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Mutual Funds New Rules: इंडेक्स फंड, ETF जैसे पैसिव फंड्स के लिए नए नियमों को SEBI की मंजूरी, क्या है MF Lite का मतलब?

Mutual Fund New Rules Approved: 'म्यूचुअल फंड लाइट' के प्रस्ताव को SEBI के बोर्ड ने दी मंजूरी. इस नई पहल से आम निवेशकों को क्या होगा फायदा?

Mutual Fund New Rules Approved: 'म्यूचुअल फंड लाइट' के प्रस्ताव को SEBI के बोर्ड ने दी मंजूरी. इस नई पहल से आम निवेशकों को क्या होगा फायदा?

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Viplav Rahi
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MF Lite : SEBI के बोर्ड ने म्यूचुअल फंड लाइट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. (Image : Financial Express)

Explained : What is MF Lite : मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने "म्यूचुअल फंड लाइट (MF Lite)" के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सेबी के बोर्ड की सोमवार 30 सितंबर को हुई बैठक में MF Lite समेत 17 अहम प्रस्तावों पर मुहर लगाई है, जिनमें 'कनेक्टेड पर्सन' और 'इमीडिएट रिलेटिव' की परिभाषाओं को स्पष्ट करने के लिए इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों में बदलाव करने और निवेश सलाहकारों और रिसर्च एनालिस्ट्स के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और कंप्लायंस रिक्वायरमेंट में ढील देना शामिल है.

सेबी के MF Lite से जुड़े नए नियमों का मकसद पैसिव म्यूचुअल फंड्स को बढ़ावा देना और बाजार में नए प्लेयर्स की एंट्री को आसान बनाना है. आखिर क्या है MF Lite का मतलब और आम निवेशकों को इससे क्या फायदा होगा? आइए जानते हैं इन सवालों का जवाब. 

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क्या है म्यूचुअल फंड लाइट का मतलब?

  • म्यूचुअल फंड लाइट (MF Lite) सेबी की एक नई पेशकश है. इसका प्रस्ताव पहली बार इसी साल जुलाई में सेबी के एक कंसल्टेशन पेपर के जरिये सामने आया था. 

  • इस नई पेशकश के तहत सेबी ने एक नया सिम्प्लिफाइड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क लागू करने का फैसला किया है.

  • ये एमएफ लाइट रेगुलेशन्स (MF Lite Regulations) केवल इंडेक्स फंड्स और ETFs जैसी पैसिव स्कीम्स के लिए लागू होंगे. 

  • पैसिव स्कीम्स में जोखिम कम होने के कारण MF Lite रेगुलेशन में नियम आसान बनाए गए हैं. मसलन, फाइनेंशियल एक्सपीरियंस की आवश्यकता को हटाना.

  • इससे इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) जैसी पैसिव स्कीम्स को मैनेज करने वाले फंड हाउसेज को बढ़ावा मिलेगा.

  • मौजूदा फंड हाउस जो पैसिव और एक्टिव, दोनों तरह के फंड मैनेज करते हैें, वे चाहें तो नए नियमों का लाभ लेने के लिए अपने पैसिव फंड्स को अपने ही ग्रुप की एक नई एंटिटी को ट्रांसफर कर सकते हैं. 

  • MF Lite के तहत म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए नेटवर्थ की रिक्वायरमेंट 50 करोड़ से घटाकर 35 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है.

SEBI अपनी इस पहल के जरिये नए और छोटे प्लेयर्स को इस मार्केट में एंट्री करने का मौका देना चाहता है. साथ ही कम्प्लायंस संबंधी परेशानियां भी कम होंगी. सेबी की नई पहल से मार्केट की लिक्विडिटी में भी सुधार आने की उम्मीद है, जिससे इन्वेस्टमेंट के नए मौके भी सामने आएंगे.

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MF Lite से क्या होगा फायदा

माना जा रहा है कि पैसिव फंड्स के लिए सेबी के नए और आसान नियमों से आम निवेशकों के लिए इनवेस्टमेंट के सस्ते और सरल विकल्प बढ़ जाएंगे. 

  • मौजूदा पैसिव फंड्स का टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) औसतन 20 बेसिस प्वाइंट्स (bps) के आसपास है. 

  • MF Lite के तहत आने वाले फंड हाउस जिन पैसिव स्कीम्स को मैनेज करेंगे, उनकी फंड मैनेजमेंट की लागत यानी टोटल एक्सपेंस रेशियो में और कमी आने की उम्मीद है.

  • बाजार में नए प्लेयर्स के आने से प्रतियोगिता बढ़ेगी और निवेशकों को ज्यादा विकल्प मिलेंगे.

  • छोटे निवेशकों को कम लागत वाले फंड्स तक पहुंच प्राप्त होगी, जो इक्विटी और डेट मार्केट्स दोनों को ट्रैक कर सकते हैं.

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म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में नए दौर की शुरुआत

सेबी की 30 सितंबर को होने वाली बोर्ड की बैठक में 'एमएफ लाइट' को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने को म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए एक नए दौर की शुरुआत भी कहा जा सकता है, क्योंकि अब तक एक्टिव और पैसिव फंड्स के लिए सेबी के नियम एक जैसे रहे हैं. सेबी की नई पहल ने साफ कर दिया है कि मार्केट रेगुलेटर उन पैसिव फंड्स को बढ़ावा देना चाहता है, जिनमें फंड मैनेजर्स की भूमिका सीमित रहती है.