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SCSS scheme Benefits : बुजुर्गों के लिए सबसे भरोसेमंद निवेश है सीनियर सिटिजन्स सेविंग्स स्कीम. Photograph: (AI Generated Image)
Senior Citizens Savings Scheme : बुजुर्गों के लिए निवेश के सुरक्षित और भरोसेमंद ऑप्शन्स की बात हो तो सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) का नाम सबसे पहले ध्यान में आता है. रिटायरमेंट के बाद बिना कोई रिस्क उठाए रेगुलर इनकम हासिल करनी हो, तो इस स्कीम को एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है. ब्याज दरों में कटौती के इस दौर में तो यह स्कीम और भी आकर्षक बन गई है, क्योंकि इसमें अब भी 8% से ज्यादा सालाना ब्याज मिल रहा है. सरकार की गारंटी वाली यह स्कीम रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित और स्टेबल इनकम का इंतजाम करने में सबसे आगे नजर आती है.
SCSS में कितना कर सकते हैं निवेश
सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम में निवेश और रिटर्न पर सरकार की तरफ से पूरी गारंटी रहती है. और इसमें शुरुआत में 5 साल के लिए निवेश करना होता है. इसके बाद निवेशक चाहें तो इसे 3-3 साल के लिए बढ़ाते रह सकते हैं. SCSS में निवेश मिनिमम 1,000 रुपये से शुरू होता है और एक व्यक्ति अधिकतम 30 लाख रुपये तक जमा कर सकता है. पति-पत्नी दोनों अलग-अलग खाता खोलें तो दोनों में 30-30 लाख जमा करके कुल 60 लाख रुपये पर रेगुलर इनकम ले सकते हैं.
इंटरेस्ट रेट और भुगतान का तरीका
इस स्कीम की सबसे खास बात है 8.2% की मौजूदा ब्याज दर, जो कई बैंकों और फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा है. जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज का भुगतान हर तीन महीने पर किया जाता है, जिससे रेगुलर कैश फ्लो बना रहता है. खासकर उन बुजुर्गों के लिए जो अपने हर महीने के खर्च का इंतजाम अपनी जमापूंजी से करते हैं, इस योजना से होने वाली इनकम काफी मददगार साबित होती है. अगर कोई व्यक्ति इस स्कीम में 30 लाख रुपये जमा कर दे तो हर 3 महीने में 61,500 रुपये ब्याज मिलेगा. यानी इससे 20,500 रुपये की मंथली इनकम का इंतजाम किया जा सकता है.
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कौन कर सकता है निवेश
SCSS में निवेश करने का मौका 60 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को मिलता है. अगर कोई 55 से 60 साल की उम्र में रिटायर हुआ है, तो वह भी रिटायरमेंट बेनिफिट मिलने के एक महीने के भीतर इस स्कीम में निवेश कर सकता है. डिफेंस पर्सनल के लिए भी इसमें छूट है और वे 50 साल की उम्र के बाद इसमें निवेश कर सकते हैं. हालांकि एनआरआई और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के नाम से SCSS अकाउंट नहीं खोले जा सकते.
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निवेश पर टैक्स बेनिफिट और ब्याज पर टैक्स
SCSS का एक और बड़ा फायदा है टैक्स सेविंग. इस स्कीम में हर साल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत की टैक्स छूट मिलती है. हालांकि इस स्कीम से मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल है. ब्याज तय सीमा से ज्यादा हो जाए, तो बैंक या पोस्ट ऑफिस TDS काट सकते हैं. लेकिन जिन सीनियर सिटिजन्स की कुल इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है, वे फॉर्म 15H भरकर TDS से बच सकते हैं. अच्छी बात ये है कि नई टैक्स रिजीम में टैक्स फ्री इनकम की लिमिट 12 लाख रुपये सालाना किए जाने के बाद अब ज्यादातर सीनियर सिटिजन्स को इसका लाभ मिल सकता है.
SCSS अकाउंट कैसे खोलें
SCSS का अकाउंट खोलना बेहद आसान है. इसके लिए किसी भी पोस्ट ऑफिस या अधिकृत बैंक की शाखा में जाकर फॉर्म A भरना होता है. साथ में आधार, पैन, वोटर आईडी या पासपोर्ट जैसे KYC डॉक्यूमेंट जमा करने होते हैं. एड्रेस के लिए बिजली का बिल या कोई अन्य वैलिड प्रूफ देना होता है. साथ ही जन्म की तारीख का प्रमाण या सीनियर सिटिजन कार्ड और दो पासपोर्ट साइज फोटो भी लगते हैं. अकाउंट खोलते समय नॉमिनी की जानकारी देना जरूरी है ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो.
अकाउंट होल्डर का निधन होने पर क्या होगा
अगर अकाउंट होल्डर का निधन हो जाता है, तो नॉमिनी या कानूनी वारिस की तरफ से अकाउंट बंद करने का एप्लिकेशन दिया जा सकता है. खाताधारक का निधन होने के बाद अगर अकाउंट समय से पहले बंद किया जाए, तो कोई पेनाल्टी नहीं लगती. लेकिन निधन होने के अगले दिन से खाते में पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट यानी बचत खाते पर लागू ब्याज दिया जाता है. सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम उन लोगों के लिए सबसे भरोसेमंद इनवेस्टमेट हो सकता है, जो रिटायरमेंट के बाद बिना किसी जोखिम के सुरक्षित इनकम चाहते हैं.
किन बातों का रखें ध्यान
SCSS लोगों को सुरक्षित और स्टेबल रिटर्न देता है, वहीं इसकी कुछ सीमाएं भी हैं. ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होने से उन लोगों के लिए रियल रिटर्न घट सकता है, जिनकी कुल इनकम टैक्सेबल लिमिट से ज्यादा है. निवेश की मैक्सिमम लिमिट 30 लाख रुपये है, इसलिए एक व्यक्ति इस स्कीम के जरिये फिलहाल 20,500 रुपये से ज्यादा मंथली इनकम का इंतजाम नहीं कर सकता. समय से पहले अकाउंट बंद करने पर 1 से 1.5% तक पेनाल्टी भी लगती है.