/financial-express-hindi/media/media_files/2025/03/25/xckn6BkI5aq3DnEuKddT.jpg)
Investment Tips :(Pixabay)
Retirement Readiness; A 5-Step cheat sheet : आपने शायद बचपन में सोचा होगा कि रिटायरमेंट एक ऐसा समय होगा जब आप आराम करेंगे और एक जीवनभर की मेहनत और नियमित आय के फल का आनंद लेंगे. लेकिन आजकल रिटायरमेंट काफी जटिल हो चुका है.
ऐसा क्यों कहते हैं हम? लंबी जीवनअवधि, लगातार बढ़ रही महंगाई और मेडिकल खर्चों ने रिटायरमेंट के परिदृश्य में बड़ा बदलाव किया है, क्योंकि परिवार अब ज्वॉइंट से सिंगल फैमिलीज में बदल रहे हैं. फाइनेंशियल लिटरेसी और कई बेहतर निवेश विकल्प के बावजूद आबादी की बहुत बड़ा हिस्सा आज भी अपनी आखिरी सैलरी के बाद की जिंदगी के बारे में अंजान हैं. रिटायरमेंट की योजना सिर्फ बचत से नहीं बल्कि इस बात की भी है कि आप इसके बाद की जिंदगी सम्मानपूर्वक और सुकून से जी सकें.
हां, आप शायद पहले से ही वित्तीय लक्ष्यों के बारे में सोच रहे होंगे, जैसे घर खरीदना, शिक्षा के लिए पैसे जमा करना, या रिटायरमेंट के लिए बचत करना. लेकिन रिटायरमेंट एक दूर की चीज़ लगती है और यही वजह है कि इसे टालना आसान हो जाता है. सच्चाई यह है कि जितनी जल्दी आप इसकी योजना बनाना शुरू करते हैं, उतना ही अधिक नियंत्रण आपको अपने भविष्य पर मिलता है.
जब लोग वित्तीय नियोजन की शुरुआत करते हैं, तो सांस्कृतिक परंपराएं, पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ और तात्कालिक जरूरतें अक्सर रिटायरमेंट प्लानिंग को पीछे धकेल देती हैं. 2020 में पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के एक सर्वे के अनुसार, 51% से भी कम भारतीयों के पास कोई रिटायरमेंट योजना है. ऐसे में एक बदलते सामाजिक-आर्थिक माहौल में यह ज़रूरी है कि हम रिटायरमेंट प्लानिंग को विलासिता नहीं, एक आवश्यकता के रूप में देखें.
अब, रिटायरमेंट के लिए तैयार होने के 5 कदमों पर चर्चा करने से पहले, आइए यह समझते हैं कि आखिर क्यों हम में से ज्यादातर लोग रिटायरमेंट के लिए सही तरीके से तैयार नहीं हो पा रहे हैं.
क्यों ज्यादातर भारतीयों के पास रिटायरमेंट के बाद का वित्तीय योजना नहीं है? शायद आपके पास अभी तक रिटायरमेंट का प्लान नहीं है और आप ऐसे अकेले नहीं हैं. इसके पीछे बहुत से कारण हैं, जिनमें से एक गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक विश्वास हैं. पारंपरिक रूप से, माता-पिता अपने बुढ़ापे में अपने बच्चों पर निर्भर रहते थे, चाहे बच्चों का जीवन कैसा भी हो. लेकिन हाल के सालों इसमें काफी बदल हुआ है, क्योंकि सिंगल फैमिलीज का चलन बढ़ा है और युवा पीढ़ी में फाइनेंशियल फ्रीडम भी अधिक हो गई है. जब परिवारों (चाहे पारंपरिक हों या न हों) में बदलाव आता है, तो कई लोग ओल्डएज में खुद को वित्तीय रूप से तैयार नहीं पाते हैं.
रिटायरमेंट प्लान न होने का एक प्रमुख वजह ये है कि लोग सरकार या कंपनी (एंप्लायर) द्वारा प्रदान किए गए रिटायरमेंट प्लान, जैसे EPF या PPF, पर बहुत ज्यादा निर्भर रहते हैं. ये विकल्प रिटायरमेंट के दौरान सहारा देने में मददगार होते हैं, लेकिन ये आमतौर पर रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं, खासकर तब जब महंगाई लगातार बढ़ रही है और बढ़ी हुई लाइफ एक्सपेटेंसी के कारण अब हममें से ज्यादातर लोग लंबी उम्र तक जी रहे हैं. बहुत से लोग मानते हैं कि उन्होंने अपने पूरे रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त बचत कर ली है, लेकिन वे अक्सर लगातार बढ़ रहे मेडिकल खर्च और उम्र बढ़ने के साथ होने वाली जीवनशैली की जरूरतों का सही तरीके से हिसाब नहीं लगा पाते.
रिटायरमेंट की योजना अक्सर अन्य आवश्यक लक्ष्यों, जैसे बच्चों की शिक्षा, घर खरीदना, या जीवनयापन करने, के कारण टाल दी जाती है, जब तक कि यह लोगों के मन में प्राथमिकता नहीं बन जाती. ज्यादातर लोग रिटायरमेंट प्लानिंग को गंभीरता से अपने 40s या 50s में ही सोचना शुरू करते हैं; इस समय तक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हुए कंपाउंडिंग के लाभ उठाना अक्सर बहुत देर हो चुका होता है. अगर वे अपनी बचत को बढ़ाते भी हैं, तो वे आमतौर पर टैक्स-एफिशिएंट तरीकों को ध्यान में नहीं रखते और अपनी बचत को विविधीकृत नहीं करते, क्योंकि उनके पास सही जानकारी की कमी होती है.
एक और महत्वपूर्ण बात जिसे आपको ध्यान में रखना चाहिए, वह है रिटायरमेंट के बाद स्वास्थ्य से जुड़ी बढ़ी हुई जोखिम. स्वास्थ्य देखभाल महंगाई में बढ़ोतरी, जो अब उपभोक्ता महंगाई से भी तेज़ हो रही है, का मतलब है कि अगर उनके पास उचित स्वास्थ्य बीमा या इमरजेंसी के लिए बचत नहीं है, तो उनकी बचत जल्दी खत्म हो रही है, चाहे वे कितनी भी मनोरंजन गतिविधियाँ करें. यह स्थिति तब और बढ़ जाती है जब लोग पर्याप्त रूप से वित्तीय रूप से तैयार नहीं होते, जब उन्हें अप्रत्याशित और एकबारगी खर्चों का सामना करना पड़ता है, जो वे अपनी बुजुर्गावस्था में अनुभव करेंगे, खासकर बुनियादी जीवनशैली बनाए रखने के लिए. इसलिए, भारत की बढ़ती उम्र की जनसंख्या के लिए रिटायरमेंट के लिए वित्तीय योजना बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
Also read : भारत का सेंट्रल बैंक खूब खरीद रहा है सोना, क्या आप भी जितना चाहें उतना रख सकते हैं Gold?
अब सवाल यह उठता है कि इस स्थिति को कैसे सुधारा जाए? हमने आपकी मदद के लिए पांच जरूरी स्टेप्स की एक लिस्ट बनाई है
जल्दी करें शुरुआत
उदाहरण के लिए रिया की उम्र 25 साल है और वह एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव है. वह हर महीने सिर्फ 2,000 रुपये एक म्यूचुअल फंड में लगाती है. जब वह 60 साल की होगी, तो उसका पैसा 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो सकता है.
असल बात यह है कि अगर आप जल्दी शुरू करते हैं, तो थोड़ा-थोड़ा पैसा भी समय के साथ बहुत बढ़ सकता है. बात ये नहीं है कि शुरुआत में आप कितना बड़ा अमाउंट लगाते हैं, बल्कि यह मायने रखता है कि आप कितने समय तक और कितनी नियमितता से निवेश करते हैं. अक्सर लोग अपने शुरुआती खर्चों को देखकर रिटायरमेंट की बचत टालते रहते हैं, लेकिन अगर आप 20 की उम्र में निवेश की आदत डाल लें, तो आगे चलकर आपका भविष्य सुरक्षित हो सकता है.
सही रिटायरमेंट प्लान चुनें
मिसाल के लिए शर्मा जी अब 60 साल के हैं और हाल ही में रिटायर हुए हैं. उन्होंने अपने म्यूचुअल फंड से हर महीने 25,000 रुपये निकालने के लिए सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान (SWP) शुरू किया है. यह पैसा उनकी पेंशन के अलावा है, जिससे उन्हें हर महीने खर्च चलाने में आसानी होती है.
रिटायरमेंट के लिए अलग-अलग जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कई निवेश विकल्प बनाए गए हैं:
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS): यह एक लंबी अवधि का निवेश है, जो टैक्स बचत के साथ आपकी संपत्ति बढ़ाने में मदद करता है.
सीनियर सिटीज़न सेविंग्स स्कीम (SCSS): यह बुजुर्गों के लिए सुरक्षित निवेश विकल्प है, जिसमें तयशुदा रिटर्न मिलता है.
एन्युटी प्लान्स: ये प्लान्स रिटायरमेंट के बाद जीवन भर के लिए निश्चित इनकम देते हैं.
SWP (सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान): इसके जरिए आप अपने निवेश से हर महीने एक तय राशि निकाल सकते हैं, जिससे आपकी मासिक जरूरतें पूरी होती रहें.
ये विकल्प मिलकर रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा और नियमित इनकम सुनिश्चित करने में मदद करते हैं.
Also read : Gold Tax Rules: गोल्ड में इन्वेस्ट करने का कर रहे हैं प्लान, पहले समझ लें टैक्स के नियम
फाइनेंशियल लिटरेसी बढ़ाने से बनेगी बात
मिसाल के लिए बिहार के एक क्षेत्रीय बैंक ने स्थानीय भाषाओं में पेंशन और बचत पर वर्कशॉप्स कीं. इसका नतीजा यह हुआ कि वहां नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में लोगों के जुड़ने की संख्या तीन गुना बढ़ गई.
दरअसल, लोगों में जागरूकता की कमी ही रिटायरमेंट प्लानिंग न होने की सबसे बड़ी वजह है, न कि उनकी लापरवाही. इसलिए जरूरी है कि युवाओं को शुरू से ही रिटायरमेंट की जानकारी दी जाए और साथ ही बुजुर्गों और मध्य आयु वर्ग तक भी ऐसी बातें उनके समझ के तरीके से पहुंचाई जाएं.
शहरों में लोग डिजिटल टूल्स की मदद से जानकारी हासिल कर सकते हैं, जबकि गांवों और कस्बों में स्कूलों, बैंकों, नियोक्ताओं और NGOs के माध्यम से स्थानीय भाषा में सरल जानकारी दी जानी चाहिए. अगर सही समय पर सही जानकारी दी जाए, तो लोगों की सोच और आदतें समय रहते बदली जा सकती हैं.
60 की उम्र से पहले स्वास्थ्य बीमा लेना न भूलें
मिसाल के लिए अनिता ने 45 साल की उम्र में 10 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस लिया था. अब जब वह 65 साल की हैं और उन्हें 4 लाख रुपए की सर्जरी करानी पड़ी, तो उन्हें इसका खर्चा नहीं देना पड़ा क्योंकि उन्होंने पहले कम प्रीमियम भरकर इंश्योरेंस लिया था.
भारत में मेडिकल महंगाई हर साल लगभग 14% बढ़ रही है. इसका मतलब यह है कि रिटायरमेंट के बाद आपकी आमदनी स्थिर रहती है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी अनचाहे खर्चे अचानक बढ़ सकते हैं.
जब आप जवान होते हैं, तब हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम कम होता है और वह कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा भी देता है, जैसे कि पहले से मौजूद बीमारियाँ. बिना हेल्थ इंश्योरेंस के अस्पताल जाना भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है.
हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ एक सुरक्षा कवच है, जो आपको अचानक होने वाले बड़े खर्चों से बचाता है. यह रिटायरमेंट की योजना में बहुत जरूरी है ताकि आप अपने पुराने दिनों में अनहोनी मेडिकल खर्चों से अपने पैसे सुरक्षित रख सकें — चाहे वह ऑपरेशन हो, टेस्ट हों, डॉक्टर के पास जाना हो या दवाइयां लेना हो.
फाइनेंशियल एक्सपर्ट से लें सलाह
उदाहरण के लिए रमेश, 45 साल के हैं. जब उनके पिता बीमार हुए, तब उन्होंने रिटायरमेंट की योजना बनानी शुरू की. उन्होंने एक फाइनेंशियल प्लानर से मदद ली, जिसने उनके लिए एनपीएस, कुछ म्यूचुअल फंड्स और एक इंश्योरेंस योजना शामिल करते हुए 2 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया, जो 60 साल की उम्र तक पूरा हो सके.
फाइनेंशियल प्लानर आपकी तरह एक जीपीएस की तरह काम करता है, जो आपको सही दिशा दिखाता है ताकि आप महंगी गलतियाँ न करें और अपने वित्तीय लक्ष्य तक पहुंच सकें. वे आपकी उम्र, जोखिम सहनशीलता और भविष्य के खर्चों के अनुसार एक खास योजना बनाते हैं. साथ ही टैक्स बचत और आकस्मिक जरूरतों के लिए भी सुझाव देते हैं, जिससे आपको मन की शांति मिले.
रिटायरमेंट आपके कामकाजी जीवन का अंत हो सकता है, लेकिन यह आपके मेहनत की कमाई को समझदारी से खर्च करने की शुरुआत भी है. रिटायरमेंट प्लानिंग कभी भी शुरू करने के लिए देर नहीं होती. जीवनकाल बढ़ रहा है, स्वास्थ्य खर्च भी बढ़ रहे हैं, और परिवार के स्वरूप में बदलाव आ रहे हैं, इसलिए रिटायरमेंट प्लानिंग अब एक विकल्प नहीं, बल्कि जरूरी हो गई है.