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PPF पर फिर नहीं बढ़ा ब्याज, तो क्या NPS है बेहतर ऑप्शन? कहां मिलेगा कितना रिटर्न

PPF vs NPS : सरकार ने 1 जुलाई 2024 से भी पीपीएफ की ब्याज दर नहीं बढ़ाई. तो क्या निवेशकों को अब रिटायरमेंट के लिए एनपीएस जैसे दूसरे विकल्पों में निवेश करना चाहिए?

PPF vs NPS : सरकार ने 1 जुलाई 2024 से भी पीपीएफ की ब्याज दर नहीं बढ़ाई. तो क्या निवेशकों को अब रिटायरमेंट के लिए एनपीएस जैसे दूसरे विकल्पों में निवेश करना चाहिए?

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Viplav Rahi
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PPF vs NPS: रिटायरमेंट के लिए निवेश करना हो तो क्या बेहतर है, पीपीएफ या एनपीएस? (Image: Pixabay)

PPF vs NPS : which is better investment option for retirement: पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) पर 1 जुलाई से शुरू हो रही मौजूदा तिमाही के लिए कितना ब्याज मिलेगा, इसका एलान किया जा चुका है. सरकार ने इस बार भी PPF की ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है. दरअसल, पीपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर में आखिरी बार बदलाव अप्रैल-जून 2020 तिमाही में हुआ था. तभी से पीपीएफ पर सालाना ब्याज की दर 7.1 फीसदी पर बनी हुई है. इन 4 सालों के दौरान अन्य कई छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में इजाफा किया गया, रिजर्व बैंक ने अपनी नीतिगत ब्याज दरें (Policy Interest Rates) भी कई बार बढ़ाईं, लेकिन पीपीएफ के रेट नहीं बढ़ाए गए. इसलिए लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या हमें अब भी पीपीएफ में निवेश करना चाहिए या एनपीएस जैसे दूसरे विकल्पों की तरफ देखना चाहिए? 

रिटायरमेंट के लिए कहां करें निवेश

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड मुख्य तौर पर ऐसी लंबी अवधि की स्कीम है, जिसमें तमाम लोग अपने रिटायरमेंट के लिए निवेश करते हैं. लेकिन 4 साल तक इस स्कीम की ब्याज दरें नहीं बढ़ाए जाने के बाद कई निवेशकों के मन में यह सवाल उठ सकता है कि क्या हमें रिटायरमेंट के लिए कुछ और विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए. अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं, तो खास तौर पर रिटायरमेंट के मकसद से लॉन्च की गई एनपीएस जैसी स्कीम पर भी विचार कर सकते हैं.

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नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) क्या है

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) सरकार के समर्थन से लॉन्च की गई ऐसी लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट स्कीम है, जिसका मकसद लोगों को रिटायरमेंट फंड के साथ ही साथ आजीवन पेंशन मुहैया कराना है. यह स्कीम इक्विटी में निवेश के जरिए बेहतर रिटर्न जेनरेट करती है, लेकिन इसमें पीपीएफ की तरह गारंटीड रिटर्न नहीं मिलता. NPS के टियर 1 अकाउंट में एक साल के दौरान 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. मैच्योरिटी आपके रिटायरमेंट पर होती है, लेकिन पूरा फंड एकमुश्त नहीं मिलता. कम से कम 40 फीसदी रकम से एन्युइटी खरीदनी पड़ती है, जिसके एवज में आपको पेंशन मिलती है. मैच्योरिटी पर मिलने वाली एकमुश्त रकम पर टैक्स नहीं लगता, लेकिन पेंशन की रकम टैक्सेबल है.

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NPS में निवेश की अलग-अलग कैटेगरी

NPS के टियर 1 अकाउंट में डाले गए आपके पैसों को तीन एसेट क्लास में बांटकर निवेश किया जा सकता है. 1. E यानी इक्विटी (Equity), 2. C यानी कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate bonds) और, 3. G यानी सरकारी सिक्योरिटीज/बॉन्ड्स (Government Securities). एनपीएस में एक्टिव च्वॉयस (Active Choice) का विकल्प चुनने वाले निवेशक ये तय कर सकते हैं कि उनके पैसों को इन तीनों एसेट क्लास में किस हिसाब से बांटा जाएगा, लेकिन किसी भी हालत में इक्विटी में निवेश 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा. लेकिन जो निवेशक ऑटो च्वायस का विकल्प चुनते हैं, उनके निवेश का एसेट एलोकेशन उनकी उम्र के हिसाब से किया जाता है, जिसका फॉर्मूला पहले से तय है. 

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NPS में निवेश पर पिछले 10 साल का रिटर्न

स्कीम E (टियर 1) 

UTIRSL : 14.53%.

HDFC-PF : 14.36%, 

ICICI-PF : 14.18%

Kotak-PF : 14.14%

LIC-PF : 13.28%

SBI-PF : 13.45%



स्कीम G (टियर 1)

LIC-PF : 9.64%

SBI-PF : 9.20%

Kotak-PF : 9.16%

HDFC-PF : 9.15% 

ICICI-PF : 9.07%

UTIRSL : 8.88%.



स्कीम C (टियर 1)

HDFC-PF : 8.98%, 

ICICI-PF : 8.90%

SBI-PF : 8.74%

LIC-PF : 8.66%

UTIRSL : 8.44%.

Kotak-PF : 8.41%

क्या कहते हैं NPS के आंकड़े 

एनपीएस पर पिछले रिटर्न के आंकड़े साफ बताते हैं कि यह स्कीम पीपीएफ के 7.1 फीसदी सालाना ब्याज की तुलना में काफी बेहतर रिटर्न दे रही है. सिर्फ इक्विटी में ज्यादा निवेश करने वाली स्कीम E ही नहीं, सरकारी बॉन्ड्स में पैसे लगाने वाली स्कीम G और कॉरपोरेट बॉन्ड्स में निवेश करने वाली स्कीम C के सालाना रिटर्न भी पीपीएफ की तुलना में काफी बेहतर हैं. लंबी अवधि के निवेश में रिटर्न का इतना अंतर काफी मायने रखता है. इसे आप नीचे दिए कैलकुलेशन की मदद से भी समझ सकते हैं. 

PPF में 15 साल के निवेश पर अनुमानित रिटर्न 

अगर पीपीएफ में रिटर्न की दर 7.1 फीसदी मान लें, तो 1.5 लाख रुपये की अधिकतम सालाना लिमिट के हिसाब से, 15 साल तक हर महीने 12,500 रुपये निवेश करने पर कितना रिटर्न मिलेगा, इसका कैलकुलेशन नीचे दिया है : 

PPF की सालाना ब्याज दर : 7.1% 

मंथली डिपॉजिट : 12,500 रुपये 

15 साल में कुल डिपॉजिट : 22,50,000 रुपये 

15 साल बाद मैच्योरिटी अमाउंट : 39,44,599 रुपये (ब्याज को मिलाकर)

15 साल में मिला कुल ब्याज : 16,94,599 रुपये 



NPS में 15 साल के निवेश पर अनुमानित लाभ

एनपीएस में स्कीम E, G और C पर रिटर्न की दरें अलग-अलग हैं. लेकिन अगर हम एक अनुमानित दर 10 फीसदी भी मान लें, जो सरकारी बॉन्ड वाली स्कीम G के रिटर्न से थोड़ा ही अधिक है, तो 15 साल में SIP के जरिये किए गए निवेश पर रिटर्न का आंकड़ा कुछ इस तरह होगा: 

NPS पर सालाना अनुमानित रिटर्न : 10% 

मंथली SIP : 12,500 रुपये 

15 साल में कुल निवेश : 22,50,000 रुपये 

15 साल में जमा कुल कॉर्पस : 52,24,053 रुपये

15 साल में हुआ मुनाफा : 29,74,053 रुपये


रिटर्न के मामले में NPS काफी आगे

हालांकि एनपीएस में अधिकतम 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है, लेकिन हमने तुलना में आसानी के लिए सालाना 1.5 लाख रुपये के निवेश पर ही कैलकुलेशन दिया है. इस कैलकुलेशन से साफ जाहिर है कि हर महीने उतनी ही रकम इनवेस्ट की जाए, तो 15 साल में एनपीएस पर मिलने वाला कुल अनुमानित लाभ (29,74,053 रुपये), पीपीएफ से मिलने वाले कुल ब्याज (16,94,599 रुपये) के मुकाबले से काफी अधिक है. लेकिन सिर्फ रिटर्न के आधार पर फैसला करने से पहले PPF की कुछ खास बातों को समझना भी जरूरी है.

PPF की इन खूबियों पर गौर करना जरूरी

पीपीएफ की ब्याज दर में भले ही चार साल से इजाफा नहीं हुआ हो, लेकिन इस स्कीम की दो ऐसी खूबियां हैं, जिनकी वजह से लोग अब तक इसमें निवेश कर रहे हैं. पहली खूबी तो ये है कि इनकम टैक्स के लिहाज से पीपीएफ एक ‘ट्रिपल ई’ (EEE) स्कीम है. यानी इसमें न सिर्फ सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है, बल्कि इस पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाला पूरा अमाउंट भी पूरी तरह टैक्स-फ्री है. पीपीएफ की दूसरी बड़ी खूबी इसमें किए गए निवेश का पूरी तरह सुरक्षित होना है. सरकारी गारंटी वाली योजना होने के कारण आपके पैसे पूरी तरह सेफ रहते हैं और इस पर हर तीन महीने में घोषित ब्याज के मिलने की भी गारंटी रहती है. अब ये फैसला निवेशकों को करना है कि वे बेहतर सुरक्षा और टैक्स लाभ के लिए पीपीएफ में निवेश करना चाहते हैं या ज्यादा संभावित रिटर्न के लिए एनपीएस का रुख करते हैं. या फिर अपने पैसे को दोनों स्कीमों में बांटकर इनवेस्ट करते हैं. 

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