केवल एंप्लॉयर द्वारा कंट्रीब्यूशन
न्यू टैक्स रिजीम में एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन का फायदा
न्यू टैक्स रिजीम में भी NPS पर मिलने वाला एक बड़ा टैक्स फायदा बना हुआ है. अगर आपके एंप्लॉयर आपकी बेसिक सैलरी और डीए की 14% तक रकम NPS में जमा करते हैं, तो यह रकम इनकम टैक्स से छूट के दायरे में आती है. हालांकि, यह छूट 7.5 लाख रुपये की कुल सीमा में शामिल है, जिसमें EPF, सुप्रान्यूएशन (Superannuation) फंड और NPS में एंप्लॉयर के कंट्रीब्यूशन को जोड़कर गिना जाता है.
इसका मतलब है कि अगर आपके एंप्लॉयर का कुल कंट्रीब्यूशन (EPF + Superannuation + NPS) 7.5 लाख रुपये तक है, तो यह पूरी रकम टैक्स-फ्री रहेगी. सबसे अच्छी बात यह है कि सेक्शन 80CCD(2) के तहत मिलने वाला यह फायदा पुराने और नए, दोनों टैक्स रिजीम में उपलब्ध है.
सबसे खास बात ये है कि न्यू टैक्स रिजीम में सरकारी और प्राइवेट, दोनों कर्मचारियों के लिए एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन की लिमिट वेतन के 14% के बराबर है. वहीं, ओल्ड रिजीम में प्राइवेट कर्मचारियों के लिए यह लिमिट 10% ही है. यानी एनपीएस पर एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन का फायदा न्यू टैक्स रिजीम में ज्यादा है.
सरकारी कर्मचारियों के लिए खास नियम
सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS में एंप्लॉयर का कंट्रीब्यूशन ज्यादा फायदेमंद है. यहां सरकार बेसिक सैलरी और डीए का 14% तक NPS में डाल सकती है, जो टैक्स छूट के दायरे में आता है. पुराने टैक्स रिजीम में यह छूट 14 लाख रुपये तक हो सकती है, जबकि न्यू टैक्स रिजीम में भी वही 7.5 लाख रुपये की समग्र सीमा लागू रहती है.
यानी अगर आप न्यू टैक्स रिजीम चुनते हैं, तो भी NPS में एंप्लॉयर के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाली छूट से अच्छी-खासी टैक्स बचत कर सकते हैं. यह न केवल आपकी मौजूदा टैक्स देनदारी को कम करता है, बल्कि रिटायरमेंट के लिए मजबूत फंड भी तैयार करता है. ऐसे में अगर आपके पास NPS का विकल्प है, तो इसे जरूर अपनाना चाहिए.
पुरानी टैक्स रिजीम में NPS पर एक्स्ट्रा बेनिफिट
हालांकि पुरानी टैक्स रिजीम में NPS पर एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन के अलावा भी टैक्स बचत का एक्स्ट्रा बेनिफिट मिलता है. सेक्शन 80C के तहत आप सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश टैक्स छूट पा सकते हैं. इसके अलावा, सेक्शन 80CCD(1B) में NPS के लिए अलग से 50,000 रुपये तक की एक्स्ट्रा छूट भी मिलती है. यानी पुरानी रिजीम में आप NPS के जरिये कुल 2 लाख रुपये तक के निवेश फर इनकम टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं.