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RIL Outlook : रिटेल सेग्मेंट की ग्रोथ में सुधार, Jio की संभावित लिस्टिंग और O2C प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार से FY26E में Ebitda में 13 फीसदी ग्रोथ हो सकती है.. (Reuters)
Why Should You Buy RIL Stock : रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ा ताजा घटनाक्रम यह है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने ने अपने ही फैसले को पलटते हुए केजी डी6 ब्लॉक से गैस प्रोडक्शन से संबंधित मध्यस्थता में सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. जिसके तहत RIL-BP को 1.55 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा. RIL-BP कंसोर्टियम इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है. ब्रोकरेज हाउस जेफरीज का कहना है कि इस आदेश से रिलायंस इंडस्ट्रीज पर नियर टर्म में कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है. रिटेल सेग्मेंट की ग्रोथ में सुधार, Jio की संभावित पब्लिक लिस्टिंग और O2C प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार से FY26E में कंपनी के Ebitda में 13 फीसदी ग्रोथ हो सकती है. ब्रोकरेज हाउस ने 1,660 रुपये टारगेट प्राइस के साथ खरीदारी की राय दी है.
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RIL : शेयर के लिए क्या हैं पॉजिटिव ट्रिगर?
ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि हमें नियर टर्म में आरआईएल पर इसका कोई प्रभाव होता नहीं दिख रहा है, हालांकि इससे थोड़े समय के लिए सेंटीमेंट बिगड़ सकते हैं. सुस्त अर्निंग ग्रोथ और रिटेल की ग्रोथ पर चिंताओं के चलते जुलाई में टॉप बनाने के बाद स्टॉक में 25% की गिरावट आ चुकी है. ब्रोकरेज के अनुसार मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की दिसंबर तिमाही में रिटेल सेग्मेंट की ग्रोथ में हायर सिंगल डिजिट में सुधार हुआ है, जो संकेत देता है कि कंसोलिडेशन काफी हद तक पीछे है, जिससे फाइनेंशियल ईयर 2026 में 15 फीसदी की ग्रोथ रेट की उम्मीद मजबूत हुई है. टैरिफ बढ़ोतरी, Jio की संभावित लिस्टिंग, और साइक्लिकल लो से O2C प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार FY26 में अन्य संभावित ट्रिगर हैं. 10x फॉरवर्ड Ebitda पर वैल्युएशन कोविड करेक्शन के बाद से सबसे सस्ता है. ब्रोकरेज ने FY26 में 13% एबिटा ग्रोथ का अनुमान लगाया है.
स्टॉक के लिए 3 बड़े ट्रिगर
- रिटेल सेग्मेंट की ग्रोथ में सुधार
- 2. Jio की संभावित पब्लिक लिस्टिंग
- 3. O2C प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार से FY26E में कंपनी के Ebitda में 13 फीसदी ग्रोथ की उम्मीद
कितना मिल सकता है रिटर्न
रेटिंग : BUY
करंट प्राइस : 1,216 रुपये
टारगेट प्राइस : 1,660 रुपये
रिटर्न अनुमान :36%
52 हफ्ते का लो : 1194 रुपये
52 हफ्ते का हाई : 1,609 रुपये
KG D6 : क्या है लेटेस्ट मामला
दिल्ली हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने सरकार के उस मामले में सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिसमें सरकार ने आरआईएल-बीपी कंसोर्टियम को ओएनजीसी के निकटवर्ती ब्लॉक से कथित तौर पर केजी डी6 से गैस प्रोडक्शन के लिए 1.55 बिलियन अमेरिकी डॉलर जमा करने के लिए कहा था. मामला साल 2016 का है. डीएचसी में एक आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल और एक सिंगल जज बेंच ने पहले इस मामले पर आरआईएल-बीपी कंसोर्टियम के पक्ष में फैसला सुनाया था.
RIL दे सकती है चुनौती
ब्रोकरेज का माना है कि आरआईएल-बीपी कंसोर्टियम इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट (एससी) के नतीजे के आधार पर, पीड़ित पक्ष इस मामले पर यूके में मध्यस्थता अदालत का रुख कर सकता है. आरआईएल ने बीजी एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन के साथ मिलकर पिछले दिनों पीएमटी क्षेत्र पीएससी से संबंधित सरकार के खिलाफ मध्यस्थता शुरू की थी.
(Disclaimer: शेयर पर व्यू या सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)