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2024 लोकसभा चुनाव के दौरान सीपीएम ने आपत्ति जताई थी कि प्रशांत किशोर का नाम कोलकाता की भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में क्यों है, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की परंपरागत सीट मानी जाती है. (Image: IE File)
बिहार चुनाव में अपनी जन सुराज पार्टी के साथ मैदान में उतरे प्रशांत किशोर इन दिनों सिर्फ अपने बयानों की वजह से नहीं, बल्कि एक दिलचस्प विवाद के चलते भी चर्चा में हैं. चुनावी रणनीतिकार से नेता बने किशोर का नाम अब दो राज्यों, पश्चिम बंगाल और बिहार, दोनों की वोटर लिस्ट में दर्ज पाया गया है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में प्रशांत किशोर का पता 121 कालीघाट रोड दर्ज है, जो तृणमूल कांग्रेस का दफ्तर है. यही इलाका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर भी है.
साल 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने टीएमसी के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी और उसी दौरान वे अक्सर इसी इमारत में काम करते और ठहरते थे. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, बंगाल में उनका मतदान केंद्र सेंट हेलेन स्कूल, बी. रानीशंकरी लेन बताया गया है.
बिहार में प्रशांत किशोर का नाम रोहतास जिले के कोनार गांव में वोटर लिस्ट में है. यह उनका पैतृक गांव है और कारगहर विधानसभा क्षेत्र तथा सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहां उनका मतदान केंद्र माध्यमिक विद्यालय, कोनार है.
प्रशांत के करीबी ने दिया ये बयान
किशोर ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की. हालांकि उनकी टीम के एक सदस्य ने बताया कि बंगाल चुनाव के बाद उन्होंने बिहार में वोटर बनवाया और बंगाल वाली वोटर आईडी रद्द करने के लिए आवेदन दिया है. लेकिन आवेदन की स्थिति के बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया. बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल से भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
कानूनन एक शख्स का दो जगह वोटर लिस्ट में नाम नहीं हो सकता
कानूनन एक व्यक्ति का नाम दो जगह वोटर लिस्ट में नहीं हो सकता. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 में यह साफ लिखा है कि कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्र में वोटर नहीं बन सकता. धारा 18 में यह भी कहा गया है कि एक ही क्षेत्र में किसी व्यक्ति का नाम दो बार नहीं होना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति अपना निवास बदलता है, तो उसे चुनाव आयोग का फॉर्म 8 भरकर पुराने रिकॉर्ड को हटवाना या संशोधित कराना होता है.
हालांकि, दो जगह वोटर बने रहना भारत में कोई नई बात नहीं है. चुनाव आयोग ने इसे एक बड़ी समस्या बताते हुए हाल ही में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी विशेष मतदाता सूची संशोधन अभियान शुरू किया था, जिसकी शुरुआत बिहार से हुई. आयोग ने कहा था कि बहुत से लोग एक जगह नाम दर्ज करवाने के बाद दूसरी जगह भी वोटर बन जाते हैं, लेकिन पहले वाला नाम हटवाना भूल जाते हैं.
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बिहार में SIR की प्रक्रिया पूरी
इस अभियान के दौरान, जो 30 सितंबर को पूरा हुआ, बिहार की वोटर लिस्ट से करीब 68 लाख 66 हजार नाम हटाए गए, जिनमें से लगभग 7 लाख नाम ऐसे थे जो दो जगह दर्ज थे. अधिकारियों का मानना है कि इसके बावजूद कुछ डुप्लीकेट नाम अब भी सूची में रह गए होंगे.
इस बीच, टीएमसी की पार्षद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भाभी कजरी बनर्जी ने कहा कि 121 कालीघाट रोड वास्तव में पार्टी का दफ्तर है. उन्होंने बताया कि प्रशांत किशोर जब टीएमसी के साथ काम कर रहे थे, तब अक्सर उसी इमारत में ठहरते थे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें यह नहीं पता कि किशोर ने वहीं से वोटर आईडी बनवाई थी या नहीं.
सीपीएम ने जताई थी आपत्ति
दिलचस्प बात यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सीपीएम ने भी इस पर आपत्ति जताई थी. पार्टी का कहना था कि प्रशांत किशोर भवानीपुर के निवासी नहीं हैं, इसलिए उनका नाम वहां की वोटर लिस्ट से हटाया जाए. सीपीएम के स्थानीय नेता बिस्वजीत सरकार ने बताया कि इस बारे में उन्होंने चुनाव आयोग को शिकायत भी भेजी थी.
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