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SGB New Series: क्या सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की नई सीरीज लाने जा रही है? (File Photo : Financial Express)
Sovereign Gold Bonds Scheme New Series: सोने की कीमतों में पिछले 18 महीनों में आई जबरदस्त तेजी को देखते हुए सरकार ने लंबे अरसे से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम की नई सीरीज जारी नहीं की है. लेकिन क्या अब सरकार इस स्कीम की नई सीरीज लाने जा रही है? संसद में इस सवाल पर वित्त मंत्रालय ने जवाब देकर सरकार का रुख साफ किया है. मंत्रालय का कहना है कि नई सीरीज लॉन्च करने से पहले कर्ज की लागत (cost of borrowings) को कम करना उनकी प्राथमिकता है.
SGB स्कीम पर सरकार की रणनीति
वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि वह ‘सतर्क ऋण प्रबंधन नीति (prudent debt management strategy)’ को अपनाते हुए SGB की अगली किश्त जारी करने पर फैसला करेगा. इसका सीधा मतलब है कि सरकार बिना सोचे-समझे स्कीम को फिर से लॉन्च नहीं करेगी, बल्कि यह देखा जाएगा कि इससे सरकार की उधारी की लागत कितनी बढ़ रही है.
बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की आखिरी सीरीज (Series IV 2023-24) फरवरी 2024 में जारी की गई थी. उसके बाद से सोने की कीमतों में 70% से अधिक का इजाफा हुआ है.
वित्त राज्य मंत्री ने क्या कहा
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि उधारी की लागत को न्यूनतम किया जाए. उन्होंने कहा, "SGB की नई किश्तों को जारी करने पर विचार करते समय यह बेहद जरूरी है कि कर्ज की लागत को ध्यान में रखा जाए."
सरकार के अनुसार, बीते 18 महीनों में सोने की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी को देखते हुए इस स्कीम को अस्थायी रूप से रोकना एक प्रोडक्टिव कदम साबित हुआ है.
भारत में लोगों के पास कितना सोना है
वित्त राज्य मंत्री ने वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट ‘Gold Investment Market and Financialisation’ का हवाला देते हुए बताया कि भारत के घरों और धार्मिक संस्थानों के पास करीब 23,000 से 25,000 टन सोना है, जिसकी वैल्यू लगभग 1.4 ट्रिलियन डॉलर है.
क्या गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम नाकाम रही
एक सवाल के जवाब में यह पूछा गया कि इतनी बड़ी मात्रा में सोना भारतीय घरों के पास होने के बावजूद क्या 2015 में शुरू की गई गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (Gold Monetisation Scheme) नाकाम रही? इस पर मंत्री ने बताया कि बाजार की बदलती परिस्थितियों को देखते हुए मीडियम और लॉन्ग टर्म गोल्ड डिपॉजिट्स को बंद करने का निर्णय लिया गया.
उन्होंने बताया कि GMS स्कीम को लोगों और संस्थानों के पास रखे गए सोने को प्रोडक्टिव उपयोग में लाने के लिए शुरू किया गया था. लेकिन सोने की बढ़ती कीमतों की वजह से सरकार की लागत भी बढ़ी, इसीलिए 26 मार्च 2025 से मीडियम और लॉन्ग टर्म गोल्ड डिपॉजिट्स (MLTGD) को बंद कर केवल शॉर्ट टर्म गोल्ड डिपॉजिट (STGD) को जारी रखने का फैसला किया गया.
अब तक इस स्कीम के तहत कुल 37.81 टन सोने का मॉबिलाइजेशन हुआ है.
SGB स्कीम क्या फेल हुई?
जब सरकार से पूछा गया कि क्या SGB स्कीम नाकाम रही, तो उन्होंने इसके पीछे ग्लोबल जियो-पोलिटिकल टेंशन (geo-political tensions) को जिम्मेदार ठहराया. मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के चलते सोने की कीमतें तेजी से बढ़ीं, जिससे सरकार की उधारी लागत में भी इजाफा हुआ.
उन्होंने यह भी बताया कि SGB स्कीम का उद्देश्य फिजिकल गोल्ड की मांग को कम करना था ताकि सोने का आयात घटे और सरकार के संसाधनों का इस्तेमाल स्मार्ट तरीके से हो.
SGB में कितना हुआ निवेश और रिडेम्पशन
सरकार ने संसद को जानकारी दी कि 31 मार्च 2025 तक SGB स्कीम की कुल 67 सीरीज के जरिए 146.96 टन सोने में निवेश किया गया, जिसकी वैल्यू करीब 72,275 करोड़ रुपये है. इसकी तुलना में 15 जून 2025 तक 18.81 टन के बराबर SGB रिडीम किए जा चुके हैं.
सोने का भविष्य और सरकार का अगला कदम
सरकार फिलहाल कर्ज की लागत को प्राथमिकता देते हुए SGB की अगली किश्त पर सोच-विचार कर रही है. सोने की बढ़ती कीमतों ने निवेशकों को तो मुनाफा दिया है, लेकिन सरकार के लिए उधारी महंगी कर दी है. ऐसे में अगली SGB स्कीम कब आएगी, यह सरकार की वित्तीय रणनीति और बाजार के हालात पर निर्भर करेगा.