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PPF और SCSS दोनों ही रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए अच्छे विकल्प हैं. (Image : Freepik)
PPF vs SCSS for Retirement Planning : रिटायरमेंट के बाद अपनी मेहनत की कमाई को कहां और कैसे निवेश करें, यह सवाल हर रिटायर हो चुके व्यक्ति के मन में जरूर आता है. खासकर जब आपके पास पहले से पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) में जमा एक बड़ा फंड हो और अब आप सोच रहे हों कि इसे बढ़ाया जाए या सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम (SCSS) में ट्रांसफर किया जाए, जो इस समय 8.2% ब्याज दे रही है. पहली नजर में SCSS फायदेमंद लगती है, लेकिन इसमें कुछ बातें हैं जो गौर करने लायक हैं. आइए समझते हैं दोनों विकल्पों की खासियत और आपके लिए क्या हो सकता है बेहतर.
PPF मैच्योर होने के बाद क्या करें?
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसके मैच्योर होने के बाद भी आप इसे बंद करने के बजाय 5-5 साल के ब्लॉक में बढ़ा सकते हैं. आप चाहें तो नई कॉन्ट्रिब्यूशन के साथ या बिना कॉन्ट्रिब्यूशन के इसे जारी रख सकते हैं. अधिकतर लोग बिना कॉन्ट्रिब्यूशन के एक्सटेंशन चुनते हैं क्योंकि:
- जमा रकम पर मौजूदा ब्याज दर (अभी 7.1%) मिलती रहती है.
- हर फाइनेंशियल ईयर में एक बार पैसा निकाला जा सकता है.
- सबसे खास बात ये कि मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्स फ्री रहता है.
इस तरह PPF रिटायरमेंट के बाद भी पूंजी की सुरक्षा, टैक्स फ्री रिटर्न और लिमिटेड लिक्विडिटी के साथ एक अच्छा विकल्प बना रहता है.
SCSS में ब्याज ज्यादा, लेकिन टैक्स लगेगा
सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम को खास तौर पर 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें आप एकमुश्त रकम जमा करके हर तिमाही ब्याज पा सकते हैं. मौजूदा समय में यह स्कीम 8.2% ब्याज दे रही है, जो 5 साल के लिए लॉक हो जाता है. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इस स्कीम से मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है. अगर आप 30% टैक्स स्लैब में हैं तो पोस्ट-टैक्स रिटर्न सिर्फ 5.7% तक रह जाता है. 20% स्लैब में भी रिटर्न करीब 6.5% ही रह जाता है, जो PPF के 7.1% टैक्स फ्री रिटर्न से कम है. इसलिए ऊंचे टैक्स ब्रैकेट वाले निवेशकों के लिए SCSS उतना फायदेमंद नहीं है जितना वह दिखता है.
SCSS इन लोगों के लिए बेहतर है
अगर आपकी टैक्सेबल इनकम नहीं है या बहुत कम है, तो SCSS आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है. नए टैक्स रेजीम के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर टैक्स नहीं लगता. ऐसे में जिन रिटायर्ड लोगों की इनकम इस सीमा के भीतर है, उन्हें SCSS का 8.2% ब्याज टैक्स फ्री मिल सकता है. इसके अलावा SCSS में 30 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकता है और पति-पत्नी मिलकर 60 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. इस रकम से रेगुलर इनकम की मजबूत व्यवस्था की जा सकती है.
रेगुलर इनकम की जरूरत पर भी गौर करें
SCSS में हर तीन महीने में ब्याज का भुगतान होता है, जिससे घर चलाने में आसानी होती है. वहीं, PPF में एक्सटेंशन के बाद हर साल एक बार ही पैसा निकाला जा सकता है. हां, इस निकाले गए पैसे को लिक्विड म्यूचुअल फंड में डालकर Systematic Withdrawal Plan (SWP) के जरिए मंथली इनकम जरूर बनाई जा सकती है. हालांकि ये प्रोसेस थोड़ा जटिल हो सकता है, लेकिन टैक्स सेविंग और लचीलापन इसमें ज्यादा है.
ब्याज दर की गारंटी बनाम फ्लोटिंग रिटर्न
SCSS की एक खास बात यह है कि इसमें निवेश करते वक्त जो ब्याज दर मिलती है, वह अगले 5 साल तक फिक्स रहती है. यानी आज अगर आप निवेश करते हैं तो आने वाले 5 साल तक आपको 8.2% की गारंटी मिलेगी, भले ही मार्केट में ब्याज दरें गिर जाएं. वहीं, PPF की ब्याज दर हर तिमाही सरकार द्वारा रिवाइज होती है. फिलहाल यह 7.1% है, लेकिन भविष्य में अगर ब्याज दरें घटती हैं तो PPF का रिटर्न भी घट सकता है.
फैसला करते समय इन बातों पर ध्यान दें
PPF और SCSS के बीच फैसला सिर्फ ब्याज दर पर नहीं होना चाहिए. आपको यह देखना होगा कि:
आप टैक्स ब्रैकेट में हैं या नहीं.
आपको कितनी नियमित इनकम की जरूरत है.
आप कितनी फ्लेक्सिबिलिटी चाहते हैं.
अगर आपकी इनकम टैक्स फ्री है, तो SCSS आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है. वहीं अगर आप टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो PPF का टैक्स फ्री ब्याज आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. अगर आपके पास PPF में अच्छा खासा फंड जमा है, तो आप उसका एक्सटेंशन कर सकते हैं और साथ ही SCSS में कुछ हिस्सा लगाकर दोनों का फायदा ले सकते हैं.
इक्विटी को नजरअंदाज न करें
यह समझना भी जरूरी है कि रिटायरमेंट के बाद भी अपने पोर्टफोलियो का कम से कम एक तिहाई हिस्सा इक्विटी में रखें ताकि महंगाई को मात दे सकें. सिर्फ फिक्स्ड इनकम स्कीम पर निर्भर रहने से आपकी पूंजी का रियल रिटर्न घट सकता है. PPF और SCSS दोनों ही रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए अच्छे विकल्प हैं. सही चुनाव आपकी इनकम, टैक्स स्लैब और इनकम जरूरतों पर निर्भर करता है. दोनों स्कीम को बैलेंस्ड ढंग से इस्तेमाल करके आप अपने रिटायरमेंट को सुरक्षित और सुविधाजनक बना सकते हैं.