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WPI Inflation : थोक महंगाई दर में राहत, नवंबर में गिरकर 1.89% हुई, अक्टूबर में 2.36% बढ़ी थीं होलसेल प्राइस

Wholesale Price Index : देश में थोक महंगाई दर नवंबर 2024 में घटकर 1.89% पर आ गई है, जो अक्टूबर में 2.36% थी. यह गिरावट मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर में कमी के कारण आई है.

Wholesale Price Index : देश में थोक महंगाई दर नवंबर 2024 में घटकर 1.89% पर आ गई है, जो अक्टूबर में 2.36% थी. यह गिरावट मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर में कमी के कारण आई है.

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Viplav Rahi
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inflation rate India, India CPI February 2025

WPI Inflation Data: नवंबर में देश की थोक महंगाई दर में नरमी आना अच्छा संकेत है. (File Photo : Indian Express)

Wholesale Price Index November 2024 Data : भारत में थोक महंगाई दर (WPI) नवंबर में घटकर 1.89% पर आ गई है, जो अक्टूबर में 2.36% थी. यह गिरावट मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर में कमी के कारण आई है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों की कीमतों में नरमी के चलते थोक महंगाई दर में यह राहत देखी गई. विशेषज्ञों का अनुमान था कि यह दर 2.20% पर रहेगी, लेकिन यह उम्मीद से बेहतर रही है.

फूड इंफ्लेशन में गिरावट

फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर में नवंबर में बड़ी गिरावट देखी गई. यह अक्टूबर के 13.54% से घटकर 8.63% रह गयी. सब्जियों की थोक महंगाई दर भी अक्टूबर में 63.04% थी, जो नवंबर में घटकर 28.57% पर आ गई. हालांकि, आलू की कीमतें अभी भी 82.79% की ऊंची दर से बढ़ रही हैं, लेकिन प्याज की महंगाई दर में तेज गिरावट आई और यह नवंबर में सिर्फ 2.85% रही. इसके अलावा, अनाजों की कीमतों में भी थोड़ी स्थिरता देखी गई. नवंबर में अनाज की महंगाई दर 7.81% थी, जो अक्टूबर के 7.9% से मामूली रूप से कम रही. फूड इंफ्लेशन में इस गिरावट का श्रेय फसलों के बेहतर उत्पादन और अच्छे मानसून को दिया जा रहा है.

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फ्यूल और पावर के दामों में नरमी

फ्यूल और पावर की कीमतों में नवंबर के दौरान 5.83% की गिरावट दर्ज की गई. अक्टूबर में भी इनकी कीमतों में 5.79% की कमी देखने को मिली थी. इनमें गिरावट ने थोक महंगाई दर को काबू में रखने में काफी मदद की है. मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर में हल्की बढ़ोतरी हुई है. यह अक्टूबर के 1.50% से बढ़कर नवंबर में 2% पर पहुंच गई. इन प्रोडक्ट्स का WPI में करीब 64% हिस्सा होता है, जिससे यह कैटेगरी पूरी थोक महंगाई दर को प्रभावित करती है.

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आरबीआई के लिए अच्छे संकेत

थोक महंगाई दर में गिरावट से पहले खुदरा महंगाई दर (CPI) में भी सुधार देखने को मिल चुका है. खुदरा महंगाई नवंबर में घटकर 5.48% पर आ गई, जो अक्टूबर में 6.21% थी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह खुदरा महंगाई को उसके 6% के ऊपरी दायरे के भीतर बनाए रखने में मदद मिल सकती है. आरबीआई ने हाल ही में मॉनेटरी पॉलिसी में अपनी ब्याज दरों को स्थिर रखा है और इकॉनमी को समर्थन देने के लिए कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में कटौती की है. जानकारों का मानना है कि फूड इंफ्लेशन में नरमी से महंगाई दर में और गिरावट देखने को मिल सकती है.

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भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञों का कहना है कि बेहतर मानसून, वॉटर रिज़र्वॉयर्स में पर्याप्त पानी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी से रबी फसलों के उत्पादन में सुधार होगा. इससे आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई में और गिरावट की उम्मीद है. हालांकि, आलू और अन्य कुछ फसलों की ऊंची कीमतें अब भी चुनौती बनी हुई हैं. आरबीआई ने 2024-25 की तीसरी तिमाही में फूड इंफ्लेशन के ऊंचे स्तर पर बने रहने और चौथी तिमाही में स्थिरता आने की संभावना जाहिर की है.