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Explained : एग्जम्प्शन और डिडक्शन, दोनों से इनकम टैक्स बचता है, लेकिन इनमें फर्क क्या है? (Image : Pixabay)
Explained : How income tax exemptions are different from tax deductions: इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय या टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते समय टैक्स एग्जम्प्शन और टैक्स डिडक्शन का जिक्र बार-बार आता है. आमतौर पर टैक्स एग्जम्प्शन को हिंदी में टैक्स से छूट और डिडक्शन को टैक्स में कटौती कहते हैं. ज्यादातर टैक्सपेयर्स को ये तो मालूम है कि इन दोनों का संबंध टैक्स में राहत मिलने से है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में दरअसल बुनियादी फर्क क्या है? आज हम इसी की चर्चा करेंगे.
टैक्स डिडक्शन क्या है?
टैक्स डिडक्शन का मतलब है, ऐसे निवेश या खर्च जिन्हें आप अपनी कुल आय से घटा सकते हैं. डिडक्शन का बेनिफिट क्लेम करने पर आपकी कर योग्य आय यानी टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है. टैक्स डिडक्शन का लाभ इनकम टैक्स एक्ट के कई अलग-अलग सेक्शन या धाराओं के तहत मिलता है, जिनके उदाहरण और लिस्ट आप यहां देख सकते हैं.
निवेश और खर्चों पर डिडक्शन : सेक्शन 80C
इनकम टैक्स एक्ट का यह सेक्शन (Section 80c) सबसे प्रमुख डिडक्शन है, जिसका फायदा एंप्लॉईज प्रॉविडेंट फंड (EPF), पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) और जीवन बीमा के प्रीमियम जैसे कई तरह के इनवेस्टमेंट करने पर मिलता है. इस सेक्शन के तहत एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
होम लोन के ब्याज पर डिडक्शन : सेक्शन 24(b)
अगर आपने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया है, तो सेक्शन 24(b) के तहत आप इस लोन के लिए किए जाने वाले ब्याज के भुगतान पर एक साल में 2 लाख रुपये तक का इनकम टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम :सेक्शन 80D
आप अपने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम की जिस रकम का भुगतान करते हैं, उस पर भी सेक्शन 80D के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है. इस सेक्शन के तहत एक वित्त वर्ष के दौरान कितना डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है, यह उन लोगों की उम्र और कवरेज पर निर्भर है, जिनका हेल्थ इंश्योरेंस कराया गया है.
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डिडक्शन का लाभ देने वाली धाराएं
सेक्शन 80 के कई सब-सेक्शन हैं, जिनके तहत मिलने वाले डिडक्शन की लिस्ट (Section 80 Deduction List) इस प्रकार है:
सेक्शन 80C के तहत कई तरह के इनवेस्टमेंट्स पर टैक्स बेनिफिट मिलता है.
सेक्शन 80CCC के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स बेनिफिट मिलता है.
सेक्शन 80CCD के तहत पेंशन कंट्रीब्यूशन पर टैक्स बेनिफिट मिलता है.
सेक्शन 80TTA के तहत सेविंग्स अकाउंट के ब्याज पर टैक्स बेनिफिट मिलता है.
सेक्शन 80GG के तहत हाउस रेंट पर ऐसे लोगों को टैक्स बेनिफिट मिलता है, जिन्हें कंपनी से HRA नहीं मिलता.
सेक्शन 80E के तहत एजुकेशन लोन के ब्याज पर टैक्स बेनिफिट मिलता है.
सेक्शन 80EE के तहत होम लोन के ब्याज पर पहली बार घर खरीदने वालों को कुछ शर्तों के साथ टैक्स बेनिफिट (सेक्शन 24b के अलावा) मिलता है.
सेक्शन 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस पर टैक्स बेनिफिट मिलता है.
टैक्स एग्जम्पशन क्या है?
टैक्स एग्जम्पशन का मतलब है, ऐसी आमदनी, जिसे इनकम टैक्स के लिहाज से आपकी टैक्सेबल इनकम में शामिल नहीं माना जाता. यानी यह रकम आपकी टैक्सेबल इनकम से बाहर रहती है. यानी डिडक्शन में जहां किसी निवेश या खर्च के आधार पर क्लेम की गई रकम को आपकी टैक्सेबल इनकम से घटा दिया जाता है, वहीं एग्जम्पशन के तहत आने वाली आय को आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ा ही नहीं जाता है.
टैक्स एग्जम्पशन के उदाहरण
1. हाउस रेंट अलाउंस (HRA):अगर आपके सैलरी पैकेज में एंप्लॉयर की तरफ से हाउस रेंट अलाउंस यानी HRA शामिल है, तो आप सेक्शन 10(13A) के तहत इस पर एग्जम्पशन हासिल कर सकते हैं. टैक्स में यह छूट उस रकम पर मिलेगी, जो आपको मिलने वाले HRA, किराये की वास्तविक रकम और आपके वेतन के 10% हिस्से में से कम होगी.
2. लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA): अगर आपको अपने एंप्लॉयर से छुट्टियों के दौरान की गई सपरिवार यात्रा के लिए LTA यानी लीव ट्रैवल अलाउंस मिलता है, तो उस पर सेक्शन 10(5) के तहत टैक्स एग्जम्पशन मिलता है.
3. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) :इक्विटी में किए गए निवेश पर एक वित्त वर्ष के दौरान होने वाले 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर सेक्शन 112A के तहत टैक्स एग्जम्पशन मिलता है. इक्विटी के अलावा प्रॉपर्टी और कुछ अन्य एसेट क्लास से होने वाले कैपिटल गेन पर भी सेक्शन 54, 54F, 54EC समेत कई अलग-अलग धाराओं के तहत कुछ शर्तें पूरी करने पर टैक्स एग्जम्पशन मिलता है.
4. रिश्तेदारों से गिफ्ट, खेती से होने वाली आय :भारत में एग्रीकल्चरल इनकम यानी खेती से होने वाली आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता है. अगर आपकी आय का मुख्य जरिया खेती है, तो आपको उस आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. इसके अलावा शादी के दौरान मिलने वाले गिफ्ट और एग्जम्पशन की सूची में शामिल परिवार के सदस्यों से मिले तोहफे भी टैक्सेबल इनकम में शामिल नहीं किए जाते हैं.
एग्जम्पशन और डिडक्शन दोनों से घटती है टैक्स देनदारी
टैक्स एग्जम्पशन और डिडक्शन दोनों ही आपकी टैक्स देनदारी को कम करते हैं. इसलिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि दोनों में क्या अंतर है. मोटे तौर पर इसे ऐसे समझ सकते हैं कि टैक्स एग्जम्पशन आपकी आमदनी का वह हिस्सा है जो टैक्स के दायरे में नहीं आता है. दूसरी तरफ टैक्स डिडक्शन ऐसे खर्च या निवेश होते हैं जिन्हें आप अपनी कुल टैक्सेबल इनकम से घटाकर टैक्स में छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं. इस बात की अच्छी समझ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (Income Tax Filing) करते समय आपके काफी काम आ सकती है.