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साल 2000 की सुपरहिट फ़िल्म मोहब्बतें का एक दृश्य, फ़िल्म आज अपने 25 साल पूरे कर रही है. इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ ख़ान और ऐश्वर्या राय मुख्य भूमिकाओं में नज़र आए थे. Photograph: (Yash Raj Films)
साल 2000 के आसपास बॉलीवुड में ऐसी कई फ़िल्में आईं जिन्होंने एक पूरी पीढ़ी के दिलों और दिमाग़ पर गहरा असर छोड़ा. इन फ़िल्मों ने लोगों के सोचने, महसूस करने और सपने देखने के तरीके को बदल दिया. उस समय बनी फ़िल्मों ने न सिर्फ़ दर्शकों को मनोरंजन दिया, बल्कि आने वाले नए कलाकारों, निर्देशकों और लेखकों को भी प्रेरित किया. इन फ़िल्मों की वजह से बॉलीवुड की दिशा और पहचान में बड़ा बदलाव आया. अगले बीस सालों तक हिंदी सिनेमा की कहानियाँ, संगीत और प्रस्तुति पर इनका असर साफ़ दिखाई दिया. सच कहा जाए तो, उस दौर की फ़िल्में ही आने वाले समय के बॉलीवुड (Bollywood) की नींव बनीं.
साल 2000 में रिलीज़ हुई ऐसी ही एक मशहूर फ़िल्म थी “मोहब्बतें”, जिसमें शाहरुख़ ख़ान (Shahrukh Khan), ऐश्वर्या राय बच्चन (Aishwarya Rai Bachchan) और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिकाओं में नज़र आए थे. यह फ़िल्म कुछ हद तक हॉलीवुड की मशहूर फ़िल्म “डेड पोएट्स सोसाइटी” (1989) से प्रेरित थी. इसका निर्देशन आदित्य चोपड़ा ने किया था और निर्माण यश चोपड़ा ने किया था. “मोहब्बतें” ने रिलीज़ के बाद ज़बरदस्त सफलता हासिल की. इसने दुनियाभर में लगभग 90 करोड़ रुपये की कमाई की और उस साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली हिंदी फ़िल्म बनी. उस समय यह फ़िल्म लगभग सभी बड़े अवॉर्ड शो में छाई रही. आज, यह यादगार फ़िल्म अपने रिलीज़ के 25 साल पूरे कर चुकी है लेकिन इसकी कहानी, संगीत और संवाद आज भी दर्शकों के दिलों में ज़िंदा हैं.
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan), जिन्होंने फ़िल्म मोहब्बतें में सख़्त प्रिंसिपल नारायण शंकर का किरदार निभाया था, ने इस फ़िल्म के लिए सिर्फ़ 1 रुपया मेहनताना लिया था. उस समय वे आर्थिक मुश्किल दौर से गुज़र रहे थे. लेकिन किस्मत ने यहीं से करवट ली,मोहब्बतें की सफलता ने न केवल उनकी करियर को नई दिशा दी, बल्कि उन्हें फिर से बॉलीवुड के शीर्ष सितारों में शामिल कर दिया. आज जब मोहब्बतें के 25 साल पूरे हो रहे हैं, तो आइए हम उस सुनहरे दौर की यादों में लौटते हैं और जानते हैं कि साल 2000 की शुरुआत में बॉलीवुड में क्या-क्या हुआ था जब कहानियाँ बदल रही थीं, संगीत नया रंग ले रहा था और एक नई सदी के साथ हिंदी सिनेमा भी एक नए युग में प्रवेश कर रहा था.
1 रुपये फीस के पीछे की कहानी
1990 का दशक बच्चन परिवार के लिए उम्मीदों से भरा माना जा रहा था, लेकिन इसी दौरान अमिताभ बच्चन ने साल 1993 में अपने सेमी-रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी. इसके बाद उन्होंने लगभग पाँच सालों तक किसी भी फ़िल्म में काम नहीं किया. इस दौरान उन्होंने अभिनय से थोड़ा विराम लेकर फ़िल्म निर्माण की ओर कदम बढ़ाया और अपनी एंटरटेनमेंट कंपनी “अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ABCL)” की स्थापना की. इस कंपनी का उद्देश्य फ़िल्म निर्माण, इवेंट मैनेजमेंट और मनोरंजन उद्योग से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देना था. हालाँकि, आगे चलकर ABCL को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा और यही वह समय था जब अमिताभ बच्चन ने दोबारा अभिनय की दुनिया में वापसी करने का फ़ैसला किया जिसकी शुरुआत मोहब्बतें से हुई.
ABCL की कहानी: उभरते सपनों से आर्थिक संकट तक
अमिताभ बच्चन की कंपनी अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ABCL) सिर्फ़ फ़िल्म निर्माण तक सीमित नहीं थी. इसने सेलेब्रिटी मैनेजमेंट, इवेंट मैनेजमेंट, टीवी शो और फ़िल्मों का वितरण व मार्केटिंग जैसे कई क्षेत्रों में कदम रखा.कंपनी ने साल 1996 में फ़िल्म तेरे मेरे सपने का निर्माण किया, जो बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और जिसमें अरशद वारसी और सिमरन जैसे कलाकारों ने अपने करियर की शुरुआत की. इसी साल ABCL ने मिस वर्ल्ड 1996 का भव्य आयोजन बेंगलुरु में किया, जिससे उसे काफ़ी सुर्खियाँ मिलीं.
लेकिन सफलता का यह सिलसिला ज़्यादा देर नहीं चला. 1999 तक आते-आते ABCL भारी आर्थिक संकट में फँस गई. कंपनी पर मिसमैनेजमेंट के कारण भारी कर्ज़ चढ़ गया और अंततः उसे दिवालिया घोषित करना पड़ा. स्थिति इतनी बिगड़ गई कि बच्चन परिवार पर 55 मुक़दमे दर्ज हुए और उन पर लगभग 90 करोड़ रुपये का कर्ज़ था. इसी दौरान अमिताभ बच्चन की 90 के दशक के अंत की फ़िल्में भी लगातार फ्लॉप हो रही थीं न दर्शकों ने उन्हें अपनाया, न समीक्षकों ने सराहा. ऐसे कठिन दौर में मोहब्बतें उनके लिए नई उम्मीद की किरण बनकर आई वही फ़िल्म जिसने उनके करियर और जीवन, दोनों की दिशा बदल दी.
कर्ज़, संघर्ष और कमबैक – अमिताभ बच्चन की नई शुरुआत
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमिताभ बच्चन ने साल 2016 में इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा था, “मैंने जो कंपनी शुरू की थी, उसमें मुझे बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ. वह कंपनी दिवालिया हो गई और उसके साथ मैं भी. तब मैं बैठकर सोचने लगा, ‘अब क्या करूँ?’ फिर खुद से कहा, ‘तुम एक अभिनेता हो, वापस अभिनय की ओर लौटो.’ और बस, मैंने वही किया.”
कहानी के अनुसार, जब अमिताभ बच्चन पर कर्ज़ का बोझ था और वे बेहद कठिन दौर से गुज़र रहे थे, तब वे यश चोपड़ा के ऑफिस पहुँचे. उन्होंने उनसे सीधा कहा, “देखिए, मेरे पास कोई काम नहीं है. कोई मुझे फ़िल्म नहीं दे रहा. मेरी फ़िल्में नहीं चल रहीं. मैं आपसे काम माँगने आया हूँ, कृपया मुझे एक फ़िल्म दीजिए.”
इसी बातचीत के बाद यश चोपड़ा ने उन्हें ‘मोहब्बतें’ की पेशकश की और यही फ़िल्म अमिताभ बच्चन की ज़िंदगी में नई शुरुआत लेकर आई.
यश चोपड़ा और अमिताभ बच्चन: एक बार फिर साथ, एक नई शुरुआत
यश चोपड़ा और अमिताभ बच्चन की जोड़ी ने इससे पहले भी कई यादगार फ़िल्में दी थीं जैसे दीवार, त्रिशूल, काला पत्थर और सिलसिला. इन फ़िल्मों ने न सिर्फ़ अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाया, बल्कि यश चोपड़ा के निर्देशन को भी एक खास पहचान दी.
सालों बाद, यश चोपड़ा ने फिर से बच्चन को मोहब्बतें में कास्ट कर एक बार फिर इतिहास रच दिया. जब यश चोपड़ा ने उनसे फ़िल्म की एक्टिंग फ़ीस के बारे में पूछा, तो अमिताभ बच्चन ने मुस्कुराते हुए कहा, “पहले आपने मुझे वो दिया जो मैंने माँगा था, इस बार मैं ये फ़िल्म सिर्फ़ 1 रुपये में करूँगा.”
यह संवाद, जैसा कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने रिपोर्ट किया, सिर्फ़ एक जवाब नहीं था बल्कि कृतज्ञता और पुनर्जन्म की भावना का प्रतीक बन गया. मोहब्बतें ने बच्चन को फिर से दर्शकों के दिलों में वह स्थान दिलाया, जो उन्होंने कभी खो दिया था.
यह किरदार अमिताभ बच्चन के करियर को दोबारा मज़बूती से स्थापित करने वाला साबित हुआ. मोहब्बतें ने उनके करियर को नई रफ़्तार और नई जान दी मानो उन्हें दूसरी साँस मिल गई हो. इस फ़िल्म ने उन्हें उस गहरे संकट से बाहर निकाल दिया, जिसमें वे फँसे हुए थे, और एक बार फिर उन्हें सफलता और प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचा दिया.
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मोहब्बतें की विरासत
आज मोहब्बतें गर्व से बॉलीवुड के इतिहास के स्वर्ण अध्यायों में अपनी जगह बनाए हुए है. यह सिर्फ़ एक फ़िल्म नहीं, बल्कि हर सिनेमा प्रेमी के लिए एक आधारभूत अनुभव है क्योंकि इसका प्रभाव पर्दे पर दिखी कहानी से कहीं ज़्यादा गहरा है. इस फ़िल्म ने अनगिनत लोगों की ज़िंदगी पर असर डाला, लेकिन सबसे ज़्यादा इसका प्रभाव पड़ा अमिताभ बच्चन पर.मोहब्बतें के बाद ही उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति (KBC)’ के पहले सीज़न को होस्ट करने का फ़ैसला किया और जैसा कि कहा जाता है, बाकी तो इतिहास है.
मोहब्बतें सिर्फ़ यश चोपड़ा की सिनेमाई विरासत का हिस्सा नहीं बल्कि आशा और पुनर्जन्म की कहानी भी है, ज़िंदगी में दूसरे मौक़े की कहानी भी है. जैसे फ़िल्म के किरदारों को अपने जीवन पर दोबारा विचार करने और नई शुरुआत करने का अवसर मिला, वैसे ही बॉलीवुड के इस महानायक को भी अपने जीवन में फिर से उठ खड़े होने का मौका मिला.
इस मौके पर कहा जा सकता है कि मोहब्बतें हमें यह सिखाती है कि मानवता, करुणा और आत्मविश्वास के बल पर कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है. जीवन कभी थमता नहीं, हर अंत एक नई शुरुआत बन सकता है, जैसे अमिताभ बच्चन ने अपनी ज़िंदगी में साबित किया.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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