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Mirae Asset NFO : मिरे एसेट म्यूचुअल फंड के नए फंड ऑफर में सब्सक्रिप्शन खुल गया है. (AI Generated Image)
Mirae Asset Multi Factor Passive Fund of Fund (FoF) : मिरे एसेट म्यूचुअल फंड का एक नया फंड ऑफर (New Fund Offer) सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है. मिरे एसेट मल्टी फैक्टर पैसिव FoF नाम से लॉन्च इस स्कीम में आप सिर्फ 99 रुपये से एसआईपी (SIP) शुरू कर सकते हैं. यह स्कीम मल्टी फैक्टर इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी पर आधारित है, जिसका मकसद अलग-अलग मार्केट कंडीशंस में रिस्क को मैनेज करके बेहतर रिस्क एडजस्टेड रिटर्न देना है.
क्या है इस NFO की खासियत
मिरे एसेट मल्टी फैक्टर पैसिव FoF एक ओपन-एंडेड फंड ऑफ फंड है, जो मुख्य रूप से फैक्टर-आधारित डोमेस्टिक इक्विटी ईटीएफ में निवेश करेगा. इस एनएफओ (NFO) में सब्सक्रिप्शन 11 अगस्त 2025 से 25 अगस्त 2025 तक खुला है. जिसके बाद 1 सितंबर 2025 से इसमें रेगुलर खरीद-बिक्री शुरू हो जाएगी. इस एनएफओ में निवेश की शुरुआत मिनिमम 5,000 रुपये से की जा सकती है, जबकि के से कम एसआईपी केवल 99 रुपये से शुरू होगी. स्कीम में कोई लॉक-इन पीरियड नहीं है और एग्जिट लोड सिर्फ 0.05% है, वो भी 5 दिनों के भीतर यूनिट्स बेचने पर. 5 दिनों के बाद ऐसा करने पर कोई लोड नहीं लगेगा.
रिस्क लेवल, फंड मैनेजर और बेंचमार्क
मुख्य रूप से इक्विटी में निवेश करने के कारण इस स्कीम को बहुत अधिक रिस्क (Very High Risk) की रेटिंग मिली है. स्कीम के फंड मैनेजर ऋतेश पटेल हैं, जिनके पास मार्केट में 13 से ज्यादा साल का अनुभव है. इस नई स्कीम का बेंचमार्क NIFTY 500 TRI होगा, जो लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है.
मल्टी फैक्टर इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी क्या है?
मल्टी फैक्टर इन्वेस्टिंग में अलग-अलग ‘स्मार्ट बीटा’ फैक्टर्स जैसे मोमेंटम, लो वोलैटिलिटी, क्वॉलिटी, वैल्यू, इक्वल वेटिंग वगैरह का इस्तेमाल किया किया जाता है. इसमें मोमेंटम फैक्टर के तहत ऐसे स्टॉक्स को चुना जाता है, जिनका हाल का प्रदर्शन अच्छा रहा हो. वहीं, लो वोलैटिलिटी का फैक्टर मार्केट में गिरावट के दौरान नुकसान को कम रखने में मदद करता है. क्वॉलिटी के फैक्टर पर ध्यान देने का मतलब है फाइनेंशियल रूप से मजबूत कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करना. वहीं वैल्यू के फैक्टर का मतलब है ऐसे स्टॉक्स में निवेश करना जो उस वक्त अंडरवैल्यूड नजर आ रहे हों. वहीं, इक्वल वेटेज पर फोकस करने का मतलब हर स्टॉक को बराबर महत्व देना है, ताकि किसी एक स्टॉक पर ज्यादा निर्भरता न रहे.
इस तरह की मल्टी फैक्टर निवेश रणनीति का फायदा यह है कि मार्केट साइकिल के हिसाब से स्कीम एग्रेसिव या डिफेंसिव फैक्टर्स के आधार पर अपना अलोकेशन बदल सकती है, जिससे सिंगल फैक्टर से जुड़ा रिस्क कम होने की उम्मीद रहती है. इस फंड में एलोकेशन का फैसला फंड मैनेजर करेंगे, जिससे निवेशकों को मार्केट टाइमिंग की टेंशन नहीं होगी. साथ ही, फंड के भीतर फैक्टर एलोकेशन बदलने के बावजूद निवेश के ऊपर उसका टैक्स इंपैक्ट नहीं पड़ेगा. वहीं निवेशकों के खुद से एलोकेशन बदलने पर टैक्स लग सकता है.
किनके लिए सही हो सकता है ये फंड
यह मल्टीफैक्टर फंड ऐसे निवेशकों के लिए सही हो सकता है, जो लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं और मार्केट के उतार-चढ़ाव को बर्दाश्त करने की क्षमता रखते हैं. खास तौर पर ऐसे निवेशक, जिनके लिए यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि किस मार्केट सिचुएशन में कौन सा फैक्टर सही रहेगा.
NFO की बड़ी बातें
NFO ओपन: 11 अगस्त 2025
NFO क्लोज: 25 अगस्त 2025
खरीद-बिक्री फिर से शुरू होने की तारीख: 1 सितंबर 2025
मिनिमम लंपसम निवेश: 5,000 रुपये से शुरू
मिनिमम SIP: 99 रुपये से शुरू
बेंचमार्क: NIFTY 500 TRI
एग्जिट लोड: 0.05% (5 दिन के भीतर रिडेम्प्शन पर)
लॉक-इन: नहीं
रिस्क: बहुत अधिक (Very High)
फंड मैनेजर: ऋतेश पटेल
निवेश से पहले ध्यान रखें
एनएफओ में निवेश करने से पहले आपको यह समझना जरूरी है कि स्मार्ट बीटा स्ट्रैटजी हर समय मार्केट से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकती. कुछ समय ऐसे भी हो सकते हैं जब चुने गए फैक्टर्स मार्केट से पीछे रह जाएं. इसलिए इसमें निवेश लंबी अवधि के नजरिये से करना बेहतर है.
(डिस्क्लेमर: इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश से पहले इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह जरूर लें.)