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RBI : आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि बैंक अकाउंट और लॉकर पर क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा. (AI Image)
Bank Account, Locker Claim New Rules : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक खाते में डिपॉजिट रकम और लॉकर में रखी ज्वैलरीया अन्य कीमती सामान के क्लेम के निपटान की प्रक्रिया को आसान और एक जैसा (स्टैंडर्ड) बनाने का एलान किया है. यानी अब किसी बैंक खाताधारक या लॉकर लेने वाले की मौत के बाद उसके बैंक खाते और लॉकर से जुड़े क्लेम की प्रक्रिया आसान होगी. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि क्लेम के सेटलमेंट की प्रक्रियाकोआसानऔरपारदर्शी बनाया जाएगा.
इस पहल का उद्देश्य क्लेम सेटलमेंट को अधिक पारदर्शी, आसान और ग्राहकों के अनुकूल बनाना है, ताकि मृतक खाताधारकों के नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े. और वे बिना किसी परेशानी के बैंक खातों और लॉकर की चीजों पर अपना हक प्राप्त कर सकें.
अभी लंबी और जटिल है प्रक्रिया
बता दें कि बैंक अकाउंट (Deposit) और लॉकर (Bank Locker) के क्लेम सेटलमेंट के लिए अभीतकबैंकों द्वारा अलग-अलग प्रक्रियाएं अपनाई जाती रही हैं. जिससे नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारियों को रकम या कीमती सामान पर हक पाने में मुश्किलें आती हैं और देरी भी होती है. क्लेम सेटलमेंट से संबंधित नियमों के मानकीकृत होने से यह समस्या दूर होगी.
मौजूदा नियम क्या हैं?
हर बैंक को एक स्पष्ट और बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी बनानी होती है, जो यह बताए कि मृत ग्राहक के खातों या लॉकर से जुड़ा दावा कैसे निपटाया जाएगा. यह पॉलिसी RBI के नियमों और IBA (इंडियन बैंक्स एसोसिएशन) द्वारा बनाए गए मॉडेल ऑपरेशनल प्रोसीजर के अनुसार होनी चाहिए. अगर बैंक राज्य या केंद्रीय सहकारीबैंकहै, तोयहप्रक्रियाNABARD द्वाराबनाईगई मॉडेल ऑपरेशनल प्रोसीजरकेअनुसारहोनीचाहिए.
बैंकोंकोएकबोर्डद्वारामंजूरकीगईनीतिबनानीहोगी, जोयहतयकरेकिसेफ्टीलॉकरयासुरक्षितरखेगएसामानको नॉमिनी व्यक्तिकोकैसेसौंपाजाए, औरदूसरेलोगोंद्वाराकिएगएदावोंसेउसनामांकितव्यक्तिकोकैसेसुरक्षादीजाए.
यहसबकुछबैंकिंगरेगुलेशनएक्ट, 1949 की धारा 45 ZC से 45 ZF, और नॉमिनेशन नियम 1985 (बैंकिंग कंपनियों व सहकारी बैंकों दोनों के लिए), इंडियन कांट्रैक्ट एक्टऔर भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम केतहत होना चाहिए.
यह सुनिश्चितकरने के लिए किलॉकर या सुरक्षित सामान सही नामांकित व्यक्तिको ही लौटाया जाए, और मृत्यु प्रमाण की सही जांच हो सके, बैंक को अपने क्लेम फॉर्मेट्स खुद तैयार करने होते हैं, जो सभी लागू कानूनों और नियमों के अनुसार होंगे.
क्लेम सेटलमेंट की टाइम लिमिट
आरबीआई नेयह निर्देश दिया हुआ है कि बैंकोंकोयह सुनिश्चित करनाहोगा कि मृत व्यक्तिके लॉकर से जुड़ा क्लेम अधिकतम 15 दिनों के अंदर निपटा दिया जाए, और लॉकर का सामान सर्वाइवर या नॉमिनी को सौंप दिया जाए. यह समय सीमा क्लेम की अर्जी मिलने की तारीख से मानी जाएगी. बशर्ते कि मृत व्यक्ति की डेथ सर्टिफिकेट और क्लेम करने वाले व्यक्ति की पहचान, नामांकन के अनुसार, बैंक को संतोषजनक रूप से मिल जाए.