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Small Cap vs Micro Cap: Nifty माइक्रो कैप इंडेक्स का सालाना रिटर्न निफ्टी स्मॉल कैप इंडेक्स से काफी अधिक रहा है. (Image : Pixabay)
Small Cap vs Micro Cap: Which is Better for Investment: पिछले एक साल में 60 फीसदी से ज्यादा रिटर्न देने वाले निफ्टी माइक्रो कैप इंडेक्स (Nifty Micro Cap 250 Index) और इसी दौरान करीब 53 फीसदी मुनाफा देने वाले स्मॉल कैप इंडेक्स (Nifty Small Cap 250 Index) की तुलना करें तो आप किसे बेहतर मानेंगे? अगर फैसला सिर्फ रिटर्न के आधार पर करना हो, तो ज्यादातर लोगों का झुकाव बेहतर रिटर्न देने वाले माइक्रो कैप इंडेक्स की तरफ हो सकता है. लेकिन क्या ऐसा करना सही होगा? इस सवाल पर आगे बात करेंगे, लेकिन पहले देखते हैं कि पिछले 1, 3, 5 और 10 साल में इन दोनों के रिटर्न कितने रहे हैं. यह भी बता दें कि स्मॉल कैप में उन कंपनियों के स्टॉक्स को शामिल किया जाता है, जिनकी रैंक मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज 251 से 500 तक होती है. वहीं मार्केट कैप के आधार पर 501 से 750वें रैंक वाली कंपनियों को माइक्रो कैप में शामिल किया जाता है.
माइक्रो कैप vs स्मॉल कैप : रिटर्न के पिछले आंकड़े
Nifty स्मॉल कैप 250 इंडेक्स का 1 साल का रिटर्न : 53.1%
Nifty माइक्रो कैप 250 इंडेक्स का 1 साल का रिटर्न : 60.4%
Nifty स्मॉल कैप 250 इंडेक्स का 3 साल का रिटर्न : 26%
Nifty माइक्रो कैप 250 इंडेक्स का 3 साल का रिटर्न : 37.4%
Nifty स्मॉल कैप 250 इंडेक्स का 5 साल का रिटर्न : 31.8%
Nifty माइक्रो कैप 250 इंडेक्स का 5 साल का रिटर्न : 42%
Nifty स्मॉल कैप 250 इंडेक्स का 10 साल का रिटर्न : 16.1%
Nifty माइक्रो कैप 250 इंडेक्स का 10 साल का रिटर्न : 22.2%
(Source : NSE, 12 सितंबर 2024 तक अपडेटेड आंकड़े)
सिर्फ रिटर्न नहीं, रिस्क पर भी ध्यान दें
ऊपर दिए आंकड़ों से साफ जाहिर है कि 1 साल ही नहीं, 3 साल, 5 साल और 10 साल की अवधि के दौरान भी Nifty Micro Cap 250 Index का औसत सालाना रिटर्न, Nifty Small Cap 250 Index की तुलना में काफी अधिक रहा है. लेकिन क्या निवेश का फैसला करने से पहले सिर्फ रिटर्न के आंकड़े देखना ही काफी है? अगर आप स्मार्ट इनवेस्टर हैं, तो रिटर्न के साथ ही साथ रिस्क पर गौर करना नहीं भूलेंगे.
ज्यादा रिटर्न के साथ जुड़ा है हाई रिस्क
स्मॉल कैप और माइक्रो कैप, दोनों में ऊंचे रिटर्न की संभावना, लार्ज कैप और मिड कैप स्टॉक्स की तुलना में अधिक मानी जाती है. लेकिन दोनों ही कैटेगी में निवेश पर रिस्क भी अधिक रहता है. खास तौर पर माइक्रो कैप स्टॉक्स तो स्मॉल कैप से भी काफी अधिक रिस्की माने जाते हैं. इसके कुछ खास कारण हैं :
1. लिक्विडिटी की कमी: माइक्रो कैप कंपनियों में ट्रांजैक्शन कम होते हैं, जिससे शेयरों को खरीदना और बेचना मुश्किल हो सकता है. यह लिक्विडिटी की कमी स्टॉक्स की कीमतों में अस्थिरता पैदा कर सकती है, जिससे निवेश पर बुरा असर पड़ सकता है.
2. कंपनियों के भविष्य से जुड़ा रिस्क: कई माइक्रो कैप कंपनियां लंबे समय तक बाजार में टिक भी नहीं पातीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 साल में, माइक्रो कैप इंडेक्स में शामिल 50% से अधिक कंपनियों की रैंकिंग कमजोर प्रदर्शन के कारण नीचे खिसकी है.
3. ट्रैकिंग एरर: फिलहाल भारतीय बाजार में केवल एक ही इंडेक्स फंड माइक्रो कैप इंडेक्स को ट्रैक करता है, और इसमें सीमित लिक्विडिटी के कारण ट्रैकिंग एरर अधिक होता है. इसका मतलब यह है कि फंड के रिटर्न और इंडेक्स के रिटर्न में बड़ा अंतर हो सकता है.
4. ज्यादा अस्थिरता : माइक्रो कैप स्टॉक्स में अस्थिरता (Volatility) ज्यादा होती है. इनके रिटर्न में बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं. स्टैंडर्ड डेविएशन के आधार पर माइक्रो कैप इंडेक्स की अस्थिरता स्मॉल कैप से काफी अधिक है.
5. निगेटिव रिटर्न की आशंका : माइक्रो कैप इंडेक्स ने पांच साल में कुल मिलाकर भले ही बेहतर रिटर्न दिए हों, लेकिन इस दौरान 10.2% समय उसका रिटर्न निगेटिव भी रहा है. निगेटिव रिटर्न का यह अनुपात स्मॉल कैप या Nifty 500 जैसे अन्य इंडेक्स के मुकाबले अधिक है. इसका मतलब यह है कि मार्केट में गिरावट के दौरान, इस इंडेक्स में नुकसान दूसरे इंडेक्स की तुलना में अधिक रहने की आशंका है.
माइक्रो कैप से क्यों बेहतर हैं स्मॉल कैप?
- बेहतर स्थिरता: स्मॉल कैप स्टॉक्स, माइक्रो कैप की तुलना में ज्यादा स्थिर होते हैं और इनमें अस्थिरता कम होती है.
- कम जोखिम: स्मॉल कैप कंपनियों का आकार माइक्रो कैप से बड़ा होता है, इसलिए उनमें बाजार के उतार-चढ़ाव को झेलने की क्षमता भी माइक्रो कैप के मुकाबले अधिक होती है. यही वजह है कि उनमें गिरावट का रिस्क कम होता है.
- ट्रैकिंग एरर कम: स्मॉल कैप इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फंड्स में ट्रैकिंग एरर की समस्या माइक्रो कैप की तुलना में कम होती है.
निवेश के लिए कौन है बेहतर?
अगर आप ज्यादा रिटर्न की उम्मीद रखते हैं और जोखिम सहन करने की क्षमता है, तो माइक्रो कैप स्टॉक्स आपको आकर्षक लग सकते हैं. लेकिन निवेश से पहले इनसे जुड़े भारी रिस्क पर ध्यान देना भी जरूरी है. सच तो यह है कि स्मॉल कैप स्टॉक्स भी लार्ज कैप और मिड कैप के मुकाबले काफी रिस्की माने जाते हैं. इसलिए रिटेल निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में स्मॉल कैप स्टॉक्स को भी कम ही रखने की सलाह दी जाती है. इस लिहाज से, अगर वे माइक्रो कैप से दूर रहें तो ही बेहतर है. जो निवेशक हाई रिस्क को जानने के बाद भी हाई रिटर्न के लिए माइक्रो कैप में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें ऐसे स्मॉल कैप फंड्स में निवेश करना चाहिए, जो अपने पोर्टफोलियो में कुछ माइक्रो कैप स्टॉक्स को भी शामिल करते हैं. कुल मिलाकर माइक्रो कैप में निवेश रिटेल इनवेस्टर्स के लिए काफी रिस्की हो सकता है. सुनी-सुनाई बातों के आधार पर माइक्रो कैप में निवेश का फैसला न करें. इस बारे में कोई भी कनफ्यूजन होने पर अपने निवेश सलाहकार की राय लें.