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Why Sovereign Gold Bonds Trading on Premium : सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को सोने में निवेश के सबसे बेहतर तरीकों में माना जाता है. ये बॉन्ड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा भारत सरकार की तरफ से जारी किए जाते हैं, जिनकी इश्यू प्राइस सोने के बाजार भाव के हिसाब से तय की जाती हैं. बाद में इन बॉन्ड्स को स्टॉक्स एक्सचेंज में ट्रेड भी किया जा सकता है. हाल ही में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर SGB के दामों में तेजी देखी जा रही है. पिछले एक-दो दिनों के दौरान SGBs के दाम फिजिकल गोल्ड की कीमतों के मुकाबले 15% तक प्रीमियम पर ट्रेड होते देखे जा रहे हैं.
प्रीमियम पर क्यों बिक रहे हैं SGB?
बजट 2024 के बाद से नए SGB जारी होने की कोई खबर नहीं है, जबकि बजट में पेश लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से जुड़े प्रावधानों ने इसे और भी आकर्षक निवेश बना दिया है. इस बीच मार्केट में एसजीबी के अगले इश्यू (SGB next issue) को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है भविष्य में नए SGB जारी ही नहीं किए जाएं. ऐसे में बहुत सारे निवेशक नए SGB जारी होने का इंतजार करने की बजाय पहले से उपलब्ध SGB खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकाने को तैयार हैं. इसी का नतीजा है कि NSE पर SGB की कीमतें 999 प्योरिटी वाले सोने की कीमत से भी अधिक पर ट्रेड हो रही हैं.
उदाहरण के लिए 27 अगस्त 2024 को SGBFEB27 (2.50% गोल्ड बॉन्ड 2027) की कीमत 8,300 रुपये प्रति यूनिट थी, जबकि 999 प्योरिटी वाले सोने की कीमत 7,186.4 रुपये प्रति ग्राम थी. यह SGBFEB27 पर 15.49% का प्रीमियम दर्शाता है. इसी प्रकार, अन्य SGBs भी 4% से 15% के बीच प्रीमियम पर बिक रहे हैं. अगर आप भी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की खरीद-बिक्री के लिए सेकेंडरी मार्केट का रुख करने के बारे में सोच रहें हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
SGB की ट्रेडिंग करते समय इन बातों का रखें ध्यान
1. टैक्सेशन की जानकारी रखें: अगर आप स्टॉक मार्केट से SGB खरीदते और बेचते हैं, तो इस पर टैक्स लागू होता है. अगर आप 12 महीने या उससे कम अवधि के लिए SGB रखते हैं, तो यह शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) के तहत आएगा और इस पर आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा. अगर आप SGB को 12 महीने से अधिक रखते हैं, तो यह लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के तहत आएगा और इस पर 12.5% की दर से टैक्स लगेगा.
2. रिडेम्पशन पर ध्यान दें: अगर आप SGB को NSE से खरीदते हैं और बाद में इसे RBI के बायबैक या फाइनल रिडेम्पशन विंडो में रिडीम करते हैं, तो यह टैक्स-फ्री होगा. इस स्थिति में, आपको इसे अपने ITR में 'अन्य छूट प्राप्त आय' (Other Exempt Income) के रूप में दिखाना होगा, लेकिन इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
3. नफा-नुकसान का ध्यान रखें: SGBs की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, खासकर अगर नए SGBs की कमी हो या गोल्ड की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बदलाव हो. इसलिए, सेकेंडरी मार्केट में SGB ट्रेड करते समय कीमतों के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखना जरूरी है.
4. रिस्क को समझकर निवेश करें: SGBs को एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, लेकिन अगर आप इन्हें प्रीमियम पर खरीद रहे हैं, तो सावधानी बरतें. हो सकता है कि भविष्य में सोने की कीमतों में गिरावट हो और आपका निवेश नुकसान में चला जाए.
कुल मिलाकर SGBs का सेकेंडरी मार्केट में प्रीमियम पर बिकना कई कारणों पर निर्भर करता है, जिसमें नए SGB ट्रांच की कमी, गोल्ड की बढ़ती मांग और भविष्य में कीमत बढ़ने की संभावनाएं शामिल हैं. निवेशकों को SGBs की ट्रेडिंग करते समय टैक्सेशन, रिडेम्पशन और बाजार के मौजूदा हालात का ध्यान रखना चाहिए. सही जानकारी और सावधानी के साथ निवेश करने से आप अपने निवेश को सुरक्षित और फायदेमंद बना सकते हैं.