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Retirement Planning After 50 : सही रणनीति अपनाई जाए, तो देर से शुरुआत करने वाले भी रिटायरमेंट का बेहतर इंतजाम कर सकते हैं. (Image : Pixabay)
Retirement Planning After 50 : अगर आपने 50 की उम्र तक रिटायरमेंट की योजना नहीं बनाई है, तो यह चिंता की बात हो सकती है, लेकिन सही रणनीति अपनाई जाए, तो कुछ हद इस देरी की भरपाई की जा सकती है. बेहतर भविष्य के लिए आपको अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करके निवेश और बचत का मजबूत प्लान बनाना होगा. आइए जानते हैं कि कैसे आप इस चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं.
सबसे पहले लोन खत्म करने पर ध्यान दें
अगर आपके पास कोई बड़ा कर्ज है, जैसे होम लोन या पर्सनल लोन, तो सबसे पहले इसे निपटाने पर ध्यान देना चाहिए. लोन का बोझ न केवल आपकी आमदनी को सीमित करता है, बल्कि ब्याज की अतिरिक्त लागत भी आपके लिए आर्थिक लक्ष्य हासिल करने को और मुश्किल बना सकती है. लोन को जल्द निपटाने के लिए आप एक्सट्रा EMI भरने पर विचार कर सकते हैं या बोनस समेत किसी भी तरह की अतिरिक्त आमदनी का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक बार लोन खत्म हो जाए तो आपका मंथली कैश फ्लो बढ़ जाएगा और आपके पास निवेश के लिए ज्यादा पैसे बचेंगे, जिन्हें आप अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
गारंटीड रिटर्न पॉलिसी से बचें
बहुत से लोग गारंटीड रिटर्न पॉलिसियों को सुरक्षित विकल्प मानते हैं, लेकिन इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से ऑफर की जाने वाली इन योजनाओं में आमतौर पर 3-4% तक ही रिटर्न मिलता है. यह रिटर्न इंफ्लेशन यानी महंगाई दर को एडडस्ट करने के बाद और भी कम, यहां तक कि निगेटिव भी हो जाता है. साथ ही, ये योजनाएं आपके पैसों को काफी लंबी अवधि के लिए फंसा भी देती हैं, जिससे आपको बेहतर रिटर्न देने वाले दूसरे ऑप्शन्स का लाभ नहीं मिल पाता. इसलिए गारंटीड रिटर्न पॉलिसी की बजाय, आपको म्यूचुअल फंड जैसे हाई-रिटर्न देने वाले विकल्पों में निवेश करना चाहिए, जो लॉन्ग टर्म में वित्तीय लक्ष्य हासिल करने के लिए बेहतर रहते हैं.
म्यूचुअल फंड में करें लॉन्ग टर्म निवेश
म्यूचुअल फंड, विशेष रूप से इंडेक्स फंड और फ्लेक्सी-कैप फंड, रिटायरमेंट के लिए कॉर्पस तैयार करने का एक मजबूत विकल्प हैं. इन फंड्स में निवेश करने से आपको सालाना 10-12% तक रिटर्न मिल सकता है. उदाहरण के लिए, अगर आप हर साल 2 लाख रुपये का निवेश करते हैं, तो यह 10 साल में एक बड़े फंड में बदल सकता है. इसके अलावा, ये फंड डायवर्सिफिकेशन का फायदा देते भी हैं, जिससे रिस्क मैनेजमेंट यानी जोखिम प्रबंधन भी बेहतर तरीके से होता है.
डायवर्सिफिकेशन पर जोर दें
डायवर्सिफिकेशन यानी अपने पैसों को अलग-अलग एसेट्स और स्कीम में बांटकर निवेश करना, आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है. अपने निवेश को इक्विटी, डेट और गोल्ड जैसे अलग-अलग एसेट्स में बांटकर इनवेस्ट करें. इससे आपको न सिर्फ हाई रिटर्न पाने का मौका मिलेगा, बल्कि जोखिम को कम करने में भी मदद मिलेगी. डायवर्सिफिकेशन से आपका पोर्टफोलियो बाजार में उथल-पुथल का सामना भी अच्छी तरह कर पाएगा.
सिस्टमैटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) अपनाएं
रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम यानी नियमित आय की जरूरत पड़ती है. इसके लिए सिस्टमैटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) एक शानदार विकल्प है. SWP आपको आपके निवेश से रेगुलर इंटर्वल पर एक तय रकम निकालने की सुविधा देता है. यह योजना आपको स्टेबल इनकम हासिल करने में मदद करती है और साथ ही आपका मूलधन यानी प्रिंसिपल अमाउंट भी समय के साथ बढ़ता रहता है. SWP टैक्स-एफिशिएंट भी होता है, क्योंकि इसमें केवल लाभ पर टैक्स लगता है. यह तरीका आपको लंबे समय तक फाइनेंशियल स्टेबिलिटी यानी आर्थिक स्थिरता दे सकता है.
नियमित निवेश और अनुशासन बनाए रखें
किसी भी निवेश रणनीति की सफलता अनुशासन और नियमित रूप से निवेश करने पर निर्भर करती है. हर महीने एक तय रकम का निवेश करना आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों के करीब ले जाएगा. कम्पाउंडिंग का असर समय के साथ आपके निवेश को तेज़ी से बढ़ा सकता है. इसलिए, चाहे आप किसी भी स्कीम को सेलेक्ट करें, उसमें लॉन्ग टर्म व्यू के साथ रेगुलर इनवेस्टमेंट जारी रखें.
अगर आप इन उपायों पर अमल करेंगे, तो 50 साल की उम्र के बाद भी रिटायरमेंट के लिए अच्छी तरह तैयारी कर पाएंगे. देर से शुरुआत करने के कारण आपको थोड़ा अधिक अनुशासन दिखाना होगा, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ सुकून की जिंदगी बिताने और बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है.