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शेयर बाजार में मचा हो कोहराम तो क्या करें म्यूचुअल फंड के निवेशक? इन 4 बातों में मिल सकता है इस सवाल का जवाब

Mutual Fund Investment During Market Crash : सेंसेक्स जब 6 महीने में 11% से अधिक गिर चुका हो, तो म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले रिटेल इनवेस्टर्स को क्या करना चाहिए?

Mutual Fund Investment During Market Crash : सेंसेक्स जब 6 महीने में 11% से अधिक गिर चुका हो, तो म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले रिटेल इनवेस्टर्स को क्या करना चाहिए?

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Viplav Rahi
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Investing During Market Crash : निवेशकों को घबराने की जगह अपने लक्ष्य, रिस्क लेने की क्षमता और निवेश की अवधि के आधार पर फैसले करने चाहिए. (Image : Freepik)

Mutual Fund Investment Strategy During Market Crash : शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब सेंसेक्स 6 महीनों में 11% से अधिक की गिरावट दर्ज कर रहा हो, तो आम निवेशकों में घबराहट स्वाभाविक है. ऐसे में, म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले रिटेल इनवेस्टर्स को क्या करना चाहिए? क्या निवेश जारी रखना सही रहेगा या फिर रिडेम्प्शन का फैसला लेना चाहिए? बाजार में गिरावट के दौर में सही निवेश रणनीति क्या होनी चाहिए? इन सवालों के जवाब तलाशने में ये 4 बातें आपकी मदद कर सकती हैं.

1. इन फंड्स पर फोकस कर सकते हैं

जो निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से ज्यादा घबराना नहीं चाहिए. मौजूदा माहौल में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को अपना फोकस बड़े और मजबूत शेयरों में निवेश करने वाले फंड्स पर रखना चाहिए. इसके लिए वे लार्ज कैप, मल्टी-कैप और फ्लेक्सी-कैप फंड्स पर ध्यान दे सकते हैं. इनके अलावा मल्टी एसेट एलोकेशन फंड पर भी विचार किया जा सकता है. इन फंड कैटेगरीज में निवेश करके और SIP या STP के जरिए निवेश को जारी रखकर वे बाजार की अस्थिरता में भी अपने लॉन्ग टर्म लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ सकते हैं. अगर आप इंडेक्स फंड्स में निवेश करना चाहते हैं, तो इसे सिंपल रखना बेहतर होगा.

2. कम से कम 5 साल के लिए निवेश करें

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इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय कम से कम 5 साल का इनवेस्टमेंट होराइजन रखना चाहिए. बाजार में अस्थिरता के बावजूद लंबी अवधि में सही एसेट एलोकेशन और निवेश रणनीति से अच्छा रिटर्न मिल सकता है. जो निवेशक शॉर्ट टर्म में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए हाइब्रिड या डेट फंड्स बेहतर विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि इनमें अस्थिरता कम होती है और रिटर्न भी स्टेबल रहता है.

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3. गिरावट को निवेश के अवसर के रूप में देखें

मार्केट करेक्शन के दौरान कई बार स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स सस्ते हो जाते हैं, जो लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छा अवसर साबित हो सकते हैं. कई म्यूचुअल फंड मैनेजर्स ऐसे दौर में अपने पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने पर ध्यान देते हैं, जिसका फायदा आगे चलकर मिल सकता है. SIP निवेशकों को घबराने की बजाय इस करेक्शन में भी अपने निवेश को जारी रखना चाहिए.

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4. म्यूचुअल फंड में सही एसेट एलोकेशन जरूरी

बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, निवेशकों को अपनी निवेश अवधि और जोखिम सहने की क्षमता के अनुसार एसेट एलोकेशन अपनाना चाहिए. मौजूदा माहौल में निवेशकों के लिए सही एसेट एलोकेशन इस तरह हो सकता है:

  • लॉन्ग टर्म (5 साल से अधिक): 80% इक्विटी और 20% डेट

  • मीडियम टर्म (3-5 साल): 70% इक्विटी और 30% डेट

  • शॉर्ट टर्म (1-3 साल): 60% इक्विटी और 40% डेट

  • 1 साल से कम के लिए : 100% डेट फंड्स

इस रणनीति को अपनाकर निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना कर सकते हैं और अपने पोर्टफोलियो को मजबूत बना सकते हैं.

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घबराने से नहीं बनेगा काम

कुल मिलाकर मौजूदा माहौल में भारतीय निवेशकों को घबराने की जगह अपने निवेश के लक्ष्य, रिस्क लेने की क्षमता और निवेश की अवधि के आधार पर फैसले करने चाहिए. लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए यह करेक्शन नए मौके भी ला सकता है. SIP और STP जैसे तरीकों का इस्तेमाल करके रेगुलर इनवेस्टमेंट बनाए रखना ही सही तरीका है. बाजार में कोहराम के समय धैर्य और अनुशासन बनाए रखना ही म्यूचुअल फंड निवेशकों की सबसे बड़ी ताकत होती है. 

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश से जुड़ी किसी भी तरह की सिफारिश करना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने और भरोसेमंद निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)

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