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Bank DEposit : स्मॉल फाइनेंस बैंकों को भी बैंक रेगुलेटर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ही लाइसेंस मिलता है और रेगुलेट किया जाता है. (Pixabay)
Best FD Interest Rates : आप फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) के जरिए भी 8.50 से 9.50 फीसदी सालाना ब्याज हासिल कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको कुछ रिसर्च करना होगा. असल में प्रमुख बैंकों के अलावा स्मॉल फाइनेंस बैंक (Small Finance Bank) भी फिक्स्ड डिपॉजिट की सुविधा देते हैं और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कुछ ज्यादा ब्याज देते हैं. ऐसा लाजिमी भी है, क्योंकि इनका बेस प्रमुख बैंकों से छोटा है तो निवेशक ज्यादा ब्याज देखकर ही प्रमुख बैंकों की जगह एसएफबी का विकल्प चुनेंगे. लेकिन एक सवाल उठता है कि प्रमुख बैंकों की तुलना में लिक्विडिटी कम होने के बाद भी स्माल फाइनेंस बैंक क्यों ज्यादा ब्याज दे रहे हैं. अगर आप कुछ रिसर्च कर लें तो इस सवाल का जवाब मिल जाएगा और आप बिना टेंशन इनमें निवेश कर सकेंगे.
स्मॉल फाइनेंस बैंक : हाइएस्ट स्लैब (सामान्य नागरिक)
यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9% सालाना
नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9% सालाना
सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.65% सालाना
शिवालिक स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.55% सालाना
इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.50% सालाना
जना स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.50% सालाना
उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.50% सालाना
उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.50% सालाना
ESAF स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.25% सालाना
एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8% सालाना
फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8% सालाना
आरबीएल बैंक : 8% सालाना
(सोर्स : www.paisabazaar.com, ये हाइएस्ट स्लैब अलग अलग टेन्योर के लिए हो सकता हैं.)
स्मॉल फाइनेंस बैंक : हाइएस्ट स्लैब (वरिष्ठ नागरिक)
यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9.50% सालाना
नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9.50% सालाना
सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9.15% सालाना
शिवालिक स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9.05% सालाना
इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9.00% सालाना
जना स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9.00% सालाना
उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9.00% सालाना
उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक : 9.00% सालाना
ESAF स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.75% सालाना
एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.50% सालाना
फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.50% सालाना
आरबीएल बैंक : 8.50% सालाना
(सोर्स : www.paisabazaar.com, ये हाइएस्ट स्लैब अलग अलग टेन्योर के लिए हो सकता हैं.)
क्यों मिलता है ज्यादा ब्याज
स्मॉल फाइनेंस बैंकों को छोटे छोटे टिकट साइज का लोन देने के लिए जाना जाता है. आमतौर पर बहुत से ग्राहक जिन्हें प्रमुख बैंकों से लोन नहीं मिल पाता, वे स्मॉल फाइनेंस बैंकों की ओर रुख करते हैं. स्मॉल फाइनेंस बैंक लोन के लिए कुछ हल्के नार्म रखते हैं और इसी के चलते उन लोगों को भी लोन दे देते हैं, जिन्हें प्रमुख बैंकों ने मना कर दिया होता है. लेकिन इसके बदले वे ज्यादा इंटरेस्ट लेते हैं. लोन बिजनेस में ज्यादा इंटरेस्ट लेने के चलते वे बैंक एफडी पर ज्यादा ब्याज देकर ग्राहकों को आकर्षित करते हैं. इसका फायदा यह है कि जितना एफडी होगा, बैंक के पास उतना डिपॉजिट बढ़ेगा और वे आसानी से लोन बिजनेस को भी ऑपरेट कर सकते हैं.
क्या इसमें डिपॉजिट है रिस्की?
स्मॉल फाइनेंस बैंकों को भी बैंक रेगुलेटर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ही लाइसेंस मिलता है और रेगुलेट किया जाता है और रेगुलेटर की नजर इन पर होती है. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है, इनमें डिपॉजिट रिस्की है. हालांकि इनके कुछ ग्राहक ऐसे होते हैं, जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री का अंदाजा नहीं होता है. उन मामलों में लोन डिफाल्ट का रिस्क होता है, लेकिन टिकट साइज बहुत कम होने से यह रिस्क लिमिटेड होता है.
बेहतर है कि एफडी करने के पहले बैंकों का स्ट्रक्चर और कस्टमर बेस चेक कर लें. उनका फाइनेंशियल देख लें, डिफाल्ट हिस्ट्री चेक कर लें. बैंक के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) की क्या स्थिति है, यह भी पता करें. क्रेडिट एजेंसियों द्वारा इनकी स्कीम की रेटिंग जरूर देखें.
बैंक पर कितना है NPA?
नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) की जांच कर लेना जरूरी है. जब भी किसी बैंक का ग्रॉस एनपीए बढ़ता है, तो उसे भविष्य में होने वाले नुकसान के लिए प्रावधान यानी प्रोविजनिंग करनी पड़ती है. प्रावधान वह धनराशि है जो बैंक एनपीए से होने वाले संभावित नुकसान को कवर करने के लिए अलग रखते हैं. भारत में किसी बैंक का नेट एनपीए उनके लिए किए गए प्रावधानों को घटाने के बाद एनपीए का वैल्यू होता है. नेट एनपीए अनुपात बैंक द्वारा दिए गए नेट लोन पर एनपीए का प्रतिशत है. कम नेट एनपीए अनुपात दर्शाता है कि बैंक ने अपने बैड लोन के लिए पर्याप्त प्रावधान किए हैं और उसके पास एक अच्छा लोन पोर्टफोलियो है.
बैंक की रेटिंग देख लें
अक्सर स्माल फाइनेंस बैंक की एफडी स्कीम की रेटिंग क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा की जाती है. CRISIL, ICRA और CARE जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां SFB को उनकी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी, एसेट क्वालिटी, मैनेजमेंट की क्षमता और अन्य मापदंडों के आधार पर रेट करती हैं. हाई क्रेडिट रेटिंग का संकेत है कि वित्तीय स्थिति मजबूत है और जमाकर्ताओं की जमा राशि लौटाने में रिस्क बहुत कम है. जबकि खराब रेटिंग वाले बैंकों से दूर रहने में भलाई है.
(सोर्स : Bank Websites, फाइनेंशियल वेबसाइट्स)