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Indian stock market new rules : एनएसई के सर्कुलर के अनुसार एफएंडओ सेगमेंट में प्री-ओपन सेशन 8 दिसंबर 2025 से शुरू होगा. Photograph: (Pixabay)
NSE circular introduces a pre-open session for F&O : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) 8 दिसंबर 2025 से इक्विटी फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) में प्री-ओपन सेशन शुरू करने जा रहा है. इससे ट्रेडर्स को रेगुलर मार्केट खुलने से पहले ही फ्यूचर्स की शुरुआती कीमतों का अंदाजा मिल सकेगा.
यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि F&O मार्केट भी कैश मार्केट (Stock Market) की तरह प्री-ओपन कॉल ऑक्शन सिस्टम पर काम करे. इससे कीमत तय करने की प्रक्रिया आसान होगी और बाजार में उतार-चढ़ाव (वोलैटिलिटी) कम होगा.
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क्या होगी टाइमिंग और तरीका
प्री-ओपन सेशन की टाइमिंग : सुबह 9:00 बजे से 9:15 बजे तक
इस दौरान कॉल ऑक्शन सिस्टम लागू होगा (यानि ऑर्डर इकट्ठे करके कीमत तय करना).
प्रक्रिया : ट्रेडर्स 9:07–9:08 बजे तक ऑर्डर डाल सकते हैं, बदल सकते हैं या कैंसिल कर सकते हैं (इन दो मिनटों में मार्केट रैंडम समय पर बंद होगा).
इसके बाद 9:12 बजे तक प्राइस डिस्कवरी और ट्रेड मैचिंग होगी.
9:12 से 9:15 बजे तक सिस्टम को रेगुलर ट्रेडिंग में बदलने का बफर टाइम होगा.
रेगुलर मार्केट 9:15 बजे से शुरू होगा.
ऑप्शन ट्रेडर्स को क्या होगा फायदा
एनएसई के सर्कुलर के अनुसार एफएंडओ सेगमेंट में प्री-ओपन सेशन 8 दिसंबर 2025 से शुरू होगा. इससे ओपनिंग में उतार-चढ़ाव कम होगा, कीमत तय करने में पारदर्शिता होगी, बेहतर एंट्री प्वॉइंट्स और छोटे निवेशक भी ओपनिंग ट्रेंड्स देखकर निर्णय ले सकेंगे. ऑप्शन ट्रेडर्स को यह मदद मिलेगी कि उन्हें प्री-ओपन सेशन में ही यह पता लग जाएगा कि कौन सा स्ट्राइक प्राइस किस प्रीमियम पर ओपन होगा. इसके बाद मार्केट में वोलिटिलिटी कम हो सकती है.
ट्रेडर्स के लिए क्यों जरूरी
रात में आए ग्लोबल मार्केट के असर के आधार पर जल्दी पोजिशन लेने का मौका मिलेगा.
मार्केट 9:15 बजे खुलते ही अचानक GAP-UP या GAP-DOWN की बजाय कीमत पहले से साफ दिखाई देगी.
रेगुलर मार्केट शुरू होने से पहले लिक्विडिटी और ऑर्डर बैलेंस की जानकारी मिलेगी.
अगर प्री-ओपन में आपका ऑर्डर नहीं मैच हुआ, तो वह मेन सेशन में आगे बढ़ जाएगा.
यह कदम मार्केट को और ज़्यादा पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए है.
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किन F&O कॉन्ट्रैक्ट्स में लागू होगा नया नियम
शुरुआत में यह केवल करंट मंथ (M1) के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स पर लागू होगा.महीने के आखिरी दिनों में इसे नेक्स्ट मंथ (M2) कॉन्ट्रैक्ट्स तक बढ़ाया जाएगा.स्प्रेड और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स पर यह नियम लागू नहीं होगा.जिन शेयरों में कॉर्पोरेट एक्शन (जैसे मर्जर या डिविडेंड) हो रहा होगा, वहां प्री-ओपन नहीं चलेगा.
बता दें कि इक्विटी कैश सेगमेंट में प्री-ओपन सेशन 15 मिनट की अवधि के लिए होता है. यह सेशन सुबह 9 बजे से 9:15 बजे तक आयोजित किया जाता है, जिसमें सुबह 9.15 बजे मार्केट ओपन होने से पहले बेंचमार्क इंडेक्स सहित स्टॉक के ओपनिंग प्राइस सेट हो जाते हैं. इसी तर्ज पर अब ऑप्शन प्रीमियम भी प्री-मार्केट सेशन में ही पता चल जाएंगे, जिस भाव पर वे खुलने वाले हैं.
(Disclaimer: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है, जो एनएसई के सर्कुलर के आधार पर है. यह किसी भी तरह से निवेश की सलाह नहीं है. न ही फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)
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