scorecardresearch

Mutual Fund Investment : सिंपल इंडेक्स फंड या थीमैटिक पैसिव स्कीम? आम निवेशकों के लिए क्या है बेहतर

Simple vs Thematic Index Funds: बाजार में मौजूद कई थीमैटिक और मल्टी फैक्टर पैसिव फंड्स समझने में इतने कठिन है कि रिटेल इनवेस्टर्स के लिए निवेश से जुड़े फैसले लेना मुश्किल हो जाता है.

Simple vs Thematic Index Funds: बाजार में मौजूद कई थीमैटिक और मल्टी फैक्टर पैसिव फंड्स समझने में इतने कठिन है कि रिटेल इनवेस्टर्स के लिए निवेश से जुड़े फैसले लेना मुश्किल हो जाता है.

author-image
Viplav Rahi
New Update
Simple Index funds vs thematic passive schemes, passive funds vs thematic index funds, passive mutual funds, thematic passive funds, passive investing benefits, passive investment India

Investing in Index Funds : रिटेल इनवेस्टर्स को ऐसे इंडेक्स फंड्स में निवेश पर फोकस करना चाहिए जिन्हें समझना उनके लिए आसान है. (Image : Freepik)

Investing in Passive Mutual Funds : पैसिव इनवेस्टिंग को आमतौर पर निवेश की आसान और कम लागत वाली रणनीति माना जाता है, जिसमें निवेशकों के लिए फैसले लेना आसान होता है और वे किसी प्रमुख इंडेक्स के प्रदर्शन के आधार पर लॉन्ग टर्म रिटर्न हासिल कर पाते हैं. लेकिन हाल के सालों में बहुत सारे म्यूचुअल फंड हाउसेज ने कई थीमैटिक और मल्टी-फैक्टर पैसिव फंड्स लॉन्च कर दिए हैं. ये नाम से भले ही पैसिव फंड्स कहे जा रहे हों, लेकिन उनकी जटिल थीम, दरअसल रिटेल इनवेस्टर्स के लिए निवेश से जुड़े फैसले लेना मुश्किल बना देती है. यह भी कह सकते हैं कि इन थीमैटिक फंड्स में से सही स्कीम का चुनाव करना भी एक्टिव इनवेस्टमेंट जैसा ही हो जाता है.

क्यों बढ़ रहे हैं थीमैटिक पैसिव फंड्स?

दरअसल सेबी ने एक्टिवली मैनेज्ड म्यूचुअल फंड्स की कैटेगरी और संख्या पर लिमिट लगा रखी है. जिसके तहत कोई भी फंड एक ही कैटेगरी में एक से ज्यादा एक्टिव फंड नहीं लॉन्च कर सकता. मिसाल के तौर पर एक एएमसी के पास एक ही लार्ज-कैप, एक ही मिड-कैप और एक ही स्मॉल-कैप फंड हो सकता है. लेकिन यह नियम पैसिव फंड्स पर लागू नहीं होता है. फंड हाउस, हर इंडेक्स पर आधारित एक नया फंड लॉन्च कर सकते हैं.

Advertisment

Also read : SBI MF की इस स्कीम ने 2000 रुपये की SIP से बनाया 1.35 करोड़ का फंड, 15.7% रहा 32 साल का औसत सालाना रिटर्न

इसी नियम का फायदा उठाते हुए फंड हाउस लगातार अलग-अलग जटिल इंडेक्स के आधार पर नए-नए पैसिव फंड लॉन्च कर रहे हैं. एनएसई (NSE) के पास फिलहाल 120 से ज्यादा और बीएसई (BSE) के पास 60 से अधिक इक्विटी इंडेक्स हैं. इनमें ‘अल्फा क्वॉलिटी वैल्यू लो वोलैटिलिटी 30’, ‘ईवी एंड न्यू एज ऑटोमोटिव’, ‘ईएसजी’ और ‘ईएसजी सेक्टर लीडर्स’ जैसे कई समझने में मुश्किल थीम पर आधारित और मल्टी-फैक्टर इंडेक्स शामिल हैं.

Also read : NFO Alert : इस लार्ज कैप फंड के एनएफओ में खुल रहा है सब्सक्रिप्शन, स्टॉक सेलेक्शन की 'केयर' मोमेंटम स्ट्रैटजी में क्या है खास?

रिटेल निवेशकों के लिए बढ़ती उलझन

इतने सारे मुश्किल थीमैटिक और मल्टी-फैक्टर इंडेक्स पर आधारित पैसिव फंड्स के बाजार में आने से रिटेल निवेशकों के लिए उलझन बढ़ गई है. जबकि पैसिव इन्वेस्टमेंट का मुख्य मकसद ही म्यूचुअल फंड इनवेस्टर के लिए निवेश से जुड़े फैसले लेना आसान बनाना है. जब कोई निवेशक निफ्टी 50 या सेंसेक्स पर आधारित इंडेक्स फंड खरीदता है, तो वह पूरे मार्केट के व्यापक रुझान में निवेश करता है, लेकिन थीमैटिक और मल्टी-फैक्टर पैसिव फंड्स के साथ ऐसा नहीं है. उनमें निवेशकों को खुद समझना और तय करना होता है कि वे ईएसजी इंडेक्स में निवेश करें या मोमेंटम इंडेक्स में या किसी और कई फैक्टर्स पर आधारित इंडेक्स में? और फिर रिटेल निवेशक को भी फैसले करते समय उन्हीं जटिलताओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनसे बचने के लिए वे पैसिव इनवेस्टिंग को चुना था.

Also read : Niti Aayog, CIBIL Report : 5 साल में 3 गुना हुई महिला लोन लेने वालों की तादाद, बिजनेस लोन में भी बढ़ी हिस्सेदारी

रिटेल इनवेस्टर्स के लिए क्या है सही तरीका?

थीमैटिक पैसिव फंड्स का बढ़ती संख्या के बीच रिटेल इनवेस्टर्स यानी छोटे निवेशकों के लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि वे सही मायनों में पैसिव इनवेस्टिंग के बेसिक प्रिंसिपल को ध्यान में रखते हुए फैसले करें. यानी ऐसे इंडेक्स पर फोकस करने वाले फंड्स को प्राथमिकता दें, जिन्हें समझना उनके लिए आसान है और जिसके प्रदर्शन को बाजार के ओवरऑल रुझान के साथ ज्यादा सरलता से जोड़कर देखा जा सकता है. ऐसे पैसिव फंड्स में निवेश की लागत कम होगी और निवेश से जुड़े फैसले करना आसान होगा. केवल चुने हुए प्रमुख इंडेक्स को ट्रैक करने वाले पैसिव फंड्स चुनना ही उनके लिए बेहतर रणनीति हो सकती है. जिन निवेशकों को किसी खास सेक्टर या थीम में निवेश करना है, उनके लिए किसी अच्छे एक्टिव फंड में निवेश पर विचार करना ही बेहतर है, जहां फंड मैनेजर बदलते माहौल और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अलोकेशन में बदलाव कर सके.

Also read : Low Risk Investment : मुनाफा देखकर निवेश करते हैं इस म्यूचुअल फंड के मैनेजर, गिरावट के दौर में भी FD से बेहतर रहा 1 साल का रिटर्न

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश से जुड़ी किसी भी तरह की सिफारिश करना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने और भरोसेमंद निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)

Retail Investors Index Fund Mutual Fund Index Funds