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आयकर से बचने के लिए सचिन तेंदुलकर ने खुद को ‘क्रिकेटर’ नहीं, बल्कि ‘एक्टर’ बताया और बचा लिए ₹58 लाख टैक्स में!

सचिन तेंदुलकर ने विज्ञापनों से हुई कमाई पर टैक्स छूट पाने के लिए खुद को ‘एक्टर’ बताया, ‘क्रिकेटर’ नहीं. ITAT ने माना कि विज्ञापन में एक्टिंग एक कलात्मक कार्य है. नतीजतन, सचिन को ₹1.77 करोड़ की कटौती मिली और उन्होंने करीब ₹58 लाख टैक्स बचा लिए.

सचिन तेंदुलकर ने विज्ञापनों से हुई कमाई पर टैक्स छूट पाने के लिए खुद को ‘एक्टर’ बताया, ‘क्रिकेटर’ नहीं. ITAT ने माना कि विज्ञापन में एक्टिंग एक कलात्मक कार्य है. नतीजतन, सचिन को ₹1.77 करोड़ की कटौती मिली और उन्होंने करीब ₹58 लाख टैक्स बचा लिए.

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FE Hindi Desk
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Tendulkar Tax Notice

सचिन तेंदुलकर ने खुद को ‘एक्टर’ बताकर आयकर में ₹58 लाख बचाए Photograph: (AI-generated)

भारतीय क्रिकेट के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने एक बार टैक्स बचाने के लिए खुद को “एक्टर” साबित किया था. करीब एक दशक पहले, तेंदुलकर का आयकर विभाग से एक कानूनी विवाद हुआ था, जो टैक्स नियमों की व्याख्या को लेकर था.

TaxBuddy.com के संस्थापक सुजीत बांगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर यह रोचक मामला साझा किया. उन्होंने लिखा, “सचिन तेंदुलकर ‘क्रिकेटर’ नहीं थे. उन्होंने खुद को ‘एक्टर’ बताया ताकि 58 लाख रुपये टैक्स में बचा सकें. टैक्स अधिकारी ने उन पर टैक्स की मांग लगाई, लेकिन मास्टर ब्लास्टर ने यह साबित कर दिया कि वह ‘एक्टर’ हैं, ‘क्रिकेटर’ नहीं और आखिरकार केस जीत लिया.”

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यह मामला उस समय का है जब तेंदुलकर ने अपने ब्रांड एंडोर्समेंट से हुई आमदनी पर टैक्स (Income Tax) में छूट का दावा किया था. विभाग का कहना था कि यह आमदनी प्रोफेशनल क्रिकेटर के रूप में हुई है, जबकि तेंदुलकर ने तर्क दिया कि यह कलात्मक (artistic) प्रदर्शन से संबंधित है और अंततः अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया.

कैसे शुरू हुआ पूरा मामला

यह मामला तब शुरू हुआ जब सचिन तेंदुलकर ने साल 2001-02 और 2004-05 के बीच कुछ विदेशी कंपनियों के लिए विज्ञापन किए. उन्होंने Pepsi, VISA और ESPN-Star Sports जैसी बड़ी ब्रांड्स के साथ काम किया और इनसे करीब ₹5.92 करोड़ की विदेशी आमदनी (foreign income) हुई. सचिन ने इस आमदनी पर आयकर कानून की धारा 80RR के तहत 30% की टैक्स छूट का दावा किया, जो लगभग ₹1.77 करोड़ की कटौती थी.

यहीं से मामला शुरू हुआ. आयकर विभाग का कहना था कि यह कमाई उन्हें क्रिकेटर के रूप में मिली है, इसलिए यह छूट नहीं मिलनी चाहिए. लेकिन सचिन ने दलील दी कि यह कमाई उन्होंने विज्ञापनों में “एक्टर” के रूप में काम करके हासिल की है, इसलिए यह आय कलात्मक प्रदर्शन (artistic performance) से जुड़ी है और इस पर छूट मिलनी चाहिए.

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आयकर विभाग ने उठाई आपत्ति

आयकर विभाग ने सचिन के दावे को मानने से इनकार कर दिया था. विभाग का कहना था, “आप एक क्रिकेटर हैं; विज्ञापन से हुई कमाई सिर्फ आपकी लोकप्रियता की वजह से है. इसे अन्य स्रोतों से आय माना जाए, न कि पेशेवर आय. इसलिए धारा 80RR की छूट नहीं मिल सकती.”

इसका मतलब यह था कि “आपका असली पेशा क्रिकेट खेलना है, विज्ञापनों से हुई कमाई उसका हिस्सा नहीं है. इसलिए इसे कलात्मक आय नहीं माना जा सकता, और इस पर टैक्स में छूट नहीं मिलेगी.”

सचिन का पक्ष

सचिन तेंदुलकर ने आयकर विभाग के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “मैंने विज्ञापनों में मॉडलिंग और एक्टिंग की है. यह एक एक्टर का पेशा है, और इस पर धारा 80RR लागू होती है.” उन्होंने दलील दी कि विज्ञापनों में उन्होंने मॉडल या अभिनेता के रूप में काम किया, जो एक कलात्मक (artistic) पेशा है. सचिन का यह भी कहना था कि कानून के अनुसार एक व्यक्ति के एक से ज़्यादा पेशे हो सकते हैं यानी कोई व्यक्ति एक साथ क्रिकेटर और एक्टर दोनों हो सकता है.

कानून क्या कहता है?

आयकर अधिनियम की धारा 80RR के अनुसार, ऐसे पेशेवरों को टैक्स में राहत दी जाती है जो लेखक (writer), कलाकार (artist), अभिनेता (actor), संगीतकार (musician) या खिलाड़ी (sportsman) हैं और जिन्होंने विदेशी स्रोतों (foreign sources) से आमदनी अर्जित की हो. इस प्रावधान के तहत, अगर किसी व्यक्ति की विदेशी आय इन कलात्मक या पेशेवर गतिविधियों से हुई है, तो उस पर टैक्स में आंशिक या पूरी छूट (tax exemption) दी जा सकती है.

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असल सवाल: क्या विज्ञापनों में दिखना ‘एक्टिंग’ माना जा सकता है?
ITAT का फैसला – “सचिन एक्टर भी हैं”

आख़िरकार यह मामला इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल (ITAT) तक पहुंचा. वहां से एक दिलचस्प फैसला आया. ट्रिब्यूनल ने कहा कि ‘एक्टर’ की परिभाषा को बहुत सीमित नहीं किया जा सकता. उसने यह स्पष्ट किया कि “ऐसा कोई भी काम जिसमें कौशल (skill), कल्पनाशक्ति (imagination) और रचनात्मकता (creativity) का उपयोग एक सुंदर कलात्मक परिणाम (aesthetic output) के लिए किया जाए जैसे मॉडलिंग या टीवी विज्ञापन, वह भी ‘एक्टिंग’ की श्रेणी में आता है.”

इसका मतलब यह हुआ कि विज्ञापनों और मॉडलिंग में जो कला, रचनात्मकता और अभिनय का कौशल दिखाना पड़ता है, वह भी एक्टिंग माना जाएगा.

ट्रिब्यूनल ने साफ कहा कि सचिन की विज्ञापनों से हुई आमदनी ‘कलात्मक प्रदर्शन (artistic performance)’ का नतीजा है, न कि क्रिकेट से जुड़ा काम इसलिए, उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 80RR के तहत टैक्स छूट का हकदार माना गया.

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नतीजा – सचिन ने टैक्स में बचाए करीब ₹58 लाख रुपये

ITAT के फैसले के बाद सचिन तेंदुलकर को ₹1.77 करोड़ की टैक्स कटौती (deduction) की अनुमति मिल गई.
इस निर्णय के चलते उन्होंने कुल मिलाकर करीब ₹58 लाख रुपये टैक्स में बचा लिए.

यानी, ‘क्रिकेटर’ नहीं बल्कि ‘एक्टर’ साबित होकर, मास्टर ब्लास्टर ने एक शानदार कानूनी जीत दर्ज की और टैक्स में भारी राहत पाई.

एक दिलचस्प सबक

इस पूरे मामले से एक महत्वपूर्ण सीख मिलती है कोई व्यक्ति एक समय में एक से ज़्यादा पेशे अपना सकता है.

जैसे सचिन तेंदुलकर के मामले में वे सिर्फ़ एक महान क्रिकेटर ही नहीं, बल्कि जब वह किसी ब्रांड के लिए कैमरे के सामने आते हैं, तो एक एक्टर भी होते हैं.

सुजीत बांगर ने इस बारे में लिखा, “एक व्यक्ति, दो पेशे. विज्ञापनों से हुई आमदनी उनके ‘एक्टर’ पेशे से जुड़ी थी.”

सचिन का यह मामला अब टैक्स और प्रोफेशनल कानून की दुनिया में एक मिसाल बन गया है. यह साबित करता है कि अगर आपके काम में रचनात्मकता, कौशल (skill) और कल्पनाशक्ति (imagination) शामिल है, तो आप सिर्फ़ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक कलाकार भी माने जा सकते हैं.

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.

To read this article in English, click here.

Sachin Tendulkar Income Tax