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Nippon India New Fund Offer : निप्पॉन इंडिया इनकम प्लस आर्बिट्राज एक्टिव FoF में सब्सक्रिप्शन 11 जून तक खुला है. (Image : Pixabay)
Nippon India Income Plus Arbitrage Active FoF NFO : निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड की नई स्कीम, इनकम प्लस आर्बिट्राज एक्टिव FoF के एनएफओ में सब्सक्रिप्शन ओपन हो चुका है. यह स्कीम एक फंड ऑफ फंड (FoF) है, यानी ये सीधे स्टॉक्स में पैसे लगाने की जगह दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश करेगी. इस स्कीम के जरिये दो तरह के एसेट्स में निवेश किया जाएगा. एक तो आर्बिट्राज फंड्स और दूसरे डेट फंड. ये दोनों ही तुलनात्मक रूप से स्टेबल रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. इस एनएफओ में सब्सक्रिप्शन से जुड़ा कोई भी फैसला करने से पहले इसकी खास बातों को जानना जरूरी है.
क्या है इस फंड की निवेश रणनीति?
निप्पॉन इंडिया इनकम प्लस आर्बिट्राज एक्टिव FoF एक हाइब्रिड फंड ऑफ फंड होगा, जो मुख्य तौर पर दो तरह के एसेट्स में निवेश करेगा. इसके पोर्टफोलियो में आर्बिट्राज फंड्स (Arbitrage Funds) का हिस्सा 35% से अधिक होगा, जबकि डेट फंड्स (Debt Funds) की हिस्सेदारी 65% से कम रहेगी. इस निवेश रणनीति का मुख्य उद्देश्य बाजार की अस्थिरता के बावजूद स्टेबल रिटर्न हासिल करना है. इस स्कीम में प्योर इक्विटी फंड्स के मुकाबले ज्यादा स्टेबल और प्योर डेट फंड्स के मुकाबले बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है. एक न्यू फंड ऑफर होने की वजह से इसका कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है. लेकिन ऐसी ही थीम पर आधारित दूसरे फंड्स ने पिछले 1 साल में करीब 5.5 फीसदी से लेकर 11.6 फीसदी तक रिटर्न दिया है.
आर्बिट्राज फंड्स में निवेश का तरीका
आर्बिट्राज फंड दो अलग-अलग मार्केट्स में स्टॉक्स की कीमतों में मौजूद अंतर के जरिये कमाई करते हैं. इन फंड्स के मैनेजर स्टॉक्स की कीमतों में मौजूद अंतर (cash vs future market arbitrage), को लगातार मॉनिटर करते हैं. इसके साथ ही वे ब्याज दर, क्रेडिट रिस्क, और लिक्विडिटी पर भी नजर रखते हैं. इन रुझानों के विश्लेषण के आधार पर फंड के एसेट एलोकेशन को एक्टिवली रीबैलेंस किया जाता है. ध्यान रहे कि यह फंड सीधे तौर पर स्टॉक्स में निवेश करने की बजाय दूसरे म्यूचुअल फंड्स के जरिये निवेश करेगा.
एसेट एलोकेशन स्ट्रैटजी
एसेट कैटेगरी | मिनिमम इनवेस्टमेंट | मैक्सिमम इनवेस्टमेंट | रिस्क प्रोफाइल |
आर्बिट्राज और डेट म्यूचुअल फंड्स | 95% | 100% | Medium to High |
डेट एंड मनी मार्के इंस्ट्रूमेंट्स | 0% | 5% | Low to Medium |
टैक्सेशन के लिहाज से क्यों बेहतर है ये स्कीम
टैक्सेशन के लिहाज से यह स्कीम प्योर डेट फंड्स की तुलना में बेहतर है. अगर कोई निवेशक इस स्कीम में अपने निवेश को 2 साल से अधिक समय तक होल्ड करने के बाद पैसे निकालता है, तो मुनाफे पर 12.5% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स लगेगा. यह टैक्स ट्रीटमेंट इसे परंपरागत डेट फंड्स की तुलना में ज्यादा टैक्स एफिशिएंट बनाता है. लेकिन 2 साल से कम के निवेश पर होने वाला मुनाफा टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होगा.
NFO की जरूरी बातें
NFO ओपनिंग डेट: 2 जून 2025
NFO क्लोजिंग डेट: 11 जून 2025
स्कीम दोबारा खुलने की तारीख: 23 जून 2025
- रिस्क लेवल : मॉडरेट
स्कीम का लक्ष्य : स्टेबल और टैक्स-एफिशिएंट रिटर्न देना
इस फंड में कोई एग्ज़िट लोड नहीं है, यानी आप चाहें तो जल्दी भी पैसा निकाल सकते हैं.
SIP, STP और ऑटो-स्विच जैसे फीचर भी इसमें उपलब्ध हैं.
निवेश की शुरुआत 500 रुपये से की जा सकती है.
क्या यह डेट फंड का विकल्प है?
यह फंड ट्रेडिशनल डेट फंड से बेहतर पोस्ट टैक्स रिटर्न देने की क्षमता तो रखता है, लेकिन इसे पूरी तरह उनका विकल्प नहीं माना जा सकता. इसकी एक वजह तो यह है कि फंड ऑफ फंड्स होने और खास निवेश रणनीति की वजह से इसका एक्सपेंस रेश्यो कुछ थोड़ा ज्यादा हो सकता है. हां, बेहतर टैक्स बेनिफिट और कम वोलैटिलिटी की वजह से ऐसे फंड्स को पूरे पोर्टफोलियो में 5 से 10% तक जगह दी जा सकती है. खासकर 2-3 साल के इन्वेस्टमेंट होराइजन के लिए.
किनके लिए सही है यह फंड?
ऐसे निवेशक जिनकी रिस्क प्रोफाइल कंज़र्वेटिव है, यानी जो प्योर इक्विटी फंड में निवेश से जुड़ा हाई रिस्क नहीं लेना चाहते और साथ ही ट्रेडिशन डेट फंड्स के मुकाबले बेहतर पोस्ट टैक्स रिटर्न चाहते हैं, इस पर विचार कर सकते हैं. साथ ही उन्हें टैक्स एफीशिएंट रिटर्न के लिए इस फंड में अपने निवेश को कम से कम 2-3 साल तक होल्ड करने की तैयारी रखनी चाहिए. हाई टैक्स ब्रैकेट में आने वाले निवेशकों के लिए यह खास तौर पर आकर्षक निवेश हो सकता है.कुल मिलाकर देखें तो निप्पॉन इंडिया इनकम प्लस आर्बिट्राज एक्टिव FoF का एनएफओ उन निवेशकों के लिए सही विकल्प हो सकता है जो कम रिस्क में स्टेबल रिटर्न और टैक्स एफिशिएंसी की तलाश कर रहे हैं. NFO में निवेश करते समय यह जरूर जांच लें कि यह आपके फाइनेंशियल गोल्स, इन्वेस्टमेंट होराइजन और रिस्क प्रोफाइल से मेल खाता है या नहीं.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सिफारिश करना नहीं. निवेश के फैसले अपने निवेश सलाहकार की राय लेकर ही करें.)