/financial-express-hindi/media/media_files/2025/03/03/IN8KcvU7ygNOCzg1Y4Cx.jpg)
PSB loan write-off : पिछले 5 साल में सरकारी बैंकों ने 5.82 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज राइट-ऑफ किए हैं. (Image : Pixabay)
PSU banks write off loans over Rs 5.82 lakh crore: पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान सरकारी बैंकों ने 5.82 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज को राइट-ऑफ किया है. यह जानकारी सरकार ने संसद में दी है. हालांकि, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने साफ किया कि राइट-ऑफ का मतलब कर्ज माफ करना नहीं होता, बल्कि बैंक इस रकम को वसूल करने की कोशिश इसके बाद भी जारी रखते हैं.
सबसे ज्यादा राइट-ऑफ 2020-21 में
सरकारी बैंकों द्वारा कर्ज राइट-ऑफ करने का सिलसिला लगातार जारी है. वित्त वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा 91,260 करोड़ रुपये रहा, जबकि 2023-24 में यह 1.15 लाख करोड़ रुपये था. सबसे ज्यादा राइट-ऑफ 2020-21 में हुआ, जब 1.33 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बैंकों ने अपने खातों से हटा दिया. इसके बाद 2021-22 में 1.16 लाख करोड़ और 2022-23 में 1.27 लाख करोड़ रुपये के कर्ज राइट-ऑफ किए गए.
DA Arrear : केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगा 18 महीने का बकाया डीए? संसद में सरकार ने दिया ये जवाब
वसूली में सिर्फ 28% रकम वापस
पिछले 5 साल में सरकारी बैंकों ने राइट-ऑफ किए गए कर्ज में से करीब 1.65 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है. यह कुल राइट-ऑफ रकम का सिर्फ 28% है. यानी बाकी रकम अब भी फंसी हुई है. बैंकों का कहना है कि वसूली की प्रक्रिया जारी है और कई मामलों में लंबा समय लग सकता है.
ITR फाइल करने से पहले ऐसे करें LTCG का कैलकुलेशन, सही जानकारी से घट सकती है आपकी टैक्स देनदारी
राइट-ऑफ का मतलब कर्ज माफी नहीं
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि रिजर्व बैंक के नियमों और बैंकों की बोर्ड द्वारा मंजूर नीतियों के तहत, 4 साल पूरे होने के बाद और पूरी प्रोविजनिंग करने के बाद एनपीए खातों को राइट-ऑफ किया जा सकता है. इसका मतलब यह नहीं है कि उधार लेने वाले को फायदा हुआ या उनका कर्ज माफ हो गया. उधारकर्ता की जिम्मेदारी बनी रहती है और बैंक वसूली की कार्रवाई करते रहते हैं.
वसूली के लिए जारी है कानूनी कार्रवाई
सरकारी बैंक राइट-ऑफ खातों की वसूली के लिए अलग-अलग कानूनी रास्ते अपनाते हैं. इसमें सिविल कोर्ट में केस दर्ज करना, डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) में मामले दाखिल करना, और दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में केस दाखिल करना शामिल है. इसके अलावा, SARFAESI एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जाती है. सिर्फ 2024-25 में इस कानून के तहत 2,15,709 मामलों में कार्रवाई कर 32,466 करोड़ रुपये की वसूली हुई है.
एचडीएफसी म्यूचुअल फंड की 5 इक्विटी स्कीम 1 साल में रहीं फिसड्डी, क्या है इन आंकड़ों का मतलब
मुद्रा योजना में 21.68 लाख करोड़ का लोन
इसके साथ ही, पंकज चौधरी ने बताया कि पिछले पांच साल में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत देशभर में 21.68 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज दिया गया है. यह योजना छोटे और मझोले कारोबारियों को बिना गारंटी लोन देने के लिए शुरू की गई थी.