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Indian Financial Sector: नीतिगत दरों में उम्मीद से पहले कटौती से सिस्टम में लिक्विडिटी की चिंताएं कम हो जाएंगी. (Pixabay)
Investment Strategy in Financial Sector: अगर आप घरेलू फाइनेंशियल सेक्टर (Indian Financial Sector) में अपना पोर्टफोलियो बनाने की सोच रहे हैं तो थोड़ा अलर्ट हो जाएं. निवेश के पहले ये रिपोर्ट आपको मजबूत पोर्टफोलियो बनाने में मदद कर सकती है. असल में ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने बैंकिंग दिग्गज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक पर अपनी रेटिंग घटा दी है. वहीं येस बैंक और IDFC Bank को बेचने की सलाह दी है. ब्रोकरेज का कहना है कि नियर टर्म में फाइनेंशियल सेक्टर के लिए मजबूत ग्रोथ और विजिबल प्रॉफिटेबिलिटी का गोल्डीलॉक्स पीरियड खत्म हो गया है. सेक्टर के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां तेज हो रही हैं. वहीं भविष्य में आरओई में नरमी आने की उम्मीद है. ब्रोकरेज ने सेक्टर के अर्निंग अनुमानों में कटौती की है.
शेयर और रेटिंग
SBI
रेटिंग: Neutral
टारगेट प्राइस: 741 रुपये
रिटर्न: -4%
Axis Bank
रेटिंग: Buy
टारगेट प्राइस: 1194 रुपये
रिटर्न: 10%
HDFC Bank
रेटिंग: Buy
टारगेट प्राइस: 1915 रुपये
रिटर्न: 33%
ICICI Bank
रेटिंग: Neutral
टारगेट प्राइस: 1086 रुपये
रिटर्न: 3%
IndusInd Bank
रेटिंग: Buy
टारगेट प्राइस: 1747 रुपये
रिटर्न: 15%
IDFC Bank
रेटिंग: Sell
टारगेट प्राइस: 64 रुपये
रिटर्न: -21%
कोटक महिंद्रा बैंक
रेटिंग: Buy
टारगेट प्राइस: 2116 रुपये
रिटर्न: 21%
Yes Bank
रेटिंग: Sell
टारगेट प्राइस: 16 रुपये
रिटर्न: -37%
Bandhan Bank
रेटिंग: Buy
टारगेट प्राइस: 267 रुपये
रिटर्न: 33%
Bajaj Finance
रेटिंग: Neutral
टारगेट प्राइस: 6815 रुपये
रिटर्न: 2%
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अर्निंग अनुमानों में कटौती
ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि हम FY25E/26E के दौरान अपने कवरेज यूनिवर्स में अर्निंग अनुमानों में औसतन 5%/2% की कटौती कर रहे हैं और FY25/26 के लिए कुल PAT पर VA कंसेनसस से 2%/1% कम हैं. हालांकि, चुनिंदा नामों के लिए हम मिड से हाई सिंगल डिजिट तक नीचे हैं. ब्रोकरेज का मानना है कि फाइनेंशियल सेक्टर के लिए प्रूवर्बियल गोल्डीलॉक्स पीरियड (मजबूत ग्रोथ और मजबूत/विजिबल प्रॉफिटेबिलिटी) निकट अवधि में खत्म हो गई है, क्योंकि प्रतिकूल परिस्थितियां बढ़ रही हैं.
क्यों प्रतिकूल परिस्थितियां
1) फंडिंग माहौल में स्ट्रक्चरल चुनौतियों के कारण फंड की लागत पर बढ़ता दबाव; 2) बढ़ते कंज्यूमर लीवरेज पर बढ़ती चिंताओं से एसेट क्वालिटी की चुनौतियां, विशेष रूप से अनसिक्योर्ड लोन (सेक्टर में यूएस $ 127 बिलियन लोन बुक) के कारण हायर क्रेडिट कास्ट होती है. इसलिए हम कंज्यूमर रिटेल पर कमर्शियल रिटेल को प्राथमिकता देते हैं जिसके तेजी से बढ़ने की उम्मीद है और एक बेहतर रिटर्न प्रोफाइल ऑफर कर सकता है; और 3) बढ़ी हुई वेज इनफ्लेशन के साथ-साथ भविष्य की डिपॉजिट ग्रोथ के लिए डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार करने की आवश्यकता के कारण आपरेटिंग कास्ट पर दबाव.
ROA में आ सकती है नरमी
ब्रोकरेज के अनुसार घरेलू बैंकों (Banking Sector) ने FY20-3QFY24 के दौरान ROA (रिटर्न ऑन एसेट) में तेज विस्तार दर्ज किया. अब, ब्रोकरेज का मानना है कि मार्जिन पर निरंतर दबाव के कारण ROA में नरमी आनी शुरू हो जाएगी, जिसके वित्त वर्ष 2025 तक बढ़ने की उम्मीद है. लोन-डिपॉजिट रेश्यो बढ़ने के कारण लोन ग्रोथ धीमी हो जाएगी और सेक्टर को अपने बैलेंस-शीट मिक्स को दुरुस्त करना होगा. गोल्डमैन सैक्स के अनुसार पूरे सिस्टम में मजबूत बैलेंस शीट के बैकड्रॉप के बीच सभी खिलाड़ियों को बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने या मार्जिन से समझौता करने की दुविधा का सामना करना पड़ता है.
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लिक्विडिटी की चिंताएं कम होंगी
हालांकि, ब्रोकरेज ने कहा कि नीतिगत दरों में उम्मीद से पहले कटौती से सिस्टम में लिक्विडिटी की चिंताएं कम हो जाएंगी या सीआरआर/एसएलआर के माध्यम से लिक्विडिटी को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा किए गए किसी भी उपाय से डिपॉजिट ग्रोथ में मदद मिलेगी. यह सभी निजी कंपनियों के लिए अच्छा संकेत होगा. विशेष रूप से बैंक जो वर्तमान में बढ़े हुए लोन-टु-डिपॉजिट रेश्यो और लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो पर सीमित बफर्स से विवश हैं. और, कुछ हद तक, एनबीएफसी के लिए जो लिक्विडिटी की कमी के कारण फंड की बढ़ी हुई लागत का माहौल देख रहे हैं.
(Disclaimer: स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)