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High Return High Risk Funds : सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स शानदार रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन इनमें रिस्क भी अधिक रहता है. (Image : Pixabay)
Sectoral / Thematic Funds : High Return, High Risk Investment Option : पिछले 5 सालों में कुछ सेक्टोरल और थीमैटिक म्यूचुअल फंड्स ने शानदार प्रदर्शन किया है. इनमें पहले नंबर पर रहे क्वांट इंफ्रास्ट्रक्चर फंड ने तो 5 साल में 42.19% की दर से औसत सालाना रिटर्न दिया है. ऐसे फंड्स निवेशकों को हाई रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं, लेकिन इसके साथ जोखिम भी उतना ही ज्यादा होता है. ऐसे में सवाल ये है कि सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में किन निवेशकों को पैसे लगाने चाहिए और इनमें निवेश करते समय क्या रणनीति अपनानी चाहिए. लेकिन पहले जान लेते हैं कि सेक्टोरल या थीमैटिक फंड्स होते क्या हैं.
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स क्या होते हैं?
सेक्टोरल फंड्स सिर्फ एक खास सेक्टर में निवेश करते हैं, जैसे बैंकिंग, आईटी, फार्मा या इंफ्रास्ट्रक्चर. इनका फोकस बेहद सीमित होता है और ये उस सेक्टर के प्रदर्शन पर ही निर्भर रहते हैं. वहीं थीमैटिक फंड्स किसी विशेष थीम पर आधारित होते हैं, जैसे डिफेंस, ग्रीन एनर्जी और डिजिटलाइजेशन वगैरह. ये फंड्स उस थीम से जुड़े कई सेक्टर्स में निवेश करते हैं. थीमैटिक फंड्स में डायवर्सिफिकेशन सेक्टोरल फंड्स से कुछ अधिक होता है, लेकिन दोनों को ही हाई रिस्क वाला इनवेस्टमेंट ऑप्शन माना जाता है.
5 साल में किसने दिया कितना रिटर्न?
सेक्टोरल/थीमैटिक फंड्स के पिछले रिटर्न के आंकड़े बताते हैं कि ये फंड्स कितने हाई रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. मिसाल के तौर पर पिछले 5 सालों में टॉप 5 सेक्टोरल/थीमैटिक फंड्स का एवरेज एनुअल रिटर्न अधिकतम 42 फीसदी तक रहा है. यह सभी आंकड़े इन फंड्स के डायरेक्ट प्लान्स के हैं.
फंड का नाम / 5 साल का रिटर्न (CAGR)
Quant Infrastructure Fund – 42.19%
ICICI Prudential Infrastructure Fund – 39.61%
Bandhan Infrastructure Fund – 37.90%
ICICI Prudential Commodities Fund – 37.79%
HDFC Infrastructure Fund – 37.57%
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स से जुड़े रिस्क
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स का प्रदर्शन बाजार की स्थिति और सेक्टर के साइकल पर निर्भर करता है. जो सेक्टर आज अच्छा कर रहा है, वह कल घाटे में जा सकता है. ऐसे साइक्लिकल प्रदर्शन के कारण इनमें निवेश और एग्जिट की सही टाइमिंग होना बेहद जरूरी है. साथ ही एक ही सेक्टर या थीम में निवेश करने की वजह से यह रिस्क बना रहता है कि अगर वह सेक्टर या थीम कमजोर हो जाए तो फंड के प्रदर्शन पर असर पड़ता है. इसलिए ये फंड्स अधिक जोखिम वाले माने जाते हैं.
डायवर्सिफाइड फंड्स और इनमें क्या है फर्क?
डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स जैसे फ्लेक्सीकैप या मल्टीकैप फंड्स के पोर्टफोलियो में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप समेत बाजार के सभी सेगमेंट शामिल होते हैं. इनका जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है और समय के साथ स्टेबल रिटर्न देने की संभावना अधिक होती है. सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स इनके मुकाबले ज्यादा अस्थिर होते हैं.
क्या हो निवेश की रणनीति
थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स में निवेश की रणनीति निवेशकों के रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से होनी चाहिए. ऐसे अनुभवी जो बाजार की गहराई से समझ रखते हैं और लगातार निगरानी कर सकते हैं, उनके लिए ये म्यूचुअल फंड्स अच्छे साबित हो सकते हैं. साथ ही उनमें हाई रिस्क लेने की क्षमता भी होनी चाहिए. ऐसे निवेशक हाई रिटर्न के लिए इनमें निवेश कर सकते हैं. लेकिन उन्हें भी अपने कुल इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो का 10% से ज्यादा हिस्सा सेक्टोरल या थीमैटिक फंड्स में नहीं लगाना चाहिए. बाकी पैसे फ्लेक्सीकैप या मल्टीकैप जैसे डायवर्सिफाइड फंड्स में ही लगाएं तो बेहतर रहेगा. जो निवेशक इक्विटी में इनवेस्ट तो करना चाहते हैं, लेकिन रिस्क लेने की क्षमता काफी कम है, वे सिर्फ बड़ी और मजबूत कंपनियों में निवेश करने वाले लार्ज कैप फंड्स को भी चुन सकते हैं.
कुल मिलाकर यह समझना जरूरी है कि सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स शानदार रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन इनमें रिस्क भी अधिक रहता है. ऐसे फंड्स में निवेश से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता और बाजार की समझ का आकलन जरूर करना चाहिए. ऐसा किए बिना सिर्फ पिछले प्रदर्शन के आधार पर निवेश किया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का मकसद सिर्फ जानकारी देना है. निवेश की सिफारिश करना नहीं. म्यूचुअल फंड्स का पिछला रिटर्न भविष्य में जारी रहने की कोई गारंटी नहीं होती. निवेश के फैसले अपने निवेश सलाहकार की राय लेकर ही करें.)