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Debt Fund : ये ओपन-एंडेड डेट स्कीमें हैं. ये फंड एक दिन में मैच्योर होने वाली सिक्योरिटीज में पैसा लगाते हैं. (AI Image)
Overnight Funds : अगर आप लिक्विडिटी को ध्यान में रखकर शॉर्ट टर्म के लिए निवेश के विकल्प तलाश रहे हैं तो ओवरनाइट फंड बेहतर विकल्प हैं. ये लिक्विडिटी के मामले में लिक्विड फंड से आगे हैं. यहां स्कीम की मैच्योरिटी महज एक दिन की होती है. इन फंड में बाजार के उतार चढ़ाव के जोखिम से निवेशकों को आमतौर पर सुरक्षा मिलती है. इन स्कीमों पर ब्याज दरों में बदलाव और किसी सिक्योरिटीज के डिफॉल्ट का फर्क नहीं पड़ता है. यह एक तरह का डेट म्यूचुअल फंड है.
ये ओपन-एंडेड डेट स्कीमें हैं. ये फंड एक दिन में मैच्योर होने वाली सिक्योरिटीज में पैसा लगाते हैं. इन स्कीमों में फंड मैनेजर रोजाना आधार पर सिक्योरिटीज खरीदते हैं. ये सिक्योरिटीज एक दिन में मैच्योर हो जाती हैं.
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इस फंड में क्यों रिस्क है कम
इस स्कीम में 100 फीसदी रकम कोलैटरलाइज्ड बॉरोइंग और लेंडिंग ऑब्लिगेशन (CBLO) मार्केट में निवेश किया जाता है, जिससे रिस्क बहुत कम हो जाता है. CBLO इंस्टूमेंट में मेच्योरिटी 1 दिन की हो सकती, इससे लिक्विडिटी की समस्या भी नहीं है. हालांकि 1 दिन मेच्योरिटी होने से इनमें रिटर्न बेहद कम है, लेकिन सुरक्षित.
कैसे काम करता है फंड
यह एक डेट फंड फंड है जो एक दिन में मेच्योर होने वाले बॉन्ड में निवेश करता है. हर कारोबारी दिन की शुरुआत में बॉन्ड खरीदे जाते हैं जो अगले कारोबारी दिन मेच्योर होते हैं. फंड मैनेजर कैश लेकर और अधिक बॉन्ड खरीदेते हैं. अगर कोई बॉन्ड एक कारोबारी दिन में मेच्योर होता है तो अगले दिन आरबीआई द्वारा किए गए बदलाव का उस पर असर नहीं होता है. इस दौरान बॉन्ड जारी करने वाले की क्रेडिट रेटिंग बदलती है तो भी कीमत प्रभावित नहीं होती है.
असल में सरकार या बड़े निगमों को एक दिन के लिए अतिरिक्त कैश की जरूरत होती है, इसलिए वे उधार लेते हैं. अगले दिन अगर उनके पास अतिरिक्त कैश हो जाता है तो वे अन्य कंपनियों को उधार देते हैं, नहीं तो फिर से ओवरनाइट फंड के जरिए उधार लेते हैं.
7 दिन का एनुअलाइज्ड रिटर्न
ट्रस्ट म्यूचुअल फंड ओवरनाइट फंड : 5.57 फीसदी
बैंक ऑफ इंडिया ओवरनाइट फंड : 5.50 फीसदी
मिरे एसेट ओवरनाइट फंड : 5.47 फीसदी
इन्वेस्को इंडिया ओवरनाइट फंड : 5.43 फीसदी
बजाज फिनसर्व ओवरनाइट फंड : 5.42 फीसदी
ओवरनाइट फंड : पॉजिटिव और निगेटिव
ओवरनाइट फंड में लिक्विडिटी बहुत बेहतर है, ये हाई लिक्विड फंड होते हैं. इसमें जब जरूरत हो तब पैसे निकाल सकते हैं. इसमें निवेशक पर रिस्क बहुत कम होता है क्योंकि लेंडिंग पीरियड कम होने के चलते क्रेडिट या डिफॉल्ट से जुड़ा रिस्क नहीं होता है. इसमें निवेश बहुत कम वोलेटाइल होता है.
रिटेल निवेशकों के लिए निगेटिव यह है कि ओवरनाइट फंड में रिटर्न बहुत ज्यादा नहीं मिलता है. ऐसे में हाई रिटर्न चाहते हैं और कुछ रिस्क उठा सकते हैं तो ओवरनाइट की बजाय कोई और विकल्प देख सकते हैं.
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टैक्स के क्या हैं नियम
ओवरनाइट फंड डेट फंड्स की कैटेगरी में आता है तो इस पर टैक्सेशन भी डेट फंड के हिसाब से लगेगा. ये स्कीम उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं जो छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं. कपनियां इस तरह की स्कीम में करोड़ों रुपये लगाती हैं. कारण है कि बड़ी रकम के साथ थोड़ा भी उतार-चढ़ाव काफी असर डालता है. हालांकि, खुदरा निवेशकों के लिए ओवरनाइट फंडों में अतिरिक्त रिटर्न कमा पाना मुश्किल होता है.
(डिस्क्लेमर: फाइनेंशियल एक्सप्रेस डिजिटल हिंदी किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं देता है. निवेश करने से पहले स्वयं पड़ताल करें या अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें.)