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SEBI New Chief Selection : भारत सरकार ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नए चेयरपर्सन की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है. (File Photo : Reuters)
SEBI New Chief Selection: भारत सरकार ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नए चेयरपर्सन की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है. वर्तमान चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच का कार्यकाल 28 फरवरी, 2025 को समाप्त हो रहा है. वित्त मंत्रालय ने 17 फरवरी, 2025 तक इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं. भारत के मार्केट रेगुलेटर के शीर्ष पद पर होने वाली यह नियुक्ति बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है.
नए चेयरपर्सन की सेलेक्शन प्रॉसेस और शर्तें
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने सार्वजनिक विज्ञापन के जरिए इस पद के लिए आवेदन मांगे हैं. चयनित उम्मीदवार को अधिकतम पांच वर्षों के लिए नियुक्त किया जाएगा, या 65 वर्ष की उम्र तक, जो भी पहले हो. SEBI के चेयरपर्सन का मासिक वेतन 5,62,500 रुपये होगा (घर और कार के बिना). सरकार ने आवेदन के लिए कुछ महत्वपूर्ण योग्यताएं तय की हैं. उम्मीदवार को कानून, फाइनेंस, अर्थशास्त्र, या अकाउंट्स के क्षेत्र में 25 साल का प्रोफेशनल अनुभव होना चाहिए. साथ ही, उम्मीदवार की ईमानदारी और प्रतिष्ठा में कोई संदेह नहीं होना चाहिए. इस पद के लिए 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी.
SEBI चेयरपर्सन की भूमिका और महत्व
SEBI का चेयरपर्सन भारत के कैपिटल मार्केट रेगुलेटर का प्रमुख होता है और यह जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण है. चेयरपर्सन को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह किसी भी प्रकार के वित्तीय या अन्य हितों से प्रभावित न हो, जो उनके निर्णय को नुकसान पहुंचा सकते हैं. सेलेक्शन प्रॉसेस में फाइनेंशियल सेक्टर रेगुलेटरी अपॉइंटमेंट्स सर्च कमेटी (Financial Sector Regulatory Appointments Search Committee -FSRASC) की भूमिका अहम होगी. यह समिति योग्य उम्मीदवारों की सिफारिश करेगी.
माधवी पुरी बुच का कार्यकाल
माधवी पुरी बुच ने 2 मार्च, 2022 को SEBI के चेयरपर्सन का पद संभाला था. वह SEBI की पहली महिला प्रमुख थीं और उनका कार्यकाल तीन वर्षों का रहा. इससे पहले वह SEBI में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में भी कार्यरत थीं. उनके कार्यकाल के दौरान SEBI ने कई महत्वपूर्ण सुधार और नई पहल शुरू की. हालांकि अपने कार्यकाल के दौरान, बुच पर कई आरोप भी लगे. पहले शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग और बाद में कांग्रेस पार्टी की ओर से - अडानी समूह से जुड़े ऑफशोर फंड में उनके निवेश और आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में सवाल उठाए गए. इसके अलावा, सेबी कर्मचारियों के एक वर्ग ने उन पर कामकाज के माहौल को 'जहरीला' बनाने का आरोप लगाया था, हालांकि अब यह मामला सुलझ चुका है.
पिछले अध्यक्षों का कार्यकाल
SEBI प्रमुख का कार्यकाल आमतौर पर तीन साल का होता है. हालांकि, कुछ अपवाद भी हुए हैं, जैसे यू.के. सिन्हा और अजय त्यागी का कार्यकाल क्रमशः छह और पांच वर्षों का था. दोनों ने अपने-अपने कार्यकाल में SEBI के नियामक ढांचे को मजबूत करने में योगदान दिया. SEBI के नए चेयरपर्सन से उम्मीद की जाएगी कि वे भारतीय वित्तीय बाजार को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं. इसके साथ ही, बाजार के पारदर्शी और निष्पक्ष संचालन को सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होगी.