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Long vs Short Duration Debt Funds : डेट फंड में निवेश करने वालों के लिए क्या है बेहतर विकल्प? (Image : Pixabay)
Debt Fund Investment: Long vs Short Duration Funds: डेट फंड्स की कैटेगरी में पिछले एक साल में सबसे ज्यादा रिटर्न लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स ने दिया है. इस बेहतर प्रदर्शन की वजह से बड़ी संख्या में निवेशकों का ध्यान इन फंड्स की तरफ गया है. न सिर्फ इस कैटेगरी में फंड का निवेश बढ़ा है, बल्कि कई नए लॉन्ग ड्यरेशन डेट फंड्स लॉन्च भी हुए हैं. लेकिन क्या हाल के शानदार प्रदर्शन के कारण इसमें निवेश करना सही फैसला होगा? या लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स का पिछले एक साल का प्रदर्शन एक अपवाद था, जिसकी उम्मीद सामान्य तौर पर नहीं की जा सकती है?
लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स का 1 साल का प्रदर्शन
लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स ने पिछले एक साल के दौरान औसतन 11.4% रिटर्न दिए हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के डेटा बेस में मौजूद सभी 7 लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स के डायरेक्ट प्लान का 1 साल का रिटर्न 11.27 से 12.42 फीसदी के बीच रहा है.
दूसरे डेट फंड्स ने कितना दिया रिटर्न
लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स की तुलना में टॉप 10 मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स के डायरेक्ट प्लान का 1 साल का रिटर्न 9.30% से 10.41% के बीच रहा है. वहीं टॉप 10 शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स के डायरेक्ट प्लान का 1 साल का रिटर्न 8.67% से 9.94% है. यानी पिछले एक साल के रिटर्न के लिहाज से इन सभी कैटेगरीज में लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स ने बाजी मार ली है. तो क्या इसका मतलब ये निकाला जाए कि जिन निवेशकों को डेट फंड में पैसे लगाने है, उन्हें अब लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स का ही रुख करना चाहिए? दरअसल इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले आपको ये समझना होगा कि पिछले 1 साल के दौरान लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स के रिटर्न इतने बेहतर क्यों रहे हैं? साथ ही यह भी समझना होगा कि यह एक सामान्य ट्रेंड है या कोई अपवाद?
लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स का 5 और 10 साल का रिटर्न
लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स ने 1 साल में भले ही 11.4% औसत रिटर्न दिया हो, लेकिन इनका पिछले 5 साल का औसत रिटर्न 6.88% और 10 साल का औसत रिटर्न 8.17% ही रहा है. ये आंकड़े बताते हैं कि हाल का अच्छा प्रदर्शन एक अस्थायी प्रवृत्ति है. लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स की सफलता मुख्य रूप से हाल ही में कुछ विशेष आर्थिक कारणों पर आधारित है.
लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स 1 साल में क्यों दिया बेहतर रिटर्न?
जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होना : भारतीय सरकारी बॉन्ड्स को इसी दौरान जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किया गया है. इससे विदेशी निवेशकों की ओर से बड़े पैमाने पर निवेश आया, जिससे बॉन्ड की कीमतें बढ़ीं.
ब्याज दरें पीक पर होने का अनुमान : निवेशकों को लगता है कि ब्याज दरें चरम पर पहुंच चुकी हैं और भविष्य में और बढ़ने की बजाय घटने के आसार हैं. इस उम्मीद में वे मौजूदा बॉन्ड्स के हाई यील्ड का लाभ लेना चाहते हैं, जिससे इनकी मांग बढ़ी है.
बॉन्ड्स और ब्याज दरों का रिश्ता
यह बात समझना भी जरूरी है कि ब्याज दरें घटने पर पुराने बॉन्ड्स की डिमांड और कीमतें बढ़ जाती हैं. जिससे उनका रिटर्न भी बढ़ता है. इससे उलट ब्याज दरें बढ़ने पर नए बॉन्ड्स आकर्षक हो जाते हैं, जिससे पुराने बॉन्ड्स की डिमांड और कीमत घटती है. लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स में ज्यादातर निवेश सरकारी बॉन्ड्स में होता है. इस समय इन फंड्स का औसतन 96% पोर्टफोलियो सरकारी बॉन्ड्स में है, जो उनकी हाल की सफलता का बड़ा कारण है.
लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स में कब होता है फायदा?
लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स में बेहतर रिटर्न की गुंजाइश तभी रहती है, जब ब्याज दरों में गिरावट की संभावना नजर आ रही हो. ऐसे में अगर किसी निवेशक को रेट साइकल में गिरावट के दौरान कम समय में ऊंचा रिटर्न हासिल करना हो, तो वे इंटरेस्ट रेट रिस्क उठाकर फायदा कमा सकते हैं. लेकिन यह रणनीति बहुत बेहतर इसलिए नहीं कही जा सकती, क्योंकि डेट फंड में निवेश का मुख्य मकसद ही स्टेबल रिटर्न हासिल करना होता है.
लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स लंबी अवधि के लिए क्यों ठीक नहीं?
आम तौर पर लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स का प्रदर्शन केवल ब्याज दरों में गिरावट के समय ही शॉर्ट ड्यूरेशन फंड से बेहतर हो सकता है. लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स के रिटर्न पर ब्याज दरों में बदलाव और बदलाव की संभावनाओं का काफी असर पड़ता है. इनके रिटर्न में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं, जबकि डेट फंड्स में निवेश का मुख्य मकसद ही स्टेबल रिटर्न हासिल करना होता है. निवेश की अवधि जितनी अधिक होगी, ब्याज दरों में बदलाव की संभावना उतनी ज्यादा होगी. इसीलिए लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स को लंबी अवधि के निवेश के लिए बेहतर नहीं माना जाता.
डेट फंड्स के निवेशक क्या करें?
ऐसे में सवाल यह है कि अगर लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स को निवेश का बेहतर विकल्प नहीं माना जा सकता, तो किन्हें माना जाए? जो लोग डेट फंड्स में पैसे लगाना चाहते हैं, उन्हें कहां इनवेस्ट करना चाहिए? इस सवाल का जवाब जानने के लिए अलग-अलग ड्यूरेशन वाले डेट फंड के पिछले 5 साल के रिटर्न पर एक नजर डालते हैं.
5 साल पुराने सिर्फ दो लॉन्ग ड्यूरेशन फंड हैं, जिनके डायरेक्ट प्लान का 5 साल का सालाना रिटर्न 6.35% से 7.28% रहा है.
टॉप 5 मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स के डायरेक्ट प्लान का 5 साल का रिटर्न 7.04% से 7.56% रहा है.
टॉप 5 शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स के डायरेक्ट प्लान का 5 साल का रिटर्न 7.27% से 8.83% के बीच है.
गौर करने की बात ये भी है कि शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स, लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स या मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स के मुकाबले कम अस्थिर होते हैं और उनकी तुलना में स्टेबल रिटर्न देते हैं. यानी कुल मिलाकर कहें तो इनमें रिस्क और रिटर्न का संतुलन बेहतर होता है. इसलिए डेट में निवेश करने वालों को इन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए. अगर आप स्थिर और कम जोखिम वाले निवेश की तलाश में हैं, तो शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स बेहतर विकल्प होंगे.
(डिस्क्लेमर: इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी देना है किसी स्कीम में निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश से जुड़े फैसले अपने निवेश सलाहकार की राय लेकर ही करें.)