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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति ने भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मोर्च पर नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. (File Photo : Reuters)
Trump Tariff Policy Impact on Indian Trade Deficit : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारतीय इंपोर्ट पर टैरिफ बढ़ाने की धमकियों से पैदा हालात ने भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मोर्च पर नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. अमेरिका अभी न सिर्फ भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है, बल्कि अमेरिका के साथ मौजूदा व्यापार हमारे लिए ट्रे़ड सरप्लस भी जेनरेट करता है. यानी अभी हम अमेरिका से जितना इंपोर्ट करते हैं, उससे ज्यादा एक्सपोर्ट करते हैं. यही वजह है कि राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार भारत पर टैरिफ कम करके अमेरिकी इंपोर्ट बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं. जाहिर है भारत सरकार अपने सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर के साथ आपसी रिश्तों को बेहतर बनाए रखने की पूरी कोशिश करेगी. अमेरिकी इंपोर्ट पर लागू टैरिफ रेट्स में कटौती करना इन कोशिशों का अहम हिस्सा होगा. लेकिन इन कोशिशों की वजह से अगर अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस कम हुआ, जैसा कि ट्रंप चाहते हैं, तो भारत के कुल अंतरराष्ट्रीय व्यापार घाटे पर इसका बुरा असर पड़ सकता है.
जनवरी में करीब 25% बढ़ा देश का कुल व्यापार घाटा
सोमवार को आए ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2025 में भारत का कुल व्यापार घाटा (Trade Deficit) बढ़कर 22.99 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल के इसी महीने में 16.56 अरब डॉलर था. यानी साल-दर-साल (YoY) के आधार पर जनवरी 2025 में देश का कुल व्यापार घाटा 24.85% बढ़ा है. व्यापार घाटा बढ़ने की वजह ये है कि जनवरी 2025 में भारत से दूसरे देशों को होने वाला निर्यात (Export) सालाना आधार पर 2.38% घटकर 36.43 अरब डॉलर रह गया, जबकि जनवरी 2024 में यह 37.32 अरब डॉलर था. सीक्वेंशियल आधार पर देखें, तो भी भारत के एक्सपोर्ट में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई है. दूसरी तरफ इसी अवधि के दौरान भारत का इंपोर्ट (Import) सालाना आधार पर 10.28% बढ़कर 59.42 अरब डॉलर पर चला गया. गोल्ड के इंपोर्ट में बढ़ोतरी इसकी बड़ी वजह रही है. जनवरी 2025 में भारत का गोल्ड इंपोर्ट बढ़कर 2.68 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल के इसी महीने में यह 1.9 अरब डॉलर था.
एक्सपोर्ट के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़े हैं इंपोर्ट
कुल मिलाकर मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों के दौरान यानी अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच देश का कुल एक्सपोर्ट में सिर्फ 1.39% बढ़कर 358.91 अरब डॉलर रहा, जबकि इसी दौरान इंपोर्ट 7.43% बढ़कर 601.9 अरब डॉलर पर पहुंच गए हैं. यानी इन 10 महीनों के दौरान देश का कुल व्यापार घाटा बढ़कर 242.99 अरब डॉलर हो चुका है. इस घाटे में रुपये की वैल्यू में आई गिरावट का भी योगदान है. 2025 में डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू अब तक 1.4% गिर चुकी है, जिसने हमारा इंपोर्ट बिल बढ़ाने का काम किया है.
अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस के बावजूद बढ़ा है कुल घाटा
भारत के लिए व्यापार घाटे से जुड़ी ये चुनौतियां तब हैं, जब हमें अपने सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर अमेरिका के साथ होने वाले कारोबार में ट्रेड सरप्लस का कुशन मिला हुआ है. जनवरी 2025 में भारत से अमेरिका को होने वाला एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 39% बढ़कर 8.44 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि इसी दौरान इंपोर्ट 33.46% बढ़कर 3.57 अरब डॉलर रहा. मौजूदा वित्त वर्ष के 10 महीनों में भारत से अमेरिका को होने वाला कुल एक्सपोर्ट भी 8.95% बढ़कर 68.46 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 62.84 अरब डॉलर रहा था. पिछले पूरे वित्त वर्ष यानी 2023-24 के दौरान भारत और अमेरिका के बीच होने वाला वस्तुओं का कुल द्विपक्षीय व्यापार (bilateral trade in goods) 119.71 अरब डॉलर था, जिसमें भारत का कुल एक्सपोर्ट 77.51 अरब डॉलर और इंपोर्ट 42.19 अरब डॉलर था. इस तरह अमेरिका के साथ कारोबार में भारत का कुल ट्रेड सरप्लस 35.31 अरब डॉलर रहा. अमेरिका भारत के उन गिने-चुने व्यापारिक पार्टनर्स में है, जिनके साथ हमारा ट्रेड सरप्लस होता है. ट्रंप बार-बार इसी ट्रेड सरप्लस को निशाना बनाते हुए भारत पर इंपोर्ट बढ़ाने का दबाव डाल रहे हैं.
ट्रंप के दबाव से बढ़ेगी व्यापार घाटा मैनेज करने की चुनौती
जाहिर है कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने भारत के सामने काफी मुश्किल चुनौती खड़ी कर दी है. अपने सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर को नाराज करना किसी भी मायने में भारत के लिए सही नहीं होगा. लेकिन अगर ट्रंप के दबाव में भारत को ज्यादा रियायतें देनी पड़ी और इससे अमेरिका के साथ कारोबार में भारत का ट्रेड सरप्लस घटा, तो पहले से बढ़ रहे कुल व्यापार घाटे को मैनेज करना और मुश्किल हो जाएगा. इसके अलावा इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की वजह से भारत के घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ने की आशंका भी रहेगी. जिसका असर रोजगार और इकनॉमिक ग्रोथ पर भी पड़ सकता है.
प्रस्तावित व्यापार समझौते पर रहेगी नजर
बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच वाशिंगटन में हुई हाल ही बैठक के बाद, दोनों देश अगले कुछ महीनों के दौरान आपसी व्यापार के लिए एक नए समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमत हुए हैं. इसके अलावा 20230 तक दोनों देशों का आपसी व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य भी रखा गया है. भारत सरकार के कॉमर्स सेक्रेटरी सुनील बर्थवाल ने भी हाल ही में कहा है कि "दोनों पक्ष अगले कुछ हफ्तों में बैठकर प्रस्तावित व्यापार समझौते की व्यापक रूपरेखा को अंतिम रूप दे देंगे." ऐसे में भारत-अमेरिका के आपसी व्यापारिक रिश्तों का दारोमदार काफी हद तक इसी समझौते पर रहेगा.