/financial-express-hindi/media/media_files/JpU4zfdD0AMLCOmT6SwC.jpg)
IPO Updates : कंपनी ग्राहक को प्राथमिकता देती है और हमेशा अपने प्रोजेक्ट्स में अच्छी क्वालिटी, बेहतर वैल्यू और संतुष्टि देने की कोशिश करती है. (Freepik)
Sri Lotus Developers IPO Open : रियल एस्टेट कंपनी श्री लोटस डेवलपर्स का आईपीओ आज 30 जुलाई 2025 को खुल गया है. इसे 1 अगस्त 2025 तक सब्सक्राइब किया जा सकता है. आईपीओ का साइज 792 करोड़ रुपये है. कंपनी का स्टॉक BSE और NSE पर 6 अगस्त को लिस्ट होंगे, जबकि शेयरों का अलॉटमेंट 4 अगस्त को होगा. कंपनी ने आईपीओ के लिए प्राइस बैंड 140 से 150 रुपये प्रति शेयर तय किया है. ब्रोकरेज हाउस ने इसे लंबीर अवधि के लिए सब्सक्राइब करने की सलाह दी है.
कचोलिया और अमिताभ बच्चन का निवेश
श्री लोटस डेवलपर्स के प्रमुख निवेशकों में भारत के वॉरेन बफेट कहे जाने वाले मशहूर निवेशक आशीष कचोलिया (Ashish Kacholia), बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) और शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के अलावा ऋतिक, टाइगर श्रॉफ जैसे नाम शामिल हैं. आशीष कचोलिया ने इस कंपनी में 50 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
शाहरुख खान ने इस कंपनी में 10.10 करोड़ रुपये और अमिताभ बच्चन ने 10 करोड़ रुपये निजी प्लेसमेंट के तहत 150 प्रति शेयर की दर से निवेश किया है. कंपनी के प्रमोटर आनंद कमलनयन पंडित, जो एक प्रमुख फिल्म निर्माता और डिस्ट्रिब्यूटर भी हैं.
Sri Lotus Developers IPO GMP : 30%
श्री लोटस डेवलपर्स के आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट में अच्छा खासा क्रेज दिख रहा है. ग्रे मार्केट में कंपनी का अनलिस्टेड स्टॉक 45 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. यह अपर प्राइस बैंड 150 रुपये के लिहाज से 30 फीसदी प्रीमियम है. यही ट्रेंड रहा तो कंपनी का स्टॉक 150 रुपये इश्ययू प्राइस की तुलना में 195 रुपये पर लिस्ट हो सकता है.
आनंद राठी : लॉन्ग टर्म के लिए सब्सक्राइब
ब्रोकरेज का कहना है कि श्री लोटस डेवलपर्स एंड रियल्टी मुंबई के वेस्टर्न सबर्ब्स के अल्ट्रा लग्जरी और लग्जरी रेजिडेंशियल रियल एस्टेट मार्केट में एक मजबूत स्थिति रखती है. यह इलाका शहर के सबसे प्रीमियम क्षेत्रों में से एक है. कंपनी ग्राहक को प्राथमिकता देती है और हमेशा अपने प्रोजेक्ट्स में अच्छी क्वालिटी, बेहतर वैल्यू और संतुष्टि देने की कोशिश करती है.
कंपनी का एसेट-लाइट मॉडल, जिसमें जमीन मालिकों और हाउसिंग सोसाइटीज के साथ डेवलपमेंट एग्रीमेंट्स के जरिए काम होता है, कंपनी को कम पूंजी लगानी पड़ती है, वित्तीय लचीलापन मिलता है और अच्छा कैश फ्लो बना रहता है.
कंपनी खुद डिजाइन, मंजूरी, निर्माण और हैंडओवर तक का पूरा काम करती है, जिससे वह अपने प्रोजेक्ट्स समय पर पूरा करने के लिए जानी जाती है. IPO के अपर प्राइस बैंड पर, कंपनी का वैल्यूएशन FY25 की कमाई के अनुसार P/E 30.6 गुना और EV/EBITDA 24.5 गुना है. IPO के बाद कंपनी का मार्केट कैप 73,306 मिलियन रुपये होगा. ब्रोकरेज का मानना है कि यह IPO फुली प्राइस्ड है.
Bajaj Broking : लॉन्ग टर्म के लिए सब्सक्राइब
बजाज ब्रोकिंग ने आईपीओ पर लॉन्ग टर्म के लिए सब्सक्राइब की रेटिंग दी है. ब्रोकरेज के अनुसार, कंपनी वेस्टर्न सबर्ब्स और उसके आसपास अल्ट्रा-लग्जरी और लग्जरी रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट्स में लीडिंग पोजीशन में है. कंपनी उच्च आय वर्ग के लिए मकानों की कीमतों को रणनीतिक रिसर्च के आधार पर तय करती है. हालांकि इसक के साथ कुछ रिस्क फैक्टर्स भी हैं, जैसे : कुछ चुनिंदा इलाकों पर ज्यादा निर्भरता, चल रहे प्रोजेक्ट्स को पूरा न कर पाना, और तैयार हो चुके लेकिन अभी तक न बिके मकानों को बेचने में असफल होना.
Angel One : लॉन्ग टर्म के लिए सब्सक्राइब
एंजल वन ने श्री लोटस डेवलपर्स एंड रियल्टी आईपीओ को लॉन्ग टर्म के लिए सब्सक्राइब करने की सलाह दी है. ब्रोकरेज का मानना है कि भारत का रियल एस्टेट मार्केट 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जिसमें हर साल औसतन 9.5% की ग्रोथ होगी. यह ग्रोथ लोगों की बढ़ती आय, बेहतर घर खरीदने की क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की वजह से होगी.
हालांकि कुछ रिस्क हैं, जैसे : कंपनी का कारोबार ज्यादातर मुंबई के वेस्टर्न सबर्ब्स तक ही सीमित है. सभी जरूरी सरकारी मंजूरियां समय पर मिलना जरूरी है. कमर्शियल प्रोजेक्ट्स पर अधिक निर्भरता है. कंपनी की ब्रांड पहचान अभी सीमित है और प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने की चुनौती रहती है.
प्रमुख जोखिम (Key Risk)
कंपनी का कारोबार रियल एस्टेट के छोटे बाजारों पर निर्भर है.
अगर कंपनी अपने चल रहे और आने वाले प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा नहीं कर पाई, तो इससे उनके बिजनेस, कामकाज और आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है.
30 जून 2025 तक, उनके पूरे हो चुके प्रोजेक्ट्स में 85 फ्लैट्स और चल रहे प्रोजेक्ट्स में 167 फ्लैट्स अभी तक नहीं बिके हैं.
काम से होने वाली कमाई और खर्चों में समय-समय पर बहुत उतार-चढ़ाव होता है, इसलिए अलग-अलग समय के प्रदर्शन की तुलना करना मुश्किल है.
कंपनी अपने सभी निर्माण कार्यों के लिए पूरी तरह थर्ड पार्टी कांट्रैक्टर्स पर निर्भर है.
अगर निर्माण सामग्री या मजदूरों की कीमत बढ़ती है, या उनमें कमी, देरी या रुकावट आती है, तो इससे प्रोजेक्ट्स की लागत और समय दोनों बढ़ सकते हैं.
कंपनी को पिछले तीन वित्त वर्ष में नकदी की कमी का सामना करना पड़ा है.
(Disclaimer: आईपीओ में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)