/financial-express-hindi/media/media_files/RsFJ0lCKMUkgpkNQBDhp.jpg)
Budget 2025 Expectations : 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में सरकार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का एलान कर सकती है. (Image : Pixabay)
Budget 2025 Expectations : 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में सरकार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का एलान कर सकती है. यह कदम डॉलर की मांग को नियंत्रित करने और रुपये की लगातार गिरती कीमत पर काबू पाने के मकसद से उठाया जा सकता है. यह अनुमान दिग्गज अर्थशास्त्री और ईवाई (EY) के चीफ पॉलिसी एडवाइजर डीके श्रीवास्तव ने जाहिर किया है. उनका मानना है कि सरकार अगर इस दिशा में कोई कदम उठाती है, तो इससे न सिर्फ भारत के घरेलू उद्योग को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि बढ़ी हुई इंपोर्ट ड्यूटी से सरकारी राजस्व में इजाफा भी हो सकता है. गौरतलब है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे अर्थव्यवस्था को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
रुपये की गिरावट सरकार और RBI के लिए चुनौती
डीके श्रीवास्तव के अनुसार रुपये की गिरती कीमत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती है. 13 जनवरी 2025 को डॉलर के मुकाबले रुपया 86.70 के ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले दो साल की सबसे बड़ी गिरावट थी. श्रीवास्तव का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने से इंपोर्ट करने वालों की तरफ से की जाने वाली डॉलर की मांग में कमी आएगी और इससे रुपये पर दबाव कम होगा.
घरेलू उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा
श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि केवल भारतीय रुपया ही नहीं, बल्कि यूरोप की कई करेंसी भी डॉलर के मुकाबले इसी तरह के दबाव का सामना कर रही हैं. उन्होंने कहा, "बजट में ऐसा कोई प्रभावशाली तरीका नहीं होता, जो करेंसी एक्सचेंज रेट्स को सीधे तौर पर प्रभावित कर सके, लेकिन सरकार टैरिफ रेट्स को बढ़ाने पर विचार कर सकती है. इससे न सिर्फ घरेलू उद्योग को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि आयात शुल्क बढ़ने से सरकार की कमाई भी बढ़ेगी."
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
श्रीवास्तव का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का कदम सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को मजबूती देने में भी कारगर साबित हो सकता है. क्योंकि इंपोर्टेड गुड्स की मांग में कमी आने से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार टैरिफ में बढ़ोतरी करने और ड्यूटीज़ को रैशनलाइज करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है."
भविष्य के संकेत और चुनौतियां
भारतीय करेंसी में पिछले कुछ दिनों के दौरान भारी गिरावट देखने को मिल रही है. 13 जनवरी 2025 को रुपया 66 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.70 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर बंद हुआ. यह पिछले करीब दो सालों के दौरान किसी भी एक दिन में देखी गई रुपये की सबसे बड़ी गिरावट थी. इससे पहले रुपये में सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट 68 पैसे की थी, जो 6 फरवरी 2023 को देखी गई थी. पिछले दो हफ्तों में ही डॉलर के मुकाबले रुपया कुल मिलाकर 1 रुपये से ज्यादा गिर चुका है. 19 दिसंबर 2024 को भारतीय करेंसी पहली बार 85 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से नीचे गिरी थी.
रुपये में देखी गई लगातार गिरावट के चलते आगामी बजट में फिस्कल और मॉनेटरी पॉलिसी में संतुलन बनाना सरकार के लिए चुनौती भरा काम होगा. ऐसे में इंपोर्ट ड्यूटी में संभावित बढ़ोतरी का कदम सरकार को राहत देना वाला हो सकता है. हालांकि इससे इंपोर्ट पर निर्भर उद्योगों के लिए मुश्किलें बढ़ने का खतरा भी बना रहेगा. ऐसे में सरकार को कोई भी कदम उठाने से पहले उससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करना होगा.