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SBI कॉन्ट्रा फंड ने पिछले 5 साल में निवेशकों की पूंजी को 4 गुना कर दिया है. (AI Generated Image)
SBI Contra Fund : Money Multiplier Mutual Fund Scheme : एसबीआई म्यूचुअल फंड की एक स्कीम ने निवेशकों की पूंजी को 3 साल में डबल और 5 साल में 4 गुना कर दिया है. देश के सबसे बड़े म्यूचुअल फंड हाउस की इस स्कीम का नाम है एसबीआई कॉन्ट्रा फंड (SBI Contra Fund), जो एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है. इस स्कीम की खास बात यह है कि इसमें निवेश के लिए कॉन्ट्रैरियन इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजी (contrarian investment strategy) यानी बाजार के रुझान से उलटा चलने की रणनीति अपनाई जाती है. इस इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजी की खासियत क्या है इसे आगे समझेंगे. लेकिन उससे पहले SBI कॉन्ट्रा फंड के पिछले प्रदर्शन पर एक नजर डाल लेते हैं.
SBI कॉन्ट्रा फंड का पिछला प्रदर्शन
SBI म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund) की इस स्कीम ने पिछले 3 और 5 साल के दौरान अपने बेंचमार्क इंडेक्स को पीछे छोड़ते हुए निवेशकों को अच्छा मुनाफा दिया है. 5 साल के रिटर्न में यह स्कीम कैटेगरी टॉपर भी है यानी बाकी सभी कॉन्ट्रा फंड्स से आगे रही है.
स्कीम का नाम : एसबीआई कॉन्ट्रा फंड (SBI Contra Fund)
वैल्यू रिसर्च की रेटिंग : 5 स्टार
लंपसम पर 3 साल का औसत सालाना रिटर्न (CAGR): 27.43%
1 लाख रुपये के निवेश की 3 साल बाद वैल्यू : 2,07,060 (2.07 लाख) रुपये
बेंचमार्क इंडेक्स BSE 500 TRI का 3 साल का CAGR : 21.67%
लंपसम पर 5 साल का औसत सालाना रिटर्न (CAGR): 34.64%
1 लाख रुपये के निवेश की 5 साल बाद वैल्यू : 4,42,860 (4.42 लाख) रुपये
बेंचमार्क इंडेक्स : BSE 500 TRI का 5 साल का CAGR : 24.02%
SIP पर 5 साल का एन्युलाइज्ड रिटर्न : 23.94%
5,000 रुपये SIP की 5 साल में वैल्यू : 5,42,254 रुपये (कुल निवेश 3 लाख रुपये)
SBI कॉन्ट्रा फंड के बारे में जरूरी जानकारी
स्कीम की लॉन्च डेट : 5 जुलाई 1999
मिनिमम इनवेस्टमेंट : 5,000 रुपये
मिनिमम SIP इनवेस्टमेंट : 500 रुपये
एग्जिट लोड: 365 दिन के भीतर एग्जिट करने पर 1%
एक्सपेंस रेशियो : 0.68% (डायरेक्ट प्लान), 1.49% (रेगुलर प्लान)
SBI कॉन्ट्रा फंड का एसेट एलोकेशन
इक्विटी : 92.86%
डेट : 3.36%
रियल एस्टेट : 0.85%
कैश और कैश जैसे एसेट्स : 2.93%
(सोर्स : SBI म्यूचुअल फंड की वेबसाइट, वैल्यू रिसर्च)
SBI कॉन्ट्रा फंड की कॉन्ट्रैरियन स्ट्रैटजी का मतलब
कॉन्ट्रैरियन इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजी के तहत फंड मैनेजर ऐसे स्टॉक्स में पैसे लगाते हैं, जिनके फंडामेंटल्स तो मजबूत होते हैं, फिर भी उस वक्त किसी वजह से अंडरवैल्यूड होते हैं. यानी बाजार में उनका परफॉर्मेंस कमजोर चल रहा होता है. ऐसे शेयर्स में आगे चलकर रिकवरी आने या वैल्यू अनलॉक होने की गुंजाइश रहती है. SBI कॉन्ट्रा फंड के पोर्टफोलियो में कम से कम 65% हिस्सेदारी ऐसे ही स्टॉक्स की होती है. बाकी 35% फंड दूसरे स्टॉक्स, डेट इंस्ट्रूमेंट्स या मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में लगाया जा सकता है. कॉन्ट्रा फंड के मैनेजर इस कॉन्ट्रैरियन स्ट्रैटजी की वजह से अच्छे स्टॉक्स को कम कीमत में खरीदकर लॉन्ग टर्म में बढ़िया प्रॉफिट बुक कर पाते हैं. जिसकी बदौलत वे अपने इनवेस्टर्स को लंबी अवधि में मोटा मुनाफा देने की उम्मीद करते हैं.
रिस्क फैक्टर भी समझ लें
कॉन्ट्रा फंड के मैनेजर निवेश करते समय ये भरोसा करते हैं कि वे जिस शेयर में पैसे लगा रहे हैं, उसकी मौजूदा प्राइस, असली वैल्यू से काफी नीचे चल रही है. उनकी यह सोच सही निकलने पर भारी मुनाफा होने की उम्मीद रहती है. लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाया, तो घाटा होने का रिस्क भी रहता है. यही वजह है कि इस म्यूचुअल फंड स्कीम को रिस्कोमीटर पर बहुत अधिक जोखिम (Very High Risk) वाला माना जाता है. लिहाजा, अगर आप इस स्कीम में निवेश के बारे में सोचते हैं तो बाजार से जुड़े उतार-चढ़ाव और रिस्क को बर्दाश्त करने के लिए तैयार रहना होगा. शॉर्ट टर्म में यह रिस्क और भी अधिक रहता है. इसलिए इस फंड में हमेशा लंबी अवधि यानी कम से कम 7 साल के लिए निवेश करने की तैयारी रखनी चाहिए और अगर एसआईपी के जरिये निवेश किया जाए, तो रिस्क को कुछ कम करने में मदद मिलेगी.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सिफारिश करना नहीं. जरूरी नहीं है कि म्यूचुअल फंड का पिछला रिटर्न भविष्य में भी जारी रहे. निवेश का कोई भी फैसला सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)