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NSDL Outlook : लीडरशिप, मजबूत ढांचा, मजबूत क्लाइंट बेस और रणनीतिक सब्सिडियरीज के चलते NSDL को बाजार की ग्रोथ का फायदा मिलेगा. (Image: Canva)
NSDL Stock Price : भारत की नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के शेयर अपने आईपीओ प्राइस की तुलना में 61 फीसदी मजबूत हो चुका है. इसका आईपीओ (NSDL IPO) प्राइस 800 रुपये था और यह अभी 1,287 रुपये के करीब ट्रेड कर रहा है. कंपनी का शेयर 6 अगस्त को शेयर बाजार में 10 फीसदी गेंस के साथ 880 रुपये पर लिस्ट हुआ था. वहीं लिस्ट होने के बाद से शेयर में लगातार तेजी रही. हालांकि अब एनएसडीएल की तेजी थम सकती है. ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल ने शेयर में न्यूट्रल रेटिंग देते हुए इसमें गिरावट की आशंका जताई है. ब्रोकरेज का मानना है कि कंपनी के साथ जो पॉजिटिव फैक्टर हैं, वे सभी इसकी प्राइस में शामिल हैं.
NSDL पर मोतीलाल ओसवाल की सलाह
ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि डिपॉजिटरी सर्विसेज में लीडरशिप, मजबूत ढांचा, बड़े पैमाने पर काम करने की क्षमता, अमीर क्लाइंट बेस और रणनीतिक सब्सिडियरीज की वजह से NSDL बाजार की ग्रोथ का फायदा उठाने की अच्छी स्थिति में है.
ब्रोकरेज को उम्मीद है कि FY25-28 के दौरान NSDL का रेवेन्यू 5% CAGR, EBITDA 14% CAGR और PAT 15% CAGR से बढ़ेगा. इसका कारण है कंपनी की मजबूत पोजिशन, अलग-अलग सोर्सेज से कमाई और भारत के तेजी से बढ़ते कैपिटल मार्केट्स में ग्रोथ के मौके. इस दौरान कंपनी की ऑपरेशनल दक्षता और टेक्नोलॉजी-आधारित विस्तार से EBITDA मार्जिन और बेहतर होने की उम्मीद है.
ब्रोकरेज के अनुसार इस इंडस्ट्री में केवल 2 बड़े खिलाड़ी हैं और NSDL की प्राइसिंग पावर बेहतर है, इसलिए डिपॉजिटरी कंपनियों को प्रीमियम वैल्यूएशन मिलना चाहिए. लेकिन अभी के स्तर पर हमें लगता है कि स्टॉक पहले से ही सही मूल्य पर है और सभी पॉजिटिव फैक्टर्स प्राइस में शामिल हैं. इसलिए हम NSDL पर न्यूट्रल रेटिंग और 1,200 रुपये का टारगेट प्राइस (FY28E P/E 45x आधार पर) दे रहे हैं.
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डिपॉजिटरी : भारत के कैपिटल मार्केट में बदलाव के बड़े कारण
ब्रोकरेज का कहना है कि डिपॉजिटरी इंडस्ट्री भारत के कैपिटल मार्केट बदलाव के केंद्र में रही है. 1990 के दशक के मध्य में डिमैटेरियलाइजेशन शुरू होने के बाद से, इसने कागजी शेयरों से पूरी तरह डिजिटल सिस्टम की ओर बदलाव किया. इससे पारदर्शिता, दक्षता और निवेशकों का भरोसा काफी बढ़ा.
लगातार टेक्नोलॉजी अपग्रेड और फिनटेक डिस्काउंट ब्रोकर्स, डिजिटल KYC, और UPI के जरिए IPO अप्लिकेशन जैसी सुविधाओं की वजह से डिमैट अकाउंट्स की संख्या FY20 में लगभग 4 करोड़ से बढ़कर अगस्त 2025 तक 20.5 करोड़ हो गई. फिर भी, भारत की कुल आबादी का केवल 15% ही हिस्सा डिमैट अकाउंट रखता है, जबकि अमेरिका में यह 60%+ और चीन में 5 से 20% है. यानी अभी भी ग्रोथ की काफी गुंजाइश है.
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कैश मार्केट ADTO FY15 में लगभग 213 बिलियन रुपये से बढ़कर FY25 में 1 ट्रिलियन रुपये के पार चला गया. इसका कारण है मजबूत रिटेल इन्वेस्टमेंट फ्लो और अच्छी IPO पाइपलाइन. डिलीवरी-बेस्ड वॉल्यूम ज्यादा होने से ट्रांजैक्शन-लिंक्ड रेवेन्यू स्थायी रूप से बढ़ रहा है. वहीं FY25 में घरों की बचत का सिर्फ 6% हिस्सा ही इक्विटी में लगाया गया है. यानी, जैसे-जैसे लोग अपनी बचत का अधिक हिस्सा शेयर मार्केट में लगाएंगे, इंडस्ट्री को और बड़ा फायदा होगा.
(Disclaimer: स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.