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Equity Scheme : कैपिटल गेंस में बदलाव के बाद इक्विटी स्कीम पर होने वाली कमाई पर आपको पहले से ज्यादा टैक्स देना होगा. (Freepik)
Change in Capital Gains Impact on SIP : यूनियन बजट में म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए दोहरी मार पड़ी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेंस टैक्स में बदलाव का एलान किया है. बजट में इक्विटी-ओरिएंटेड फंड पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) में बदलाव किया गया है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स 10 फीसदी से बढ़कर 12.5 फीसदी हो गया है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स अब 15 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हो गया है. हालांकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स तभी टैक्स के दायरे में आएगा, जब एक वित्त वर्ष में आपको 1.25 लाख रुपये से ज्यादा फायदा हुआ हो. पहले यह 1 लाख रुपये था.
कमाई पर ज्यादा टैक्स
फिलहाल कैपिटल गेंस में बदलाव के बाद इक्विटी स्कीम पर होने वाली कमाई पर आपको पहले से ज्यादा टैक्स देना होगा. भारतीय निवेशकों के लिए इक्विटी बाजारों में निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड सबसे पसंदीदा तरीका बनता जा रहा है. अप्रैल 2024 में पहली बार सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) के जरिए मंथली निवेश 20,000 करोड़ रुपये के पार चला गया. वहीं साल दर साल इसमें निवेशकों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में एसआईपी निवेशकों को टैक्स बढ़ने से अपने मुनाफे पर होने वाले असर को समझना जरूरी है. बजट में डेट म्यूचुअल फंड पर सामान्य इनकम टैक्स रेट के हिसाब टैक्स लगाया जाना जारी रखा गया है.
SIP पर कैसे लगता है टैक्स
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि म्यूचुअल फंड में अगर आप एसआईपी के जरिए मंथली बेसिस पर निवेश करते हैं तो आपकी हर महीने की किस्त एक अलग निवेश के रूप में जानी जाती है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि आपने 5 साल के लिए एसआईपी का प्लान किया. आप हर महीने 5000 रुपये एसआईपी करते हैं. ऐसे में होल्डिंग पीरियड और उस पर कितना टैक्स लगेगा, इसके लिए हर किस्त अलग अलग मानी जाती है.
मसलन आपने 5 साल यानी 60 महीने की एसआईपी की तो इसे भुनाने पर जो टैक्स पहली से लेकर 48वीं किस्त पर लगेगी, वह 50वीं या 51 वीं या उसके बाद वाली किस्त पर नहीं लगेगी. जो भी किस्त 12 महीने से कम की है, वह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के तहत आएगी. एस पर एसटीसीजी के तहत टैक्स देना होगा. जबकि जो भी 12 महीने से पहले से जमा हो रही है, उस पर एलटीसीजी लगेगा.
टैक्स के नुकसान से कैसे बचें
एके निगम का कहना है कि एलटीसीजी और एसटीसीजी बढ़ने से आपको कुछ बढ़ा हुआ टैक्स देना होगा. लेकिन आप स्मार्ट म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स हैं तो नुकसान से बच सकते हैं. उनका कहना है कि अगर आपने लंबी अवधि के लिए एसआईपी चुनी है तो 4 साल या 5 साल होने के बाद आप विद्ड्रॉल के लिए एसडबल्यूपी यानी सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान का विकल्प चुन सकते हैं. एसडबल्यूपी में विद्ड्राल पहले उन यूनिट का होता है, जो पहले खरीदी गई होती हैं. इसलिए 4 या 5 साल बाद हर महीने का विद्ड्रॉल एलटीसीजी में आएगा. वहीं इसमें भी बेहतर है कि आप मंथली बेसिस पर 10 हजार रुपये के विद्ड्रॉल का विकल्प रखें, जो एक साल में 1,20,000 रुपये होगा. 1,25,000 रुपये से कम होने के नाते इस पर एलटीसीजी के तहत टैक्स नहीं लगेगा.
बता दें कि इक्विटी निवेश की होल्डिंग 1 साल से कम रहने पर उससे होने वाली कमाई पर एसटीसीजी 20 फीसदी की दर से लगेगा. जबकि होल्डिंग 12 महीने से ज्यादा रहने पर वह एलटीसीजी के तहत आएगा, जिस पर 1,25,000 रुपये से ज्यादा कमाई पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा.