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IT sector outlook : कंपनियों को अभी भी विदेशी कर्मचारियों को स्पॉन्सर करना होगा, लेकिन अब इसकी लागत बहुत अधिक होगी. (AI Image)
H-1B visa impact on IT stocks : अमेरिकी सरकार ने H-1B वीजा प्रोग्राम (कुशल विदेशी कर्मचारियों के लिए) की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 85 लाख रुपये) कर दी है. इसका असर यह है कि आज आईटी शेयरों में भारी बिकवाली है. निफ्टी आईटी इंडेक्स 3 फीसदी टूट गया है. टीसीएस (TCS), इंफोसिस (Infosys), एचसीएल टेक (HCL Tech), विप्रो (Wipro) समेत आईटी शेयरों में 2 से 5 फीसदी तक गिरावट है. H-1B वीजा का इंपैक्ट कितना लंबा होगा, किन आईटी कंपनियों पर ज्यादा असर होगा, निवेशकों को क्या करना चाहिए. इन सब बारे में हमने ब्रोकरेज हाउस के हवाले से विस्तार से जानकारी दी है.
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज
ब्रोकरेज हाउस आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि H-1B वीजा वाले कर्मचारियों पर 1 लाख डॉलर का शुल्क लगने से आईटी कंपनियों की मार्जिन पर लगभग 1% (100 bps) दबाव और EPS (प्रति शेयर कमाई) पर औसतन 6% असर पड़ेगा, क्योंकि ये कंपनियां नए कर्मचारियों को H-1B वीजा पर भर्ती करती रहती हैं.
अगर कंपनियां अपनी रणनीति बदलकर अमेरिका में स्थानीय कर्मचारियों को भर्ती करती हैं और कर्मचारियों की लागत का ढांचा उसी तरह बनाए रखती हैं, जैसा वे भारत (ऑफशोर) में करती हैं, तो मार्जिन पर असर बहुत कम होगा. ट्रंप सरकार के समय भी ऐसा ही अनुभव रहा था.
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मोतीलाल ओसवाल
ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि यह 100 गुना बढ़ोतरी है और केवल नए आवेदन पर लागू होगी. वीजा कार्यक्रम की अन्य नियमावली वैसी ही रहेगी. कंपनियों को अभी भी विदेशी कर्मचारियों को स्पॉन्सर करना होगा, लेकिन अब इसकी लागत बहुत अधिक होगी.
इसके संभावित असर में H-1B वीजा न होने पर ऑन-साइट (US में काम) रेवेन्यू में गिरावट हो सकती है. हालांकि, EPS (प्रति शेयर आय) पर इसका असर अधिकतर न्यूट्रल रहने की संभावना है. H-1B लॉटरी और आवेदन आमतौर पर Q4–Q1 में होती हैं, इसलिए पहला असर FY27 में दिखाई देगा. स्थिति अभी बदल रही है और भविष्य में इसमें काफी बदलाव हो सकता है.
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H-1B पर निर्भरता
मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक पिछले 10 सालों में, भारतीय आईटी कंपनियों ने H-1B वीजा पर निर्भरता कम कर दी है.
अमेरिका में स्थानीय भर्ती बढ़ने और स्थानीय कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से, अब सिर्फ 20% कर्मचारी ऑन-साइट (US में) काम करते हैं.
इन कर्मचारियों में से केवल 20–30% H-1B वीज़ा पर हैं. इसका मतलब है कि आम तौर पर H-1B धारक एक कंपनी की सक्रिय कार्यबल का सिर्फ 3–5% हैं.
बड़ी टेक कंपनियां vs आईटी सर्विसेज
अक्सर H-1B प्रोग्राम को भारतीय आईटी के लिए वीजा चैनल कहा जाता है, लेकिन असल में बिग टेक कंपनियां (Google, Amazon, Microsoft, Meta) नए आवेदन का बड़ा हिस्सा लेती हैं.
आईटी कंपनियों के लिए स्थानीय भर्ती और सबकॉन्ट्रैक्टिंग पहले से ही उनके मॉडल में शामिल है, इसलिए वे इस बदलाव के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं.
रेटिंग बदलाव और टॉप पिक्स
आईटी सेक्टर में बड़ी रीरेटिंग नई टेक्नोलॉजी साइकिल और अर्निंग में बढ़ोतरी पर निर्भर करेगा. मोतीलाल ओसवाल ने आईटी में ऑटम अप इन्वेस्टमेंट अप्रोच की सलाह देते हुए लार्जकैप में HCL टेक और टेक महिंद्रा को टॉप पिक्स बताया है. जबकि मिड कैप में Coforge और Hexaware को चुना है.
ब्रोकरेज का कहना है कि टेक महिंद्रा को हम ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि नई लीडरशिप के तहत बदलाव के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं और BFSI (बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस) में एग्जीक्यूशन सुधर रहा है. मार्जिन की उम्मीदें अब बेहतर हैं. कंपनी का बदलाव डिसक्रेशनरी खर्च से ज्यादा प्रभावित नहीं है. HCL टेक इसलिए पसंद है, क्योंकि इसका सभी सीजन के लिए मजबूत पोर्टफोलियो है.
(Disclaimer: स्टॉक्स में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.