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19 साल की असफल कोशिशों के बाद एआई की मदद से दंपत्ति को संतान सुख मिला: जानिए कैसे मिली यह सफलता

दो दशक बाद, एक दंपत्ति ने एआई-आधारित STAR तकनीक से सफल गर्भधारण किया. इस तकनीक ने एज़ूस्पर्मिया मामले में दुर्लभ स्पर्म खोजकर ICSI के जरिए गर्भावस्था संभव की. यह एआई की पहली क्लिनिकल सफलता है.

दो दशक बाद, एक दंपत्ति ने एआई-आधारित STAR तकनीक से सफल गर्भधारण किया. इस तकनीक ने एज़ूस्पर्मिया मामले में दुर्लभ स्पर्म खोजकर ICSI के जरिए गर्भावस्था संभव की. यह एआई की पहली क्लिनिकल सफलता है.

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FE Hindi Desk
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एआई की STAR तकनीक से बदली दंपत्ति की किस्मत, 19 साल बाद मिली संतान की खुशखबरी. Photograph: (Gemini)

लगभग दो दशकों के निरंतर प्रयासों और 15 असफल आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन) चक्रों तथा कई सर्जरी के बाद एक दंपत्ति ने आखिरकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) आधारित नई प्रजनन तकनीक की मदद से सफलतापूर्वक संतान सुख प्राप्त किया है. यह अभूतपूर्व मामला द लैंसेट में प्रकाशित एक चिकित्सा पत्राचार में दर्ज किया गया है, जो यह दर्शाता है कि एआई अब जटिलतम बांझपन के मामलों को सुलझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

अमेरिका में रहने वाले इस 39 वर्षीय पुरुष और 37 वर्षीय महिला दंपत्ति को एक गंभीर चिकित्सीय चुनौती का सामना करना पड़ा. पुरुष एज़ूस्पर्मिया (azoospermia) नामक स्थिति से ग्रस्त थे, जिसमें सीमेन में कोई विज़िबल स्पर्म नहीं होता. इस कारण दंपत्ति को स्पर्म प्राप्त करने के लिए कई बार दर्दनाक सर्जरी से गुजरना पड़ा.

हालांकि, उनकी किस्मत तब बदल गयी जब उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित नई प्रणाली STAR (स्पर्म ट्रैकिंग एंड रिकवरी) का सहारा लिया.

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दंपत्ति ने संतान प्राप्ति के लिए एआई-आधारित STAR प्रणाली का सहारा लिया

कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर के निदेशक और रिपोर्ट के वरिष्ठ लेखक डॉ. ज़ेव विलियम्स ने बताया, “एक सीमेन सैंपल यूँ  देखने में पूरी तरह सामान्य लग सकता है, लेकिन जब माइक्रोस्कोप के नीचे देखा जाता है तो केवल कोशिकीय अवशेषों का समुद्र दिखाई देता है. कोई स्पर्म उसमें नजर नहीं आता.” उन्होंने आगे कहा, “पुरुष-जनित बांझपन (male-factor infertility) वाले कई दंपत्तियों को यह कह दिया जाता है कि उनके जैविक संतान प्राप्त करने की संभावना बहुत कम है.”

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कैसे काम करती है STAR तकनीक: एआई से मिली ‘दुर्लभ शुक्राणु’ की पहचान

STAR प्रणाली उच्च-शक्ति वाले इमेजिंग उपकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) एल्गोरिदम का उपयोग करती है ताकि वह वो कार्य कर सके जो मानव तकनीशियन नहीं कर पाते. यह तकनीक खगोल वैज्ञानिकों से प्रेरित है, जो एआई की मदद से अंतरिक्षीय शोर (celestial noise) के बीच नए तारों की खोज करते हैं. उसी तरह, STAR प्रणाली अत्यधिक गति से सीमेन सैम्पल्स को स्कैन करती है और उनमें मौजूद “बेहद दुर्लभ स्पर्म” को ढूंढ निकालती है.

इस दंपत्ति के मामले में, सीमेन नमूने की सामान्य मैन्युअल जांच में कोई स्पर्म नहीं पाया गया. हालांकि, जब उसी नमूने को STAR प्रणाली से गुजारा गया, तो एआई ने लगभग दो घंटे में 25 लाख माइक्रोस्कोपिक इमेजेज का विश्लेषण किया और कुल सात स्पर्म सेल्स का सफलतापूर्वक पता लगाया, जिनमें से दो जीवित और गतिशील थीं.

इसके बाद, प्रणाली ने एक माइक्रोफ्लूडिक चिप और रोबोटिक तकनीक की मदद से इन माइक्रोस्कोपिक सेल्स को सावधानीपूर्वक अलग किया और पुनः प्राप्त किया जिससे दंपत्ति के लिए गर्भधारण की संभावना बनी.

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ICSI प्रक्रिया से मिली सफलता: पहली बार सकारात्मक गर्भावस्था परीक्षण

इनमें से दो गतिशील स्पर्म्स का तुरंत उपयोग इंट्रासाइटोप्लाज़्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) प्रक्रिया में किया गया, जिसमें एक ही स्पर्म को सीधे एक अंडाणु (egg) में इंजेक्ट किया जाता है. इस प्रक्रिया से बने भ्रूणों (embryos) को स्थानांतरित करने के 13 दिन बाद, महिला को अपने जीवन का पहला सकारात्मक गर्भावस्था परीक्षण मिला.

आठ सप्ताह पूरे होने पर किए गए अल्ट्रासाउंड में एक स्वस्थ क्लिनिकल प्रेग्नेंसी और मजबूत स्ट्रांग हार्टबीट की पुष्टि हुई जो इस लंबी यात्रा की ऐतिहासिक सफलता का प्रतीक बन गया.

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एआई-आधारित STAR तकनीक से मिली पहली क्लिनिकल सफलता

यह मामला चिकित्सा इतिहास में दर्ज पहली ऐसी सफल क्लिनिकल प्रेग्नेंसी है, जिसमें एआई तकनीक का उपयोग न केवल स्पर्म की पहचान (detection) बल्कि उसकी रिकवरी के लिए भी किया गया, वह भी एक अत्यंत जटिल एज़ूस्पर्मिया मामले में.

हालांकि यह सफलता एक ही उदाहरण पर आधारित है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि STAR तकनीक भविष्य में दर्दनाक और अक्सर असफल सर्जिकल स्पर्म एक्सट्रेक्शंस की आवश्यकता को काफी हद तक कम कर सकती है. यह उन अनगिनत दंपत्तियों के लिए नई उम्मीद की किरण बन सकती है जिन्हें अब तक बताया गया था कि उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है.

वर्तमान में, STAR विधि की प्रभावशीलता (efficacy) को व्यापक मरीज समूहों पर परखने के लिए बड़े पैमाने पर क्लिनिकल परीक्षण जारी हैं.

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.

To read this article in English, click here.

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