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PPF और NPS में कौन-सा विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है? (Image : Freepik)
PPF vs NPS : भारत में रिटायरमेंट के लिए निवेश करने के लिहाज से पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) दो सबसे लोकप्रिय योजनाएं हैं. दोनों स्कीम लॉन्ग टर्म सेविंग्स को बढ़ावा देती हैं, लेकिन इनकी निवेश रणनीति और रिस्क-रिटर्न प्रोफाइल अलग-अलग हैं. PPF मुख्य तौर पर सुरक्षित निवेश और टैक्स सेविंग के लिए सही स्कीम है, जबकि NPS का फोकस रिटायरमेंट के लिए एक मजबूत कॉर्पस तैयार करने पर रहता है. यहां हम टैक्स, रिटर्न और जोखिम के आधार पर PPF और NPS की तुलना करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि कौन-सा विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है.
NPS क्या है?
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) एक रिटायरमेंट-फोकस्ड पेंशन योजना है, जो भारत सरकार द्वारा समर्थित है, लेकिन इसमें रिटर्न गारंटीड नहीं बल्कि मार्केट पर आधारित है. यह योजना 18 से 70 वर्ष के भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है और उन्हें अपने रिटायरमेंट के लिए एक मजबूत फंड बनाने में मदद करती है.
NPS में दो तरह के खाते होते हैं – टियर I और टियर II. टियर I खाता रिटायरमेंट के लिए अनिवार्य रूप से डिजाइन किया गया है, जिससे आप रिटायरमेंट तक पैसे नहीं निकाल सकते. इसमें निवेश करने पर सेक्शन 80C और 80CCD(1B) के तहत टैक्स छूट मिलती है. वहीं, टियर II खाता एक वैकल्पिक खाता है, जिससे आप कभी भी पैसे निकाल सकते हैं, लेकिन इसमें कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता.
NPS की विशेषताएं और फायदे
विशेषज्ञों द्वारा फंड मैनेजमेंट – NPS में निवेश आपके लिए अनुभवी फंड मैनेजरों द्वारा मैनेज किया जाता है, जिससे आपको बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना रहती है.
टैक्स बेनिफिट्स – NPS टियर I खाते में निवेश करने पर सेक्शन 80C और 80CCD(1B) के तहत टैक्स छूट मिलती है.
निकासी के लचीले नियम – 60 वर्ष की उम्र होने पर आप अपनी कुल जमा रकम का 60% हिस्सा टैक्स-फ्री निकाल सकते हैं, जबकि 40% रकम से आपको एन्युइटी खरीदनी होती है, जिससे रिटायरमेंट के बाद नियमित पेंशन मिलती है.
हाई रिटर्न की संभावना – NPS में निवेश मार्केट से जुड़ा होता है, इसलिए इसमें 10% या उससे अधिक सालाना रिटर्न मिलने की संभावना रहती है, हालांकि इसमें जोखिम भी होता है.
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पब्लिक प्रॉविडेंट फंड क्या है?
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) भारत सरकार द्वारा संचालित एक सुरक्षित निवेश योजना है, जिसे लॉन्ग-टर्म सेविंग्स और टैक्स सेविंग के उद्देश्य से शुरू किया गया था. इसमें एक वित्त वर्ष के दौरान कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है.
PPF खाते पर 15 साल का लॉक-इन लागू होता है. लेकिन कुछ शर्तों के तहत 7 साल बाद आंशिक निकासी की अनुमति होती है. PPF में मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है. इसलिए इसे टैक्स सेविंग के लिए एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है.
PPF की विशेषताएं और फायदे
पूरी तरह सुरक्षित निवेश – PPF में निवेश पर सरकार की गारंटी है, इसलिए इसमें किसी भी तरह का बाजार से जुड़ा जोखिम नहीं होता है.
टैक्स फ्री स्कीम – इसमें मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट दोनों टैक्स-फ्री होते हैं.
फिक्स्ड रिटर्न – PPF की ब्याज दर सरकार द्वारा हर तीन महीने में तय की जाती है, जो अभी 7.1% है.
लॉन्ग टर्म सेविंग्स – 15 साल के लॉक-इन पीरियड के कारण यह बचत करने की आदत विकसित करने में मदद करता है.
NPS और PPF में आपके लिए क्या बेहतर है?
NPS और PPF में कौन-सा बेहतर है, यह समझने के लिए रिस्क, रिटर्न और टैक्स बेनिफिट पर गौर करना होगा. NPS का निवेश मार्केट से जुड़ा होता है, इसलिए इसमें कुछ हद तक जोखिम होता है. वहीं, PPF पूरी तरह सुरक्षित योजना है, क्योंकि इसे सरकार गारंटी देती है. अगर आप बिना जोखिम के सेविंग्स करना चाहते हैं, तो PPF आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. लेकिन NPS में मार्केट के प्रदर्शन के आधार पर 10% या उससे अधिक सालाना रिटर्न मिल सकता है. वहीं PPF की मौजूदा ब्याज दर 7.1% के आसपास है. अगर आप बेहतर रिटर्न चाहते हैं और जोखिम उठाने को तैयार हैं, तो NPS एक अच्छा विकल्प हो सकता है. वैसे तो दोनों योजनाएं निवेश पर इनकम टैक्स (Income Tax) बचाने का मौका देती हैं, लेकिन PPF ट्रिपल ई (EEE – Exempt, Exempt, Exempt) यानी तीनों स्तरों पर टैक्स फ्री स्कीम है. वहीं NPS में निवेश पर तो टैक्स छूट मिलती है, लेकिन एन्युइटी पर टैक्स लागू होता है. टैक्स सेविंग के लिहाज से PPF अधिक लाभदायक विकल्प है.
कुल मिलाकर NPS और PPF दोनों ही सरकारी योजनाएं हैं, लेकिन उनकी विशेषताएं अलग-अलग हैं. अगर आप बिना किसी जोखिम के गारंटीड रिटर्न और टैक्स फ्री सेविंग्स चाहते हैं, तो PPF आपके लिए बेहतर है. वहीं, अगर आपका लक्ष्य रिटायरमेंट के लिए बड़ा कॉर्पस बनाना है और आप थोड़ा जोखिम लेने को तैयार हैं, तो NPS एक अच्छा विकल्प हो सकता है. आप इन बातों को ध्यान में रखते हुए अपनी वित्तीय स्थिति, जोखिम सहने की क्षमता और निवेश के उद्देश्य के आधार पर सही विकल्प चुन सकते हैं.