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Hindenburg's reply to SEBI notice : हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी के नोटिस पर चौंकाने वाला जवाब दिया है. (File Photo : Reuters)
Kotak named in Hindenburg's reply to SEBI show cause notice : अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाने वाली अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी के कारण बताओ नोटिस का जवाब बेहद तल्ख अंदाज में दिया है. चौंकाने वाली बात यह भी है कि हिंडनबर्ग ने सेबी के नोटिस के जवाब में जारी बयान में उदय कोटक, कोटक बैंक और कोटक महिंद्रा इनवेस्टमेंट लिमिटेड (Kotak Mahindra Investment Limited - KMIL) जैसे नामों का जिक्र भी किया है. हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि अडानी ग्रुप में शॉर्ट सेलिंग कारोबार के लिए उसके इनवेस्टमेंट पार्टनर ने जिस ऑफशोर फंड ढांचे का इस्तेमाल किया, उसे तैयार करने में केआईएमल की भूमिका रही है. हिंडनबर्ग रिसर्च के बयान में किए गए इन दावों पर सेबी या कोटक ग्रुप की तरफ से अब तक कोई जवाब सामने नहीं आया है.
हिंडनबर्ग का सेबी पर आरोप
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने जवाब में मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के कारण बताओ नोटिस को "बकवास" और "पहले से तय मकसद को पूरा करने के लिए गढ़ा गया” बताया है. हिंडनबर्ग के मुताबिक ये "पहले से तय मकसद” है, “भारत में कुछ सबसे ताकतवर व्यक्तियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने की कोशिश करना." हिंडनबर्ग रिसर्च वही अमेरिकी फर्म है, जिसने पिछले साल अडानी समूह पर शेयर बाजार में हेराफेरी और अकाउंटिंग में धोखाधड़ी करके अपने शेयरों के दाम बढ़ाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे और इन आरोपों की वजह से अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए उनका खंडन किया है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई सेबी की जांच में भी अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है.
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सेबी के अधिकार क्षेत्र पर उठाया सवाल
सेबी के नोटिस के जवाब में जारी बयान में हिंडनबर्ग ने यह भी दावा किया है कि वो एक ऐसी अमेरिकी फर्म है, जिसका भारत में कोई कारोबार नहीं है, फिर भी सेबी ने यह साबित करने की नाकाम कोशिश की है कि उसका कामकाज भारतीय रेगुलेटर के दायरे में आता है. मंगलवार को जारी इस बयान में अमेरिकी फर्म ने कहा है कि सेबी ने उसे अडानी समूह के शेयरों पर दांव लगाने के दौरान नियमों के कथित उल्लंघन के आरोप में कारण बताओ नोटिस दिया है. हिंडनबर्ग ने कहा कि उसे 27 जून को सेबी से एक ईमेल मिला और बाद में भारतीय नियमों के संभावित उल्लंघन का जिक्र करते हुए एक कारण बताओ नोटिस मिला.
हिंडनबर्ग का कोटक बैंक पर चौंकाने वाला दावा
हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी के कारण बताओ नोटिस के जवाब में कोटक बैंक के बारे में भी चौंकाने वाला दावा किया है. अमेरिकी फर्म ने अपने बयान में कहा है, “सेबी ने एक तरफ तो हमें अपने अधिकार क्षेत्र में बताने का दावा करने के लिए खुद को ही उलझाने वाले तर्क दिए, लेकिन अपने नोटिस में साफ तौर पर उस पक्ष का नाम नहीं बताया, जिसका भारत से वाकई संबंध है. यह नाम है उदय कोटक द्वारा स्थापित कोटक बैंक का, जो भारत के सबसे बड़े बैंकों और ब्रोकरेज फर्मों में से एक है और जिसने हमारे इनवेस्टर पार्टनर द्वारा अडानी के खिलाफ दांव लगाने के लिए इस्तेमाल किए गए ऑफशोर फंड ढांचे को तैयार किया और उसकी देखरेख की.” हिंडनबर्ग के मुताबिक सेबी ने अपने नोटिस में सिर्फ के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड का जिक्र किया है और "कोटक" नाम को "KMIL" के संक्षिप्त नाम की आड़ में छिपाने की कोशिश की है. अमेरिकी फर्म ने अपने बयान के नीचे दिए फुटनोट में बताया है कि KMIL का मतलब दरअसल कोटक महिंद्रा इनवेस्टमेंट लिमिटेड है.
ताकतवर बिजनेसमैन को बचाना सेबी का मकसद : हिंडनबर्ग
हिंडनबर्ग ने अपने जवाब में लिखा है, “कोटक बैंक के संस्थापक उदय कोटक सेबी की 2017 की कॉरपोरेट गवर्नेंस समिति के प्रमुख रह चुके हैं और हमें संदेह है कि सेबी द्वारा कोटक या कोटक बोर्ड के किसी और सदस्य का जिक्र नहीं किए जाने का मकसद एक और ताकतवर भारतीय बिजनेसमैन को संभावित जांच से बचाना हो सकता है. यह एक ऐसी भूमिका है, जिसे सेबी अपनाता हुआ दिख रहा है.” हिंडनबर्ग रिसर्च के बयान में कही इन बातों पर सेबी या कोटक ग्रुप की तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं आया है.
अडानी पर ‘शॉर्ट’ करने की बात कभी नहीं छिपाई : हिंडनबर्ग
हिंडनबर्ग की तरफ से जारी बयान के मुताबिक उसने अडानी समूह में "बेशर्मी के साथ चल रही स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग धोखाधड़ी" (brazen stock manipulation and accounting fraud) का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट जारी करते समय खुद ही खुलासा कर दिया था कि उसने अडानी के शेयरों में गिरावट पर दांव लगा रखा है. यानी उसने अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट का अनुमान लगाकर उनमें कारोबार किया था. फर्म ने कहा है कि "यह कोई गोपनीय रहस्य नहीं था. दरअसल, दुनिया भर में सभी लोग जानते थे कि हमने अडानी पर ‘शॉर्ट’ किया था, क्योंकि हमने खुद इस बात का बार-बार खुलासा किया था."
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अडानी पर शॉर्ट सेलिंग से हिंडनबर्ग को कितनी कमाई
हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि अडानी पर इनवेस्टर पार्टनर के जरिए शॉर्ट सेलिंग से उसे उतनी कमाई नहीं हुई, जितना अनुमान लगाया जाता है. अमेरिकी फर्म ने अपने बयान में कहा है, "क्या हिंडनबर्ग ने अडानी को शॉर्ट करने के लिए दर्जनों फर्मों के साथ मिलकर काम किया और सैकड़ों मिलियन डॉलर कमाए? नहीं - हमारा सिर्फ एक ही इनवेस्टर पार्टनर था और इस ट्रेड में हमारी कमाई लागत से कुछ ही अधिक (barely come out above breakeven) रही है.” अमेरिकी फर्म के मुताबिक अपने इस इनवेस्टर रिलेशनशिप के जरिये उसने अडानी पर शॉर्ट सेलिंग से कुल मिलाकर 41 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 34 करोड़ रुपये) कमाए, जबकि ग्रुप के अमेरिकी बॉन्ड में शॉर्ट पोजिशन से उसे महज 31 हजार अमेरिकी डॉलर (करीब 25 लाख रुपये) की कमाई हुई. अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के लगाए तमाम आरोपों का बार-बार खंडन किया है. लेकिन हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा कि किया है कि सेबी ने 1.5 साल की जांच के बाद भी अडानी ग्रुप के खिलाफ लगाए हमारे आरोपों में तथ्यों के लिहाज से कोई खामी नहीं निकाल पाया है.