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जानिए इस छठ महापर्व की तारीख, पूजा के समय और प्रत्येक दिन के महत्व के बारे में.Photograph: (Pixabay)
Chhath Puja 2025 : दिवाली (Diwali) के बाद छठ पूजा अगला बड़ा त्योहार है, जिसे बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह पर्व भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है. चार दिनों तक चलने वाला यह त्योहार उपवास और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करने का समय होता है.
त्योहार के अंतिम दो दिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, जब सूर्य देव को संध्या और प्रातः अर्घ्य अर्पित किया जाता है. उत्सव की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है, जिस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं और लौकी, चना दाल और चावल का सात्त्विक भोजन ग्रहण करते हैं. जैसे-जैसे छठ पूजा का समापन निकट आता है, लोग गीत गाने, नृत्य करने और खेल-कूद जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं. सदियों पुराने इस पर्व का मूल उद्देश्य ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है, जिन्होंने मनुष्य को जीवन के लिए आवश्यक तत्व जैसे सूर्यप्रकाश, अन्न और जल प्रदान किए हैं.
जब लोग छठ पूजा के त्योहार की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो जानिए इस पवित्र पर्व की तारीख, पूजा के समय और प्रत्येक दिन के महत्व के बारे में.
छठ पूजा का तीसरा दिन, जब भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य अर्पित किया जाता है, इस पर्व का मुख्य दिन होता है. यह दिन दिवाली के छठे दिन पड़ता है. इस वर्ष संध्या अर्घ्य सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 को अर्पित किया जाएगा, जबकि अंतिम प्रातः अर्घ्य मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को दिया जाएगा.
छठ पूजा 2025 की तिथियाँ और समय
शनिवार, 25 अक्टूबर 2025: नहाय-खाय
पवित्रता और स्वच्छता का प्रतीक जल, छठ पूजा के उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. छठ पूजा के पहले दिन, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है, व्रत रखने वाले श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं और प्रसाद की तैयारी के लिए जल घर लाते हैं. इस दिन चने की दाल, कद्दू (लौकी) और चावल का सात्त्विक प्रसाद तैयार किया जाता है.
सूर्योदय का समय: सुबह 6:28 बजे
सूर्यास्त का समय: शाम 5:42 बजे
रविवार, 26 अक्टूबर 2025: खरना
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना या लोहंडा कहलाता है. इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु पूरे दिन उपवास रखते हैं और इसे रसिया (गुड़ से बनी खीर) और रोटी के प्रसाद से समाप्त करते हैं. इस दिन नमक का सेवन नहीं किया जाता और केवल एक ही भोजन लिया जाता है, जिसके बाद 36 घंटे का छठ पूजा का उपवास शुरू होता है.
सूर्योदय का समय: सुबह 6:29 बजे
सूर्यास्त का समय: शाम 5:41 बजे
सोमवार, 27 अक्टूबर 2025: संध्या अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन, व्रत रखने वाले श्रद्धालु बिना भोजन और पानी के उपवास करते हैं. संध्या अर्घ्य की तैयारी में विभिन्न प्रसाद जैसे ठेकुआ, नारियल, डाब़ नींबू, केले, सेब और अन्य मीठे और नमकीन वस्तुएँ बांस की टोकरी (सूप या दौरा) में रखी जाती हैं. सूर्यास्त से पहले लोग किसी जलाशय के पास संध्या अर्घ्य अर्पित करने की तैयारी करते हैं. सूर्यास्त के समय, व्रतधारी श्रद्धालु पानी में घुटनों तक खड़े होकर, प्रसाद से भरी सूप उठाकर अस्त होते सूर्य को संध्या अर्घ्य अर्पित करते हैं.
पूजा समय: 27 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय 5:40 बजे है, इसी समय संध्या अर्घ्य अर्पित किया जाएगा (द्रिक पंचांग के अनुसार).
मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025: उषा अर्घ्य
छठ पूजा के अंतिम दिन, व्रतधारी श्रद्धालु सूर्योदय से पहले फिर से जलाशयों की ओर जाते हैं ताकि उगते सूर्य को उषा अर्घ्य अर्पित किया जा सके. यह अनुष्ठान संध्या अर्घ्य के समान ही होता है. पूजा समाप्त होने के बाद, व्रतधारी उपवास खोलते हैं और प्रसाद सभी में वितरित किया जाता है.
पूजा समय: 28 अक्टूबर को सूर्योदय का समय सुबह 6:30 बजे है, इसी समय उषा अर्घ्य अर्पित किया जाएगा.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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