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NSC Interest Rate : इंडिया पोस्ट के अनुसार 5 साल की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट स्कीम पर 7.7 फीसदी का सालाना कंपाउंडिंग ब्याज मिल रहा है. (Pixabay)
NSC, National Savings Certificate : नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) गारंटीड रिटर्न वाली सरकारी स्कीम है. यह फिक्स्ड इनकम निवेश का विकल्प है, जो मॉडरेट या कन्जर्वेटिव निवेशकों में पॉपुलर है. 5 साल की यह सरकारी स्कीम देशभर में पोस्ट ऑफिस में शुरू की जा सकती है, जिसमें न्यूनतम 1000 रुपये से अकाउंट खोला जा सकता है. हालांकि अधिकतम जमा के लिए कोई लिमिट नहीं है. नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बेनेफिट भी लिया जा सकता है.
Interest Rate on NSC : कितना मिल रहा है ब्याज
इंडिया पोस्ट के अनुसार 5 साल की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट स्कीम पर 7.7 फीसदी का सालाना कंपाउंडिंग ब्याज मिल रहा है. इस स्कीम में ब्याज सालाना कंपाउंडेड होता है और मैच्योरिटी पर पेयबल होता है. 5 साल बाद मैच्योरिटी पर आप इस स्कीम को रिन्यू नहीं कर सकते हैं. मैच्योरिटी के बाद NSC में निवेश जारी रखने के लिए, आपको लागू ब्याज दर के साथ एक नया NSC सर्टिफिकेट खरीदना होगा.
कितने वैल्यू के मिलते हैं सर्टिफिकेट
NSC में 100, 500, 1000, 5000, 10,000 या इससे ज्यादा के सर्टिफिकेट मिलते हैं. इसमें निवेश करने की कोई सीमा नहीं है. यानी आप कितने भी सर्टिफिकेट खरीद सकते हैं.
NSC: 15 लाख निवेश पर 5 साल में कितना फायदा
वन टाइम डिपॉजिट : 15 लाख रुपये
ब्याज दर: 7.7% सालाना कंपाउंडेड
टेन्योर: 5 साल
मैच्योरिटी पर अमाउंट: 21,73,551 रुपये
ब्याज का फायदा: 6,73,551 रुपये
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Tax Rules in NSC : इनकम टैक्स के नियम
NSC में निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. हालांकि यह छूट 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर ही मिलती है. पहले 4 साल तक एनएससी से मिले ब्याज को फिर से निवेश कर दिया जाता है, इसलिए टैक्स में छूट दी जाती है. हालांकि एनएससी के 5 साल पूरे होने पर उसे फिर से निवेश नहीं कर सकते, इसलिए ब्याज से हुई कमाई पर टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगता है. इंटरेस्ट अमाउंट पर TDS नहीं लगता (TDS Rule in NSC) है.
ITR में दिखाएं कमाई
एनएससी में जो निवेश किया जाता है, मूलधन 5 साल बाद ब्याज के साथ जोड़ कर मिलता है. टैक्स रिटर्न भरते समय इस बात का ध्यान रखना होता है कि आईटीआर में हर साल एक्रूड इंटरेस्ट इनकम के तौर पर दिखाना होता है. सीबीडीटी का नियम कहता है कि हर साल के आईटीआर में एनएससी के ब्याज की कमाई को दिखाना जरूरी होता है. मान लें आपने एनएससी में 1 लाख रुपये निवेश किया है और 7.7 फीसदी के हिसाब से ब्याज मिल रहा है, तो हर साल 7700 रुपये की कमाई को आईटीआर में दिखाना जरूरी होगा.