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SIP में कंपाउंडिंग का असर समय के साथ बढ़ता है. ऐसे में अगर आप बीच में पैसा निकालते हैं, तो वह न सिर्फ आपकी मौजूदा बचत को कम करता है, बल्कि फ्यूचर वेल्थ को भी प्रभावित करता है. (AI Image)
SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान को लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन का सबसे भरोसेमंद जरिया माना जाता है. हर महीने छोटी रकम से बड़ी पूंजी बनाने का सपना लेकर करोड़ों लोग इसमें निवेश करते हैं. लेकिन जिंदगी में हालात हमेशा एक जैसे नहीं रहते. कभी मेडिकल इमरजेंसी तो कभी कोई पारिवारिक संकट - ऐसे वक्त में SIP से पैसा निकालना मजबूरी बन जाता है.
तो सवाल ये उठता है कि क्या SIP से पैसा निकाला जा सकता है? जवाब है - हां, लेकिन SIP से सीधे पैसा नहीं निकाला जाता, बल्कि उसमें खरीदी गई म्यूचुअल फंड यूनिट्स को ‘रिडीम’ किया जाता है.
आइए, समझते हैं कैसे करें ये प्रोसेस, क्या लगता है चार्ज और आपके फ्यूचर कॉर्पस पर इसका क्या असर होता है.
SIP से पैसा कैसे निकालें? जानिए स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस
ऑनलाइन तरीका
- Groww, Zerodha Coin, Paytm Money, या AMC की वेबसाइट पर लॉग इन करिए
- पोर्टफोलियो खोलिए. अब उस फंड को चुनिए जिससे पैसा निकालना है.
- Redeem/Sell ऑप्शन पर क्लिक करिए.
- अमाउंट या यूनिट डालिए
- OTP से कन्फर्म करें.
ऑफलाइन तरीका
- CAMS या KFintech जैसे रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर रिडेंप्शन फॉर्म भरें
- PAN, कैंसल्ड चेक लगाएं
- फॉर्म जमा करें
- पैसा आपके बैंक अकाउंट में कुछ दिनों में आ जाएगा.
पैसा निकालने से कॉर्पस पर कितना असर?
मान लीजिए आपने 3 साल पहले 10,000 रुपये मंथली की SIP शुरू की थी और इस पर आपको औसतन 12% सालाना का रिटर्न मिल रहा है.
पैरामीटर - कैलकुलेशन
मासिक SIP - 10,000 रुपये
निवेश की अवधि - 36 महीने (3 साल)
कुल निवेशित राशि 10,000 रुपये × 36 = 3,60,000 रुपये
12% रिटर्न पर अनुमानित कॉर्पस - लगभग 4,30,793 रुपये (जिसमें 70,793 रुपये ब्याज शामिल है)
अब मान लीजिए कि आपको अचानक 1,00,000 रुपये की जरूरत पड़ गई और आपने अपनी SIP यूनिट्स बेचकर यह रकम निकाल ली.
विवरण - अमाउंट
निकाली गई राशि - 1,00,000 रुपये
निकासी के बाद बचा हुआ कॉर्पस - 4,30,793 – 1,00,000 = 3,30,793 रुपये
अब देखिए इसका आपके फ्यूचर कॉर्पस पर क्या असर पड़ता है.
आपने 1,00,000 रुपये निकाले, लेकिन अब आपकी बाकी बची राशि 3,30,793 रुपये पर ग्रो करेगी, न कि 4,30,793 रुपये पर. यही 1,00,000 रुपये अगर आप निवेश में बनाए रखते, तो अगले कुछ सालों में इसकी वैल्यू चौंकाने वाली होती.
कंपाउंडिंग के असर से उस 1,00,000 रुपये की संभावित वैल्यू
10 साल में - 1,00,000 रुपये बढ़कर 3,10,585 रुपये हो सकता था
20 साल में - ये 1,00,000 रुपये बढ़कर 9,64,629 रुपये बन सकता था
25 साल में - यही 1,00,000 रुपये बढ़कर 17,00,006 रुपये का बड़ा कॉर्पस बन सकता था
यानी आपने सिर्फ 1,00,000 रुपये की तत्काल जरूरत पूरी नहीं की, बल्कि भविष्य में बनने वाले 17 लाख रुपये से भी हाथ धो लिया. यही है कंपाउंडिंग लॉस का असली चेहरा - जो अभी छोटा लगता है, लेकिन समय के साथ भारी नुकसान में बदल सकता है. इसलिए SIP से पैसा निकालते समय सिर्फ आज की जरूरत को नहीं, बल्कि भविष्य की संभावित संपत्ति को भी ध्यान में रखें. सोच-समझकर फैसला लें.
इन चार्जेज को न भूलें
एग्जिट लोड – अगर आपने यूनिट्स 1 साल से पहले बेचीं, तो 1% तक चार्ज लग सकता है.
कैपिटल गेन टैक्स – 1 साल से पहले बेचने पर 15% टैक्स (STCG)
1 साल के बाद 1 लाख रुपये तक टैक्स फ्री, उसके बाद 10% (LTCG)
इन बातों का भी रखें ध्यान
SIP में कंपाउंडिंग का असर समय के साथ बढ़ता है. ऐसे में अगर आप बीच में पैसा निकालते हैं, तो वह न सिर्फ आपकी मौजूदा बचत को कम करता है, बल्कि फ्यूचर वेल्थ को भी प्रभावित करता है इसलिए पहले लोन, PPF, या इमरजेंसी फंड जैसे विकल्प देखें. SIP रिडेंप्शन को सिर्फ अंतिम विकल्प के तौर पर अपनाएं.