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Investment Tips : अगर आप भी बिना किसी रिसर्च के निवेश करते हैं तो SIP के जरिए भी नुकसान हो सकता है. (Pixabay)
Strong SIP POrtfolio : म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) निवेश का एक पॉपुलर विकल्प है, जिसके जरिए लंबी अवधि में अपनी दौलत में खासी बढ़ोतरी की जा सकती है. SIP में कंपाउंडिंग का पूरा फायदा मिलता है. हालांकि इसके लिए बेहतर रिसर्च कर और कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखकर एडवाइजर की सलाह से निवेश करना जरूरी है. म्यूचुअल फंड एसआईपी की रिटर्न हिस्ट्री पर नजर डालें तो बहुत सी ऐसी स्कीम हैं, जिनका रिटर्न लंबी अवधि में 12 से 15 फीसदी सालाना या इससे भी अधिक रहा है. लेकिन अगर आप कुछ गलतियां कर जाते हैं तो आपका रिटर्न बिगड़ सकता है. हो सकता है कि आपकी कंपाउंडिंग भी निगेटिव (Negative compounding) हो जाए. ऐसे में कुछ टिप्स याद रखने जरूरी है, ताकि आप निगेटिव कंपाउंडिंग से बच सकें.
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SIP की बढ़ रही है लोकप्रियता
भारत में SIP के जरिए निवेश करने वालों की संख्या और निवेश की वैल्यू में लगातार इजाफा हो रहा है. मार्च 2024 की बात करें तो 1 महीने में एसआईपी के जरिए 19271 करोड़ रुपये का निवेश आया है. वहीं फाइनेंशियल ईयर 2024 में 199219 करोड़ रुपये का निवेश आया, जबकि एक साल पहले यानी फाइनेंशियल ईयर 2023 में SIP से निवेश 155972 करोड़ था. फाइनेंशियल ईयर 2022 में यह आंकड़ा 124566 करोड़ और फाइनेंशियल ईयर 2021 में 96080 करोड़ था. (AMFI डाटा)
बंद भी हो रहे SIP अकाउंट
SIP में निवेश के लिए लगातार अकाउंट (SIP Account) खुल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्सा में बंद भी हो रहे हैं. मसलन फरवरी 2024 में जहां 49.8 लाख नए SIP अकाउंट खुले तो 21.33 लाख बंद भी हुए. यानी बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपना अकाउंट लंबी अवधि तक नहीं रखते. जाहिर सी बात है कि इनमें बहुतों को नुकसान हो रहा होगा. या निगेटिव कंपाउंडिंग आ रही होगी.
कहीं बिना रिसर्च तो नहीं कर रहे निवेश
बहुत से लोग सिर्फ किसी सेगमेंट या निवेश के विकल्प में मिल रहे रिटर्न को देखकर पैसा लगाते हैं. अगर आप भी बिना किसी रिसर्च के निवेश करते हैं तो SIP के जरिए भी नुकसान हो सकता है. किसी भी फंड में निवेश करते समय हमेशा उसके पिछले प्रदर्शन, आउटलुक, पोर्टफोलियो में शामिल शेयर और एक्सपेंस रेश्यो की तुलना करनी चाहिए. वहीं एडवाइजर से भी सलाह लें.
फाइनेंशियल गोल तय करें
म्यूचुअल फंड में निवेश (Mutual Fund Investment) करते समय कई निवेशक यह गलती करते हैं कि वे अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारित नहीं करते हैं. इससे वे अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश नहीं कर पाते हैं. इससे आपका रिटर्न बिगड़ सकता है. वहीं कई बार जो लक्ष्य तय होता है, उस मुताबिक वे अपना निवेश नहीं बनाए रख पाते हैं. ऐसे में जब आपको अपने लक्ष्य के लिए पैसे की जरूरत होगी, तो निवेश के जरिए तैयार फंड पर्याप्त नहीं होता है.
टाइमिंग
बड़ी संख्या में निवेशक बाजार की टाइमिंग तय करने में गलती करते हैं. निवेश शुरू करने के लिए बाजार सस्ता होने का इंतजार नहीं करना चाहिए. बाजार में हर समय निवेश के मौके हैं. कई निवेशक बाजार में उथल पुथल को देखकर डर जाते हैं और लक्ष्य से पहले ही पैसे निकाल लेते हैं. भले ही उनका रिटर्न बिगड़ा हुआ हो. इसका असर यह होता है कि जब बाजार नई ऊंचाई बनाता है तो निवेशकों को इसका फायदा नहीं मिलता है. अगर लंबी अवधि तक धैर्य नहीं रख सकते तो SIP के बारे में विचार नहीं करना चाहिए.
डाइवर्सिटी
सफल निवेश के लिए डाइवर्सिटी बहुत जरूरी है. इसी वजह से म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय हमेशा पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइड करने पर जोर देना चाहिए. अलग अलग कैटेगरी के म्यूचुअल फंड स्कीम को अपने रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर अपने एसआईपी पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए. इससे किसी एक स्कीम में गिरावट आए तो दूसरे का रिटर्न पोर्टफोलियो को संभाल सकता है.
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पोर्टफोलियो का समय समय पर रिव्यू
अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं तो आपको समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो में मौजूद म्यूचुअल फंड के रिटर्न की जांच करते रहना चाहिए. अगर म्यूचुअल फंड लगातार निगेटिव रिटर्न दे रहा है या बाजार के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहा है, तो सभी विचारों को ध्यान में रखते हुए इससे बाहर निकलना बेहतर है.
(Source: AMFI, Financial Websites Blog)