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रिलायंस इंडस्ट्रीज और ONGC के बीच 2013 से जारी कानूनी विवाद क्या है? सरकार ने RIL को क्यों भेजा हजारों करोड़ का नोटिस

RIL Gets Rs 24,500 Crore Demand from Govt : रिलायंस इंडस्ट्रीज को भारत सरकार ने 24,500 करोड़ रुपये की डिमांड भेजी है. यह कार्रवाई RIL और ONGC बीच 2013 से जारी एक विवाद के सिलसिले में की गई है.

RIL Gets Rs 24,500 Crore Demand from Govt : रिलायंस इंडस्ट्रीज को भारत सरकार ने 24,500 करोड़ रुपये की डिमांड भेजी है. यह कार्रवाई RIL और ONGC बीच 2013 से जारी एक विवाद के सिलसिले में की गई है.

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Viplav Rahi
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RIL-ONGC Dispute : मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को सरकार की तरफ से 24 हजार करोड़ रुपये की डिमांड मिली है. (File Photo : Reuters)

Reliance Industries- ONGC Dispute : मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) को भारत सरकार ने 24,500 करोड़ रुपये की भारी-भरकम डिमांड भेजी है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने यह डिमांड  रिलायंस इंडस्ट्रीज और सरकारी कंपनी ओएनजीसी (ONGC) के बीच लंबे समय से चले आ रहे एक विवाद के सिलसिले में भेजी है. इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में सरकारी कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिसके बाद यह डिमांड रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके कारोबारी पार्टनर, बीपी एक्सप्लोरेशन (BP Exploration) और निको लिमिटेड [NIKO (NECO) Ltd] को दी गई है.

क्या है पूरा विवाद?

यह विवाद वर्ष 2013 से चल रहा है जब ONGC ने आरोप लगाया कि रिलायंस और उसके साझेदारों ने केजी बेसिन (KG Basin) में स्थित उसके गैस ब्लॉक से अवैध रूप से गैस डायवर्ट करके उसका फायदा है. ओएनजीसी का दावा था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज को इससे गैर-वाजिब फायदा हुआ है, जिसके बाद सरकार ने कंपनी से 1.529 अरब डॉलर यानी लगभग 12,600 करोड़ रुपये के हर्जाने और उस पर ब्याज देने की मांग की थी.

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ONGC की गैस से मुनाफा कमाने का आरोप

सरकारी कंपनी ओएनजीसी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके साझेदारों पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने मार्च 31, 2016 तक करीब सात वर्षों के दौरान ONGC के गैस ब्लॉक से डायवर्ट हुई गैस से 338.332 मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MBtu) गैस का उत्पादन किया. सरकार ने इस उत्पादन के एवज में 1.47 अरब डॉलर की डिमांड की थी. इसके अलावा, सरकार ने रिलायंस से 174.9 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त रकम चुकाने के लिए भी कहा था, क्योंकि उसके KG-D6 फील्ड का उत्पादन तय लक्ष्य से कम था, जिसके कारण कई लागतों को मंजूरी नहीं दी गई थी. इस डिमांड के जवाब में रिलायंस और उसके पार्टनर सरकार को इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में ले गए.

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इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल के फैसले को हाईकोर्ट ने पलटा

इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल (International Arbitration Tribunal) ने 2018 में सरकार के दावों को खारिज करते हुए रिलायंस और उसके साझेदारों के पक्ष में फैसला सुनाया और उल्टे सरकार को 8.3 मिलियन डॉलर का मुआवजा देने का निर्देश दे दिया. सरकार ने आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने मई 2023 में सरकार की अपील को खारिज करते हुए ट्रिब्यूनल के फैसले पर मुहर लगा दी. इसके बाद सरकार ने इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में चुनौती दी, जिसने 15 फरवरी 2025 को सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद ही सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को 24,500 करोड़ रुपये की डिमांड का नोटिस भेजा है.

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RIL का क्या कहना है?

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कोर्ट के आदेश और उसके बाद सरकार से मिली डिमांड को कानूनी तौर पर चुनौती देने की बात कही है. कंपनी ने 3 मार्च को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई फाइलिंग में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले और सरकार से मिली डिमांड की जानकारी दी थी. इसके बाद 4 मार्च की फाइलिंग में RIL ने कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. कंपनी के मुताबिक उसके कानूनी सलाहकारों का मानना है कि इस मामले में उससे की गई डिमांड कानूनी तौर पर टिकने वाली नहीं है और इस मामले में उसकी कोई देनदारी नहीं बनती है.

आगे क्या हो सकता है?

रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने बयान के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट की डिविजन बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है. कंपनी का मानना है कि सरकार की डिमांड कानूनी रूप से टिकने वाली नहीं है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ही फैसला करेगा कि इस मामले में किसका दावा सही है. सरकार की तरफ से डिमांड मिलने की खबर के बाद मंगलवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी. हालांकि बुधवार को कंपनी के शेयर में रिकवरी नजर आई. इससे पहले भी कंपनी के शेयर्स में पिछले एक साल के दौरान काफी करेक्शन आ चुका है.

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