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मझगांव डॉक vs गार्डन रीच शिपबिल्डर्स : ये डिफेंस स्टॉक दिखाएंगे दम, 5 प्‍वॉइंट में समझें इस सेक्‍टर में क्‍यों आने वाला है बूम

Defence Stocks : भारतीय डिफेंस शिपयार्ड सेक्टर पर ब्रोकरेज हाउस पॉजिटिव है. मजबूत ऑर्डर आउटलुक, स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियां, और सरकार के भारी निवेश के चलते इस सेक्‍टर को फायदा मिलेगा.

Defence Stocks : भारतीय डिफेंस शिपयार्ड सेक्टर पर ब्रोकरेज हाउस पॉजिटिव है. मजबूत ऑर्डर आउटलुक, स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियां, और सरकार के भारी निवेश के चलते इस सेक्‍टर को फायदा मिलेगा.

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Sushil Tripathi
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Defence Sector Stocks : सरकार की मेक इन इंडिया पॉलिसी व भारी निवेश के चलते भारतीय डिफेंस शिपयार्ड सेक्टर को आगे फायदा मिलेगा. (AI Generated)

Defence Shipyard Stocks : भारतीय डिफेंस शिपयार्ड सेक्टर पर ब्रोकरेज हाउस एंटिंग स्‍टॉक ब्रोकिंग पॉजिटिव है. मजबूत ऑर्डर आउटलुक, स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियां, और सरकार के भारी निवेश के चलते इस सेक्‍टर को फायदा मिलेगा. डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने FY22–25 के बीच 8.45 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर को मंजूरी दी है, जो पिछले तीन साल के मुकाबले लगभग 3.3 गुना है. FY26–27 में लगभग 2,354 बिलियन रुपये के मेगा ऑर्डर की संभावना है, जो लिस्‍टेड 3 डिफेंस शिपयार्ड के कंबाइंड ऑर्डर बुक का 3.1 गुना है.

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बड़े प्रोजेक्ट्स और योजनाएं

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कलवरी क्लास पनडुब्बी : तीन और पनडुब्बियों का ऑर्डर 330-360 बिलियन रुपये का हो सकता है, जिसे FY26 में मंजूरी मिलने की संभावना है.

P75I प्रोग्राम : छह AIP (एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन) वाली पनडुब्बियों का प्रोजेक्ट, जिसका संभावित मूल्य 430-700 बिलियन रुपये है, FY27 में फाइनल हो सकता है.

नेक्स्ट जेनरेशन कार्वेट्स (NGC) : 8 कार्वेट्स के लिए 360 बिलियन रुपये का ऑर्डर 1HFY26 में हो सकता है.

P-17B फ्रिगेट्स : 8 फ्रिगेट्स के लिए 700 बिलियन रुपये का संभावित ऑर्डर, जिसका आरएफपी 2025 के अंत तक आने की उम्मीद है.

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स्वदेशीकरण और एडवांस टेक्‍नोलॉजी पर जोर

पनडुब्बियों के लिए AIP सिस्टम पर जोर दिया गया है.

P75I ऑर्डर में उच्च स्वदेशीकरण और टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर के सख्त नियम हैं.

कलवरी क्लास की नई और मौजूदा पनडुब्बियों में DRDO का ईंधन-कोशिका आधारित AIP सिस्टम शामिल किया जाएगा.

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क्‍या हैं सेक्‍टर की चुनौतियां

चीन और दक्षिण कोरिया जैसे ग्‍लोबल लीडर्स के मुकाबले भारतीय शिपयार्ड उत्पादन क्षमता, डिजाइन, स्वचालन, कुशल श्रमशक्ति और वेंडर नेटवर्क के मामले में पीछे हैं. 

शिप रिपेयर का बढ़ता अवसर

वैश्विक शिप रिपेयर मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, और भारत की रणनीतिक स्थिति इसे इस सेक्‍टर में प्रमुख खिलाड़ी बना सकती है.

भारतीय शिपयार्ड भारतीय नौसेना के साथ-साथ अमेरिकी नौसेना की 5वीं और 7वीं फ्लीट को सेवाएं देने के लिए समझौते कर रहे हैं.

उदाहरण के लिए, मझगांव डॉक और कोचीन शिपयार्ड ने US नेवी के साथ मास्टर शिप रिपेयर एग्रीमेंट (MSRA) पर हस्ताक्षर किए हैं.

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प्रमुख शिपयार्ड की संभावनाएं

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (MDL) : पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण में अग्रणी और P75I व कलवरी के ऑर्डर से इसका ऑर्डर बुक बढ़ने की संभावना है.

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) : छोटे जहाजों और फ्रिगेट्स के निर्माण में माहिर. NGC और P17B प्रोजेक्ट्स से इसे बड़े ऑर्डर मिलने की संभावना है.

कोचीन शिपयार्ड (CSL) : सबसे बड़ी क्षमता वाला शिपयार्ड, लेकिन निकट भविष्य में IAC-II के ऑर्डर की कमी के कारण इसके ऑर्डर बुक पर प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, शिप रिपेयर में इसे बढ़ने का मौका है.

इन शेयरों (Defence Stocks) पर रखें नजर

Mazagon Dock Shipbuilders

CMP : 2,905 रुपये 
रेटिंग : BUY
टारगेट प्राइस : 3,433 रुपये 

Cochin Shipyards

CMP : INR 1,521
रेटिंग : HOLD
टारगेट प्राइस : 1,481 रुपये 

Garden Reach Ship. & Engineers

CMP : 1,820 रुपये 
रेटिंग : BUY
टारगेट प्राइस : 2,024 रुपये 

(Disclaimer: स्टॉक पर सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

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