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SGB Redemption: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालने का मौका खुला हुआ है. (Image : Pixabay)
Sovereign Gold Bonds Redemption : अगर आपने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश किया है और अब मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालने का विचार कर रहे हैं, तो अप्रैल 2025 में इसका मौका मिल सकता है. खासतौर पर 2017-18 में जारी सीरीज III, IV और V के SGB में निवेश करने वालों को प्री-मेच्योर रिडेम्पशन यानी मैच्योरिटी से पहले एग्जिट का विकल्प मिल रहा है. सोने में तेजी के इस दौर में यह मुनाफा कमाने का मौका नजर आ सकता है, लेकिन इस बारे में फैसला करने से पहले कुछ बातें जानना बेहद जरूरी है.
किन बॉन्ड्स में खुला है प्री-मेच्योर रिडेम्पशन
अप्रैल 2025 में SGB 2017-18 सीरीज III, IV और V वाले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स को समय से पहले भुनाया जा सकता है. ये बॉन्ड्स 2,956 से 2,987 रुपये प्रति ग्राम की दर पर जारी किए गए थे. अब RBI के मुताबिक इन बॉन्ड्स का रिडेम्पशन मूल्य 9,221 रुपये प्रति ग्राम तक पहुंच चुका है, जिससे निवेशकों को लगभग 211% तक का फायदा मिलने की उम्मीद की जा रही है. यह रिटर्न भी ब्याज से हुई आय के अलावा है.
क्या SGB से अभी निकालने चाहिए पैसे?
RBI द्वारा घोषित SGB की रिडेम्पशन वैल्यू वाकई आकर्षक है, लेकिन निवेशकों को कुछ बातों पर गौर करना चाहिए. मिसाल के तौर पर अगर आपको लगता है कि सोने की कीमतें और बढ़ सकती हैं, तो हो सकता है कि आगे रिटर्न और बेहतर मिले. लेकिन अगर आपको किसी बड़े खर्च के लिए फंड की जरूरत है, तो यह पैसे निकालने का अच्छा मौका हो सकता है. अगर आप ज्यादा रिटर्न की संभावना वाले किसी और इनवेस्टमेंट ऑप्शन में पैसे लगाना चाहते हैं, तो भी SGB से फंड निकालने पर विचार कर सकते हैं. साथ ही SGB से पैसे निकालने के बारे में कोई भी फैसला करते समय उससे जुड़े टैक्स के नियमों पर गौर करना भी जरूरी है.
SGB को मैच्योरिटी तक होल्ड करने का लाभ
जो निवेशक लंबी अवधि के लिए स्थिरता और टैक्स बचत चाहते हैं, उनके लिए SGB को मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करना समझदारी भरा हो सकता है. ऐसा करने पर दो बड़े फायदे मिलते हैं. एक तो 2.5% सालाना की दर से मिलने वाला ब्याज और दूसरे मैच्योरिटी के वक्त मिलने वाले मुनाफे पर टैक्स बेनिफिट. दरअसल SGB का रिडेम्पशन RBI के जरिये करने पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं देना पड़ता है. इसके अलावा, अगर दुनिया में महंगाई बनी रहती है या ग्लोबल लेवल पर अस्थिरता जारी रहती है, तो सोने की कीमतें और बढ़ सकती हैं. ऐसे में SGB को होल्ड करना फायदे का सौदा हो सकता है.
प्री-मेच्योर रिडेम्पशन का प्रोसेस क्या है?
अगर आप पांच साल पूरे होने के बाद अपने SGB को भुनाना चाहते हैं, तो RBI की गाइडलाइन्स को फॉलो करके आप ऐसा कर सकते हैं. इसके लिए रिडेम्पशन की तारीख से कम से कम 30 दिन पहले बैंक, पोस्ट ऑफिस या स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SHCIL) के जरिए रिक्वेस्ट सबमिट करना जरूरी है. रिडेम्पशन वैल्यू IBJA द्वारा घोषित .999 प्योरिटी वाले सोने के पिछले तीन कारोबारी दिनों की औसत कीमत पर आधारित होती है.
SGB पर लागू टैक्स के नियम
SGB की सबसे बड़ी खासियत है कि अगर आप इन्हें मैच्योरिटी पर या 5 साल बाद RBI के जरिए भुनाते हैं, तो उस पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता. लेकिन अगर आप इन्हें स्टॉक एक्सचेंज के जरिए बेचते हैं, तो 12 महीने से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स लागू होता है जो आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल है. 12 महीने से ज्यादा होल्ड करने के बाद बेचने पर 12.5% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना पड़ता है, जिस पर इंडेक्सेशन बेनिफिट नहीं मिलता.
निवेश के उद्देश्य के हिसाब से करें फैसला
अगर आपको पैसों की जरूरत है या आपको लगता है कि सोने के दाम अब घट सकते हैं, तो प्री-मेच्योर रिडेम्पशन का फायदा लेना समझदारी हो सकती है. लेकिन अगर आपका उद्देश्य लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन है और आप टैक्स फ्री रिटर्न चाहते हैं, तो SGB को मैच्योरिटी तक होल्ड करना बेहतर होगा.