scorecardresearch

Tax Saving in New Regime : न्यू टैक्स रिजीम में भी बचा सकते हैं टैक्स, ये रहे इसके 5 असरदार उपाय

Tax Saving in New Tax Regime : बहुत से लोग सोचते हैं कि न्यू टैक्स रिजीम अपनाने के बाद और टैक्स सेविंग संभव नहीं है. लेकिन कुछ ऐसे स्मार्ट उपाय हैं, जिनकी मदद से आप न्यू टैक्स रिजीम में भी टैक्स बचा सकते हैं.

Tax Saving in New Tax Regime : बहुत से लोग सोचते हैं कि न्यू टैक्स रिजीम अपनाने के बाद और टैक्स सेविंग संभव नहीं है. लेकिन कुछ ऐसे स्मार्ट उपाय हैं, जिनकी मदद से आप न्यू टैक्स रिजीम में भी टैक्स बचा सकते हैं.

author-image
Viplav Rahi
New Update
ITR form selection, which ITR form to file, ITR-1 to ITR-7 details, correct ITR form for income tax return, income tax form guide, ITR filing mistakes, ITR form eligibility,  ITR फॉर्म कैसे चुनें, सही ITR फॉर्म, ITR-1 से ITR-7 डिटेल्स

Tax Saving in New Regime: न्यू टैक्स रिजीम को अपनाने का मतलब यह नहीं कि आप टैक्स बचा ही नहीं सकते. (Image : Freepik)

Tax Saving in New Tax Regime : 2025 के बजट में न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है, जिससे मिडल क्लास टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिली है. अब ज्यादातर सैलरीड कर्मचारियों के लिए पुरानी टैक्स रिजीम की तुलना में नई टैक्स रिजीम ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है, क्योंकि इसमें टैक्स कम लगता है और कागजी काम भी घट जाता है. हालांकि इसमें सेक्शन 80C, 80D और HRA जैसे पॉपुलर टैक्स डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता, जिससे लोग मानने लगे हैं कि अब टैक्स प्लानिंग की जरूरत ही नहीं रही. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. कुछ ऐसे स्मार्ट उपाय हैं, जिनकी मदद से आप न्यू टैक्स रिजीम में भी टैक्स बचा सकते हैं.

1. एनपीएस में निवेश से होगा फायदा

नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS अब भी टैक्स बचाने का एक शानदार जरिया है. अगर आपका एम्प्लॉयर आपकी बेसिक सैलरी का 14% तक कंट्रीब्यूशन NPS में करता है, तो यह राशि सेक्शन 80CCD(2) के तहत टैक्स फ्री होती है. कई कर्मचारी इस बेनिफिट का पूरा फायदा नहीं उठाते.

Advertisment

रिटायरमेंट के समय NPS से निकाले गए कुल फंड का 60% हिस्सा टैक्स फ्री होता है. हालांकि, उस फंड से खरीदी गई एन्युटी पर टैक्स देना होता है. इसके बावजूद NPS एक लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन और डिसिप्लिन इन्वेस्टमेंट का बढ़िया जरिया है. अगर आपकी बेसिक सैलरी ज्यादा है, तो एम्प्लॉयर का 14% कंट्रीब्यूशन भी ज्यादा होगा, जिससे टैक्स बचत और रिटायरमेंट कॉर्पस दोनों मजबूत होंगे.

Also read : SBI MF की इस हाइब्रिड स्कीम का 75% से ज्यादा निवेश डेट में, फिर भी 5 साल में 12% दिया एनुअल रिटर्न

2. EPF में कंट्रीब्यूशन बढ़ाएं

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी दोनों का कंट्रीब्यूशन होता है. आमतौर पर कर्मचारी 15,000 रुपये की कैप के हिसाब से हर महीने 1,800 रुपये का कंट्रीब्यूशन करते हैं, लेकिन यह केवल न्यूनतम सीमा है. अगर आपकी बेसिक सैलरी इससे ज्यादा है, तो आप चाहें तो 12% तक का कंट्रीब्यूशन कर सकते हैं.

आप अपने एम्प्लॉयर से अनुरोध कर सकते हैं कि आपकी सैलरी स्ट्रक्चर इस तरह से सेट करें जिससे EPF में कंट्रीब्यूशन ज्यादा हो. हालांकि इससे आपकी टेक होम सैलरी थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह आपके रिटायरमेंट फंड को मजबूत बनाएगा. लेकिन ध्यान रखें कि सिर्फ टैक्स बचाने के मकसद से निवेश करना सही नहीं है, पहले यह देखें कि यह विकल्प आपके फाइनेंशियल गोल्स के अनुरूप है या नहीं.

Also read : High Return Infra Funds : टॉप 7 इंफ्रा फंड्स ने 5 साल में 4-5 गुना किए पैसे, 37% तक रहा सालाना रिटर्न, क्या हैं रिस्क फैक्टर

3. FD की जगह आर्बिट्राज फंड चुनें

अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट या डेट फंड में निवेश करते हैं तो उस पर हर साल आपकी इनकम स्लैब के मुताबिक टैक्स लगता है. लेकिन आर्बिट्राज फंड में मामला थोड़ा अलग होता है. ये फंड डेट जैसे ही रिटर्न देते हैं, लेकिन इनका टैक्स ट्रीटमेंट इक्विटी जैसा होता है.

अगर आप आर्बिट्राज फंड को एक साल से ज्यादा होल्ड करते हैं, तो रिडेम्प्शन के वक्त सिर्फ 12.5% टैक्स लगता है. इस लिहाज से देखा जाए तो कम जोखिम वाले निवेशकों के लिए ये फंड एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो न्यू टैक्स रिजीम में हैं.

Also read : 35% से ज्यादा सालाना रिटर्न देने वाले 5 इक्विटी फंड, 1 लाख को बनाया 4.7 से 5.8 लाख, रेटिंग भी दमदार

4. फ्रीलांसर और कंसल्टेंट के लिए प्रिजम्पटिव टैक्स स्कीम

अगर आप एक कंसल्टेंट, फ्रीलांसर या सेल्फ-एम्प्लॉइड प्रोफेशनल हैं, तो आप सेक्शन 44ADA के तहत प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम अपना सकते हैं. इसके तहत आपको अपनी कुल आमदनी का 50% हिस्सा टैक्सेबल इनकम मानना होता है, भले ही आपने खर्च कितना भी किया हो.

उदाहरण के लिए अगर आपकी सालाना आमदनी 20 लाख रुपये है, तो आप 10 लाख रुपये को टैक्स के लिए दिखा सकते हैं और आपको किसी खर्च का सबूत नहीं देना होगा. ध्यान दें कि अगर आपकी कुल आमदनी 75 लाख से ज्यादा हो जाती है तो यह स्कीम मान्य नहीं होगी. साथ ही अगर आपकी सर्विस GST के दायरे में आती है, तो उसका पालन करना जरूरी होगा.

Also read : SBI YONO Cash : एसबीआई ग्राहक बिना डेबिट कार्ड के भी निकाल सकते हैं ATM से कैश, चेक स्टेप बाय स्टेप प्रॉसेस

5. ये डिडक्शन भी वैलिड हैं

हालांकि न्यू टैक्स रिजीम में अधिकांश डिडक्शन हटाए जा चुके हैं, लेकिन कुछ अब भी लागू हैं. उदाहरण के लिए अगर आपकी प्रॉपर्टी रेंट पर दी गई है, तो होम लोन पर दिया गया ब्याज सेक्शन 24(b) के तहत रेंटल इनकम की सीमा तक टैक्स में छूट दिला सकता है.

इसके अलावा कुछ ऐसे खर्च हैं जो सीधे तौर पर मना नहीं किए गए हैं, जैसे कि प्रोफेशनल डेवेलपमेंट के लिए किया गया खर्च या ट्रेनिंग कोर्स की फीस, जिन्हें आप अब भी टैक्स रिटर्न में दिखा सकते हैं.

न्यू टैक्स रिजीम को अपनाने का मतलब यह नहीं कि आप टैक्स बचा ही नहीं सकते. जरूरी है कि आप नियमों को अच्छी तरह समझें और उपलब्ध विकल्पों का सही इस्तेमाल करें. सही प्लानिंग और स्मार्ट फैसलों से आप टैक्स भी बचा सकते हैं और अपने फाइनेंशियल गोल्स को भी आसानी से हासिल कर सकते हैं.

Tax Saving New Tax Regime Income Tax